सोमवार, 24 जनवरी 2022

शिक्षाप्रद कहानियां- हार-जीत का फैसला | Small story in Hindi

बहुत समय पहले की बात है एक गांव में विक्रमादित्य नामक राजा राज्य करते थे I वह बहुत ही दयालु प्रवृत्ति के थे I वह हमेशा अपनी प्रजा की भलाई के बारे में ही सोचा करते थे I प्रजा भी अपने राजा को बहुत आदर सत्कार किया करती थी I राजा हमेशा गरीब से गरीब लोगों की भी मदद किया करता था I एक बार विक्रमादित्य ने अपने राज्य में घोषणा करवाई की अमुक तिथि को दरबार में शास्त्रार्थ प्रतियोगिता का आयोजन करवाया I 


Small story in Hindi

इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आसपास के सभी गांवों से बड़े-बड़े विद्वान लोग आए हुए थे I शास्त्रार्थ की प्रक्रिया चल रही थी और सभी विद्वान लोग अपने अपने मत को सिद्ध करने में लगे हुए थे I शास्त्रार्थ की प्रक्रिया 10 दिनों तक लगातार चली और इसमें केवल 2 प्रतिभागी हरिनारायण और रामनारायण ही अंतिम तक टिके हुए थे I अब केवल हार जीत का निर्णय होना ही बाकी था I 


अगले दिन शास्त्रार्थ की प्रक्रिया चल रही थी I राजा विक्रमादित्य को किसी आवश्यक कार्य हेतु बाहर जाना पड़ गया I लेकिन उन्होंने जाने से पूर्व हरिनारायण और रामनारायण के गले में एक एक फूल की माला डालते हुए कहा कि यह दोनों मालाएं मेरी अनुपस्थिति में आप दोनों के हार और जीत का निर्णय करेगी I यह कहते हुए राजा विक्रमादित्य दरबार से निकल गए और शास्त्रार्थ की प्रक्रिया आगे चलती रही I


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परंतु यह क्या कुछ क्षणों के पश्चात ही राजा विक्रमादित्य पुनः राज दरबार में लौट आए यह देख सभी राजदरबारी अचंभित हो गए I परंतु राजा ने अपनी निर्णायक नजरों से हरिनारायण और रामनारायण को बारी-बारी से देखा और अपना निर्णय सुनाया I उनके निर्णय के अनुसार रामनारायण विजय घोषित हुए I  जबकि हरिनारायण की पराजय हुई I सभी दर्शक अचंभित हो गए कि किस आधार पर राजा ने रामनारायण को विजय घोषित कर दिया I


तभी एक मंत्री ने राजा विक्रमादित्य से अनुरोध किया कि महाराज आपने हार और जीत का फैसला कैसे किया ? जबकि आप प्रतियोगिता के मध्य आवश्यक कार्य हेतु प्रस्थान किए थे और फिर वापस लौटते ही आपने ऐसा निर्णय कैसे दे दिया I तब राजा ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि जब भी कोई विद्वान शास्त्रार्थ में पराजित होने लगता है तो उसे क्रोध उत्पन्न हो जाता है I 


जैसा कि हरिनारायण के गले की माला उनके क्रोध के कारण मुरझा चुकी है I जबकि रामनारायण के गले की माला का फूल अभी भी पहले की भांति ताजे हैं I इस से ज्ञात होता है कि रामनारायण ही विजय हुए हैं I राजा विक्रमादित्य का फैसला सुनकर सभी दंग रह गए और सब ने उनकी प्रशंसा की I


इस कहानी शिक्षाप्रद कहानियां- हार-जीत का फैसला | Small story in Hindi से सीख इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि क्रोध व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है क्योंकि क्रोध मनुष्य की वह अवस्था है जो जीत के नजदीक पहुंच कर भी हार का नया रास्ता खोल देता है I इसलिए व्यक्ति को कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए I


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