मंगलवार, 4 अगस्त 2020

प्रेरणादायक कहानी : चार मोमबत्तियां। Candles Moral Story

प्रेरणादायक कहानी : चार मोमबत्तियां। Candles Moral Story

प्रेरणादायक कहानी : चार मोमबत्तियां। Candles Moral Story-: एक घर में चार मोमबत्तियां जल रही थी। उन चारों मोमबत्तियां का नाम इस प्रकार से है- पहली मोमबत्ती का नाम शांति, दूसरी का विश्वास, तीसरी का प्रेम और चौथी मोमबत्ती का नाम आशा था। चारों एक साथ एक ही कमरे में जल रही थी। जिससे पूरा कमरा प्रकाशित हो रहा था।

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शांति-: तभी पहली मोमबत्ती ने बांकी अन्य मोमबत्तियां से कहा कि मैं शांति हूं। परंतु मुझे लगता है कि इस दुनिया को मेरी आवश्यकता नहीं है। हर तरफ लूट मार मची हुई है। मैं इससे अब तंग आ चुकी हूं। और अब मुझसे सहा नहीं जाता। यह कहते हुए वह मोमबत्ती बुझ गई।

विश्वास-: दूसरी मोमबत्ती ने कहा विश्वास हूं। परंतु आज के वर्तमान युग में किसी को भी एक दूसरे पर विश्वास नहीं है। सभी एक दूसरे से अपने मतलब के लिए ही मित्रता करते हैं। इसलिए मेरी भी लोगों की आवश्यकता नहीं है। यह कहते हुए दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गई।
प्रेम-: पहली और दूसरी मोमबत्ती को बुझता देख तीसरी मोमबत्ती ने कहा मैं प्रेम हूं। मेरे पास अंत तक जलते रहने की ताकत है। परंतु आज के इस वर्तमान युग में किसी के पास इतना समय नहीं है कि वह एक दूसरे से प्रेम कर सके।

सभी अपने-अपने मतलब के लिए एक दूसरे का इस्तेमाल करते हैं। चूँकि इस दुनिया में अब सच्चा प्रेम नहीं है। इसलिए मैं अब यहां और अधिक समय तक नहीं रह सकती। मैं भी जा रही हूं यह कहते हुए तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गई।

वह अभी बुझी ही थी कि एक छोटा सा बच्चा उस कमरे में दाखिल हुआ जहां मोमबत्तियां जल रही थी। तीनों मोमबत्तियां को बुझता देख वह बच्चा घबरा गया। उसकी आंखों से आंसू टपकनी लगे। और उसने रोते हुए कहा कि अरे! तुम मोमबत्तियां जल क्यों नहीं रही हो?

तुम्हें तो अंत तक जलते रहना चाहिए। इस कमरे को प्रकाशित करना चाहिए। तुम इस तरह बीच में कैसे छोड़ कर जा सकती हो।

आशा-: तभी चौथी मोमबत्ती अभी भी जल रही थी। उसने उस प्यारे बच्चे से कहा कि घबराओ नहीं। मैं आशा हूं और जब तक मैं जल रही हूं। तब तक तुम बांकी के अन्य मोमबत्तियां को भी जला सकते हो।

यह सुन उस बच्चे की आंखों में चमक आ गई। उसने उस चौथी मोमबत्ती आशा से बांकी के तीनों मोमबत्तियां को भी जला ली। जिससे पूरा कमरा चारों मोमबत्ती की रौशनी से प्रकाशित हो उठा।

इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब कभी चारों तरफ अंधकार ही अंधकार नजर आए। अपने भी पराए लगने लगे। तब भी आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि आशा में इतनी शक्ति है कि उजड़े हुए दुनिया में भी पुनः प्रकाश ला सकती है।

इसलिए अपनी आशा की मोमबत्ती को हमेशा जलाए रखिए। क्योंकि जब तक यह आशा की किरण आपके अन्दर जल्दी रहेगी। तब तक आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता।

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