शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

प्यासा घोड़ा और किसान। Short Story in Hindi

प्यासा घोड़ा और किसान। Short Story in Hindi

प्यासा घोड़ा और किसान। Short Story in Hindi-: एक बार की बात है। एक सिपाही अपने घोड़े पर सवार होकर शिकार करने के लिए जंगल में गया। शिकार करते-करते शाम हो चुकी थी। उस सिपाही को भूख और प्यास लगी। उसने खाना खाया और अपने थैले में से पानी निकालकर पी लिया। और अपनी प्यास बुझाई। लेकिन काफी देर चलने के बाद घोड़ा भी थक गया था और उसे भी बहुत जोरों की प्यास लगी थी।

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सिपाही ने अपने पास रखें पानी से तो अपनी प्यास बुझा ली। परंतु उस घोड़े के लिए कहीं पानी दिख नहीं रहा था। पानी की तलाश में वे दोनों कुछ दूर आगे बढ़े। तभी उन्होंने देखा कि एक बुढा किसान अपने बैल के साथ अपने खेत की सिंचाई कर रहा है। किसान अपनी खेती की सिंचाई के लिए अपने बैल की मदद से रहट चलाकर कुएं से पानी निकाल रहा था।

सिपाही ने वहां पहुंचकर उस किसान से बड़ी विनम्रता के साथ कहा कि काका मेरा घोड़ा बहुत प्यासा है। क्या आप इसे पीने के लिए थोड़ा पानी दे सकते हैं। हाँ पिला दो बेटा! किसान ने कहा। सिपाही ने घोड़े को रहट के पास ले गया। ताकि उस रहट से गिरता हुआ पानी वह घोड़ा पी सके। परंतु यह क्या घोड़ा चौंक कर पीछे हट गया।

यह देख किसान ने बड़ी आश्चर्य से उस सिपाही से पूछा कि अरे! यह घोड़ा पानी क्यों नहीं पी रहा है। सिपाही ने कुछ देर तक सोचा। फिर उसने कहा कि काका इस रहट के चलने से जो ठक-ठक की आवाज आती है। इस आवाज के कारण यह घोड़ा चौंक कर पीछे हट जाता है। यदि आप कुछ समय के लिए अपने बैल को रोक देते तो यह घोड़ा आराम से पानी पी लेता।

किसान ने मुस्कुराते हुए उस सिपाही से कहा कि बेटा यह ठक-ठक की आवाज़ तो चलती रहेगी। यदि मैंने बैल को रोक दिया तो कुएं से पानी कैसे ऊपर उठेगा? यदि इस घोड़े को पानी पीना है तो उसे इस ठक-ठक आवाज को नजरअंदाज करनी पड़ेगी। और उसे ठक-ठक के आवाज के बीच में ही अपनी प्यास बुझाने होगी।

सिपाही किसान की बातों का मतलब समझ चुका था। उसने घोड़े को पानी पिलाने का प्रयास किया। घोड़ा फिर पीछे हट गया। परंतु दो चार बार प्रयास करने के बाद घोड़ा ठक-ठक की आवाज को समझ चुका था। और उसने इस ठक-ठक के आवाज के बीच में ही पानी पिया और अपनी प्यास बुझाई।

इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यह ही सीख मिलती है कि इस घोड़े की तरह यदि हमें भी अपने इच्छित लक्ष्य को प्राप्त करना है तो जीवन में चल रही ठक-ठक से ध्यान हटाना होगा। हमें सही समय के इंतजार में अपने आईडिया को टालना छोड़ना होगा।

बहानों को पीछे छोड़ कर हमें एक्शन लेना आरंभ करना होगा। हमें यह सोचना बंद करना होगा कि सही समय आने पर ही मैं काम करना आरंभ करूंगा क्योंकि जिंदगी में ठक-ठक तो हमेशा चलती ही रहती है। इसलिए अपनी परेशानी पर से ध्यान हटाकर अपने काम पर फोकस करना चाहिए।


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