चालाक लोमड़ी और मूर्ख कौवा । Stories in Hindi for Kids
चालाक लोमड़ी और मूर्ख कौवा । Stories in Hindi for Kids-: एक बार की बात है. एक जंगल में एक धूर्त लोमड़ी रहती थी. वह बहुत ही चालाक और होशियार थी. वह हमेशा लोगों को मूर्ख बना कर अपना उल्लू सीधा किया करती थी. एक दिन लोमडी को बहुत जोरों की भूख लगी थी. और वह खाने की तलाश में इधर उधर भटक रही थी.
परंतु वह भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाई. भोजन की व्यवस्था नहीं होने पर उसका बुरा हाल होना शुरु हो गया. जब उसे जंगल में कहीं से भी कुछ खाने को नहीं मिला तो वह बहुत ही निराश होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई.
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चालाक लोमड़ी और मूर्ख कौवा । Stories in Hindi for Kids |
अचानक लोमड़ी की नजर उस पेड़ पर गई जहां उसने देखा कि एक कौवा बैठा हुआ है और उसके मुंह में रोटी का एक टुकड़ा है.
भूख से बेहाल लोमड़ी ने जब कौवा के मुंह में रोटी का एक टुकड़ा देखा तो उसके मुंह में पानी आ गया और वह उस कौवे से रोटी लेने की तरकीब सोचनी लगा.
तभी उसे एक उपाय सूझी और उस धूर्त लोमड़ी ने कौवे से कहा कौवे भैया तुम बहुत ही अद्भुत और सुंदर पक्षी हो मैंने तुम्हारी बहुत प्रशंसा सुनी है. कौवा चाहकर भी कुछ बोल नहीं पा रहा था क्योंकि उसके मुहं में रोटी का एक टुकड़ा था.
सुना है कि तुम्हारी आवाज बहुत ही सुरीली और मधुर होती है. अब लोमड़ी ने कहा कि कि कौवे भैया तुम्हारी आवाज कोयल से भी अधिक मधुर और सुरीली है. क्या तुम मुझे अपनी सुरीली आवाज में गाना नहीं सुना सकती. पहले तो कौवा कुछ नहीं बोला और चुप रहा. यह देख लोमड़ी लगातार उसकी प्रशंसा करने लगी.
लोमड़ी के मुंह से अपनी प्रशंसा देख कौवा से रहा नहीं गया और वह बिना सोचे समझे उसे धूर्त लोमड़ी की बातों में आ गया. और उसने गाना गाने के लिए चोंच खोला और जोर-जोर से कावं-कावं करने लगा.
जैसे ही उसने गाने के लिए अपना मुंह खोला तो उस की चोंच में से वह रोटी टुकड़ा उस लोमड़ी के सामने जमीन पर गिर पड़ा. यह देख लोमड़ी झटपट उसे रोटी के टुकड़ो को उठाया और जंगल की तरफ भाग गया. जब कौवा ने यह देखा तो उसे अपनी मूर्खता पर बहुत पश्चाताप होने लगा.
लेकिन अब हो ही क्या सकता था क्योंकि उस चतुर लोमड़ी ने इस कौवे को मूर्ख बना कर अपना उल्लू साध लिया.
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कहानी से सीख-: इस "चालाक लोमड़ी और मूर्ख कौवा । Stories in Hindi for Kids" कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कहीं भी झूठी प्रसंशा करने वालों की बातों में नहीं आना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग अपना मतलब निकालने के लिए ही हमारी झूठी प्रशंसा करते हैं और काम निकल जाने के बाद हमें पूछते तक नहीं.
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