बुधवार, 10 जून 2020

तेनालीराम की कहानियां : असली अपराधी कौन । Moral Stories

तेनालीराम की कहानियां : असली अपराधी कौन । Moral Stories


एक दिन महाराजा कॄष्णदेव राय दरबारियों के साथ अपने राज दरबार में बैठे हुए थे. वहां तेनाली राम भी उपस्थित था. सभी बैठे हुए आपस में विचार-विमर्श कर रहे थे कि अचानक वहां एक चरवाहा आया और महराज से बोला,” महाराज, मेरी सहायता कीजिए। मेरे साथ न्याय कीजिए।” तब महाराज ने उस चरवाहे से पूछा कि तुम्हारे साथ क्या हुआ है विस्तार से बताओ.
उस चरवाहे कहा “महाराज, मेरे पडोस मे एक कंजूस आदमी रहता है । उसका घर बहुत पुराना हो गया है, परन्तु वह उसकी मरम्मत नहीं करवाता। कल उसके घर की एक दीवार गिर गई और मेरी बकरी उसके नीचे दबकर मर गई । कॄपया मेरे पड़ोसी से मेरी बकरी का हर्जाना दिलवाने में मेरी सहायता कीजिए ।”

तेनालीराम की कहानियां : असली अपराधी कौन । Moral Stories
तेनालीराम की कहानियां : असली अपराधी कौन । Moral Stories

महाराज के कुछ कहने के पहले ही तेनालीराम अपने स्थान से उठ कर बोला, “महाराज, मेरे विचार से दीवार टूटने के लिए केवल इसके पड़ोसी को दोषी ठहराना सही नहीं होगा.” “तो फिर तुम्हारे विचार में दोषी कौन है?” महाराजा कॄष्णदेव राय ने तेनालीराम से पूछा. “महाराज, यदि आप मुझे अभी थोड़ा समय दें, तो मैं इस बात की गहराई तक जाकर असली अपराधी को आपके सामने प्रस्तुत कर दूंगा।” तेनालीराम ने कहा.
राजा ने तेनालीराम के अनुरोध को मान कर उसे समय प्रदान कर दिया। तेनाली राम ने चरवाहे के पड़ोसी को बुलाया और उसे मरी बकरी का हर्जाना देने के लिए कहा। पडोसी बोला, “महोदय, इसके लिए मैं दोषी नहीं हूँ। यह दीवार तो मैंने मिस्त्री से बनवाई थी, अतः असली अपराधी तो वह मिस्त्री है, जिसने वह दीवार बनाई। उसने इसे मजबूती से नहीं बनाया। अतः वह गिर गई।” तेनालीराम ने मिस्त्री को बुलवाया। मिस्त्री ने भी अपने को दोषी मानने से इनकार कर दिया और बोला, “अन्नदाता, मुझे व्यर्थ ही दोषी करार दिया जा रहा है जबकि मेरा इसमें कोई दोष नहीं है। असली दोष तो उन मजदूरों का है, जिन्होंने गारे में अधिक पानी मिलाकर मिश्रण को खराब बनाया, जिससे ईंटें अच्छी तरह से चिपक नहीं सकीं और दीवार गिर गई। आपको हर्जाने के लिए उन्हें बुलाना चाहिए।” राजा ने मजदूरों को बुलाने के लिए अपने सैनिकों को भेजा। राजा के सामने आते ही मजदूर बोले, “महाराज, इसके लिए हमें दोषी तो वह पानी वाला व्यक्ति है, जिसने गारे चूने में अधिक पानी मिलाया।” अब की बार गारे में पानी मिलाने वाले व्यक्ति को बुलाया गया। अपराध सुनते ही वह बोला, “इसमें मेरा कोई दोष नहीं है महाराज, वह बर्तन जिसमें पानी हुआ था, वह बहुत बड़ा था। जिस कारण उसमें आवश्यकता से अधिक पानी भर गया। अतः पानी मिलाते वक्त मिश्रण में पानी की मात्रा अधिक हो गई। मेरे विचार से आपको उस व्यक्ति को पकड़ना चाहिए, जिसने पानी भरने के लिए मुझे इतना बड़ा बर्तन दिया। तेनालीराम के पूछने पर कि वह बड़ा बर्तन उसे कहाँ से मिला, उसने बताया कि पानी वाला बड़ा बर्तन उसे चरवाहे ने दिया था, जिसमें आवश्यकता से अधिक पानी भर गया था| तब तेनालीराम ने चरवाहे से कहा, “देखो, यह सब तुम्हारा ही दोष है। तुम्हारी एक गलती ने तुम्हारी ही बकरी की जान ले ली।” चरवाहा लज्जित होकर दरबार से चला गया। परन्तु सभी तेनालीराम के बुद्धिमतापूर्ण न्याय की खूब प्रशंसा कर रहे थे। इस कहानी से सीख-: अपराधी कितना भी चालाक और शातिर क्यों न हो वह अधिक देर तक बच नहीं सकता बिल्कुल इस "तेनालीराम की कहानियां- असली अपराधी कौन। Tenaliram Moral Stories" कहानी की तरह. कैसी लगी ये "तेनालीराम की कहानियां : असली अपराधी कौन । Moral Stories" कहानी नीचे Comment करके जरुर बताएं. यदि आप किसी विशेष टॉपिक पर कहानी पढ़ना चाहते हैं तो नीचे उस टॉपिक को Comment करके जरुर बताएं.

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