रविवार, 14 जून 2020

पंचतंत्र कहानी - घमंड का फल । Panchtantra Hindi Story

पंचतंत्र कहानी - घमंड का फल । Panchtantra Hindi Story

एक घने जंगल में नदी किनारे एक बाँस और एक आम का पेड़ था. दोनों पेड़ नदी के किनारे ही थे. इसलिए दोनों में गहरी मित्रता थी.

बाँस का पेड़ बहुत कमजोर और लचीला था.जब भी हवा चलती बाँस का पेड़ हवा की दिशा में ही झुक जाता था. जबकि आम का पेड़ बहुत ही सख्त था. इसलिए हवा का इसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था.

पंचतंत्र कहानी - घमंड का फल । Panchtantra Hindi Story
पंचतंत्र कहानी - घमंड का फल । Panchtantra Hindi Story

एक दिन की बात है दोनों पेड़ आपस में बातें कर रहे थे. तभी हवा चलने लगी और बाँस के पेड़ फिर हवा की दिशा में ही झुकने लगा. यह देख आम के पेड़ से रहा नहीं गया और उसने बाँस के पेड़ का उपहास उड़ाते हुए कहा कि "तुम तो हमेशा हवा की गति और दिशा के अनुसार ही हिलते-डुलते हो" मेरी तरह शान से क्यों नहीं खड़े रह पात ?

यह भी पढ़ें-: प्यासी चींटी और कबूतर की कहानी । Panchtantra Short Stories तुम भी हवा से कह दो कि अब तुम भी उसकी आज्ञा का पालन नहीं कर सकते. तुम भी अपनी शक्ति का परिचय दो क्योंकि संसार में ताकतवर लोगों की ही बात चलती है. बाँस के पेड़ को आम के पेड़ की बातें अच्छी नहीं लगीं परन्तु बाँस का पेड़ चुप-चाप उसकी बातें सुनता रहा और कुछ भी न कहा. यह देख आम का पेड़ बड़े ही क्रोधित स्वर में कहा― 'तुम मेरी बात का कोई उत्तर क्यों नहीं देते चुप क्यों हो ?' यह सुन बाँस ने आम से कहा― 'यह बात बिल्कुल सही है कि तुम मुझसे अधिक मजबूत हो और मैं कमजोर हूँ. परन्तु मैं तुम्हें एक बात कहना चाहती हूँ कि तेज हवा तुम्हारे लिए भी नुकसानदेह सिद्ध हो सकती है. इसलिए हमें तेज हवा का सम्मान करना चाहिए अन्यथा हमें इसका परिणाम भुगतना भी पड़ सकता है. ' आम के पेड़ को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था. इसलिए उसने कहा कि 'हवा चाहे कितना भी तेज क्यों न हो वह मेरा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकती है. इस बात को हमेशा याद रखना.' इधर हवा ने बाँस और आम के पेड़ की बातें सुन लीं. हवा तेज गति से आम के पेड़ की ओर बढ़ने लगी. परन्तु आम से टकराकर आगे निकल गई. कुछ देर बाद हवा ने अपने अंदर और शक्ति समेटी और फिर से जोर लगाया. लेकिन जामुन के पेड़ पर उस तेज हवा का कोई भी असर नहीं हुआ। वह उसी प्रकार पूर्ववत् खड़ा रहा। इधर तेज हवा के टकराने से बाँस का पेड़ लगभग पूरा झुक गया लेकिन फिर भी वह खड़ा रहा. इस बार हवा एक तूफान का रूप ले चुका था और वह आम के पेड़ से जोर-जोर से टकराने लगा. कुछ देर बाद हवा ने आम के पेड़ के जड़ पर प्रहार करना शुरू कर दिया और उन्हें कमजोर कर दिया. इस तूफानी हवाओं को आम के पेड़ की शाखाओं ने रोकने की भरपूर कोशिश की लेकिन तेज हवाओं ने आम के पेड़ की शाखाओं को पीछे धकेल दिया जिसके कारण आम के पेड़ का का संतुलन बिगड़ गया और कुछ की क्षणों में आम का पेड़ धम से जमीन पर गिर पड़ा. आम के पेड़ को धराशायी होता देख बाँस ने अत्यंत दुखी स्वर में कहा- यदि तुम खुद पर घमंड नहीं करते और हवा का सम्मान किये होते तो तुम्हारा आज यह हाल नहीं होता और तुम भी अभी खड़े रहते. यह सुन आम के आखों में आसूं आ गये क्योंकि उसे घमंड का फल मिल चूका था. उसे अपनी गलती का अहसास हो गया परन्तु अब हो ही क्या सकता था ? यह आम का पेड़ तो घमंडी था. शायद इसलिए इसे नहीं मालूम था कि घमंड का फल हमेशा बुरा ही होता है. इसलिए हमें घमंड करने से बचना चाहिए. इस कहानी से सीख-: इस कहानी "पंचतंत्र कहानी - घमंड का फल । Panchtantra Hindi Story" से हमें यही शिक्षा मिलती है कि घमंड ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है. मनुष्य को कभी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि घमंड ही व्यक्ति के सर्वनाश का कारण बन जाता है. हमें उस बाँस के पेड़ की तरह थोड़ा झुककर रहना चाहिए.


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