रविवार, 9 अगस्त 2020

प्रेरणादायक कहानी : सन्यासी की जड़ी-बूटी। Hindi Kahaniya

प्रेरणादायक कहानी : सन्यासी की जड़ी-बूटी। Hindi Kahaniya

प्रेरणादायक कहानी : सन्यासी की जड़ी-बूटी। Hindi Kahaniya-: बहुत समय पहले की बात है। एक बहुत ही विद्वान सन्यासी थे। वह हमेशा अपने साधना में लीन रहते थे। वह काफी दिनों से हिमालय पर निवास करते थे। उनके पास बहुत सारी जड़ी-बूटियों का ज्ञान था। आसपास के सभी गांव ही नहीं बल्कि दूर-दूर तक उनकी ख्यति फैली हुई थी। एक दिन एक महिला उनके पास पहुंची और अपना दुखड़ा रोने लगी। महिला को रोता देख उस सन्यासी ने पूछा कि क्या हुआ माता?
Sanyasi Ki Hindi Kahaniya
तुम रो क्यों रही हो? महिला ने कहा बाबा मेरा पति मुझसे बहुत प्रेम करता था। लेकिन जब से वह युद्ध करके वापस घर लौटा है। तब से वह ठीक तरह से बात भी नहीं करता है। युद्ध लोगों के साथ ऐसा ही करता है सन्यासी ने उत्तर दिया। फिर महिला ने रोते हुए कहा कि बाबा लोगों से मैंने सुना है कि आपकी दी हुई जड़ी-बूटियों से इंसानों में दोबारा प्रेम उत्पन्न हो सकती है।

इसलिए मुझे वो जड़ी-बूटी दे दीजिए। ताकि मैं भी अपनी पति का प्रेम दोबारा पा सकूं। महिला ने विनती करते हुए कहा। पहले तो कुछ देर तक उन्होंने सोच विचार किया। फिर सन्यासी ने उत्तर दिया की माता मैं तुम्हें वह जड़ी-बूटी जरूर दे देता। लेकिन उसे बनाने के लिए एक ऐसी चीज की आवश्यकता होती है जो मेरे पास नहीं है।

आपको क्या चाहिए? मुझे बताइए मैं लेकर आऊंगी महिला बोली। सन्यासी ने उत्तर दिया मुझे बाघ की मूंछ का एक बाल चाहिए। अगले दिन वह महिला जंगल की तरफ बाघ की तलाश में निकल पड़ी। बहुत खोजने पर उसे नदी किनारे एक बाघ दिखा। बाघ उसे देखते ही दहारा महिला डर गई और तेजी से वापस चली गई। अगले कुछ दिनों तक यही हुआ। महिला हिम्मत करके उस बाघ के पास पहुंचती थी और डर कर वापस चली जाती थी।

धीरे-धीरे महीनों बीत गए। अब बाघ को भी महिला की मौजूदगी की आदत पड़ गई और वह उसे देख कर भी सामान्य ही रहता था। अब तो महिला बाघ के लिए मांस भी लाने लगी। बाघ भी बड़े चाव से मांस खाता। धीरे-धीरे बाघ और उस महिला की दोस्ती बढ़ने लगी। अब महिला बीच-बीच में बाघ के शरीर को सहलाने भी लगी थी। बाघ को भी आनंद आता था।

देखते ही देखते एक दिन उस महिला ने हिम्मत दिखाते हुए बाघ की मूंछ का एक बाल निकाल लिया। फिर क्या था वह बिना समय गवाएं उस बाल को लेकर उस सन्यासी के पास पहुंच गई। और बोली कि बाबा मैं बाघ की मूंछ का बाल ले आई हूं। अब मुझे जल्दी से जड़ी-बूटी बना कर दे दीजिए। बहुत अच्छा और ऐसा कहते हुए सन्यासी ने उस बाल को जलती हुई अग्नि में फेंक दिया।

अरे! यह क्या बाबा? आप नहीं जानते इस बाल को लाने में मैंने कितनी प्रयत्न किया है। अपनी जान को भी जोखिम में डाला है और आपने इससे जला दिया। अब मेरी जड़ी-बूटी कैसे बनेगी, महिला ने घबराते हुए कहा। सन्यासी ने उत्तर दिया। देवी अब तुम्हें किसी जड़ी-बूटी की कोई आवश्यकता नहीं है। जरा सोचो तुमने बाघ जैसे हिंसक जीव को किस तरह अपने वश में किया।

हिंसक पशु को भी धैर्य और प्रेम से जीता जा सकता है तो क्या एक इंसान को नहीं? जाओ जिस तरह तुमने बाघ से मित्रता की उसी तरह अपने पति के अंदर भी प्रेम की भावना को जागृत करो। महिला सन्यासी की बात को समझ चुकी थी। उसने सन्यासी को धन्यवाद दिया और वह अपने घर की ओर लौट गई क्योंकि उसे उसकी जड़ी-बूटी मिल चुकी थी।

इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि कठिन से कठिन काम को भी धैर्य और प्रेम के साथ पूरा किया जा सकता है इसलिए कभी भी धैर्य और प्रेम का दामन नहीं छोड़ना चाहिए

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