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सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

लालची राजकुमार की कहानी I Greedy Price Moral Story in Hindi

एक समय की बात है, एक राजा ने एक राजकुमार को अंतरंग शिक्षा देने के लिए नियुक्त किया। इस राजकुमार का नाम था विक्रम। विक्रम एक बहुत ही बुद्धिमान और हार्दिक व्यक्ति था, लेकिन उसमें एक गंभीर कमी थी - वह बहुत लालची था। विक्रम ने हमेशा ही धन की चाह रखी और उसकी उम्मीदें उसके पिताजी के पास हमेशा बढ़ती रहती थी। लेकिन उसने कभी अपनी चाह के लिए किसी अन्य का हक छीनने का सोचा ही नहीं। उसकी लालच इतनी गहरी थी कि वह किसी भी हद तक जा सकती थी।


एक दिन, राजकुमार ने एक गरीब व्यक्ति का घर देखा और उसके पास कुछ सोने के सिक्के देख कर वह उसके पास जाकर उन्हें छीनने की कोशिश की। गरीब व्यक्ति को इस बात का अंदाजा था कि राजकुमार उसे पहचान नहीं सकेगा, इसलिए उसने उसे बाहर भगा दिया।


गरीब व्यक्ति ने इस बात की शिकायत राजा को की और राजा ने विक्रम को सजा सुनाई। राजा ने कहा, "तुम्हें 7 दिनों के लिए अपने राज्य को छोड़ना होगा और सिर्फ एक गाँव में एक गरीब किसान के साथ रहना होगा।"


विक्रम ने राजा की आज्ञा पालन की और उसने गाँव में जाकर उस गरीब किसान के साथ रहना शुरू किया। वहाँ उसने देखा कि गरीब किसान और उसका परिवार कितने खुशहाल थे और उनके पास थोड़ा भी धन नहीं था।


विक्रम ने गरीब किसान के साथ रहकर बहुत कुछ सीखा। उसने समझा कि जीवन में धन की महत्वता है, लेकिन उससे ज्यादा भावनात्मक संबंधों की महत्वता है। वह अब लालची नहीं था और उसने गरीब किसान की मदद करना शुरू किया।


एक दिन, राजा ने विक्रम को फिर से बुलाया और पूछा, "क्या तुमने अपनी गलतियों से सीखा है?" विक्रम ने विनम्रता से कहा, "हाँ, महाराज। मैंने अपनी लालची और अहंकारी आदतों से सीखा है और अब मैं इस परिवर्तन के साथ वापस आया हूँ।"


राजा ने विक्रम की प्रशंसा की और राज्य के उसी दिन उसे वापस बुलाया। विक्रम ने अपने अनुभाव को सच्चाई के रूप में स्वीकार किया और वह एक नया और समर्पित राजकुमार बन गया।


इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच से दूर रहना बेहद महत्वपूर्ण है। धन महत्वपूर्ण है, लेकिन सच्चे मूल्यों की समझने और उन्हें महत्व देने की क्षमता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इसी तरह सच्चे में धन के पीछे न भागने के साथ ही सही साझेदारी और मूल्यों की सम्मान के साथ रहना हमें सफलता की राह में मदद कर सकता है।


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बुधवार, 26 जनवरी 2022

किसान और जादुई घड़ा की कहानी | Farmer Moral Story in Hindi

एक बार की बात है I हरिपुर नामक गांव में एक बहुत ही निर्धन किसान रहता था I वह काफी निर्धन था I उसके जीवन में बहुत सारी कठिनाइयां थी I उसे मुश्किल से ही दो वक्त की रोटी भी मिल पाती थी I अपने इस स्थिति से वह हमेशा परेशान रहता था I  वह अपनी छोटी मोटी जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाता था I अपने जीवन से निराश होकर उसने निश्चय किया कि वह खुदखुशी कर लेगा I यह सोच कर वह पास की नदी में कूद गया I उसी समय एक महात्मा वहां से गुजर रहे थे I उन्होंने उस किसान को नदी में कूदते हुए देखा I उन्होंने उसे बचाने के लिए खुद भी नदी में कूद गए और कुछ देर बाद उन्होंने उस किसान को बचा लिया I

Farmer Moral Story in Hindi

जब किसान को होश आया तो महात्मा जी ने उससे पूछा कि तुम मरने क्यों जा रहे थे ? तब रोते हुए किसान ने अपनी सारी बातें बताई I कुछ देर बाद महात्मा जी ने उस किसान से कहा कि उसके पास एक जादुई घड़ा है I यदि तुम मेरे आश्रम में दो वर्ष तक मेरी सेवा करोगे तो मैं वो जादुई घड़ा तुम्हें दे दूँगा और यदि तुम्हें मेरे आश्रम में पाँच वर्षों तक मेरी सेवा की तो मैं तुम्हें घड़ा बनाने की विधि बता दूँगा I


किसान ने सोचा कि पाँच वर्षों तक कौन सेवा करेगा I उसने महात्माजी से कहा कि वह दो वर्षों तक सेवा करेगा I और वह बड़ी मेहनत और लगन से उस महात्माजी की सेवा करने लगा I दो वर्षों के बाद महात्मा ने किसान को वह जादुई घड़ा दे दिया और कहा कि तुम इस जादुई घड़ा की मदद से जो चाहे वो मांग सकते हो और यह तुम्हारी सारी मनोकामनाएं पूरी कर देगा I

लेकिन याद रखना जब कभी यह जादुई घड़ा फूट जायेगा तब तुम फिर से निर्धन की तरह रह जाओगे I जादुई घड़ा की मदद से तुम जो कुछ भी धन, महल, खेत आदि पाओगे वह सब खत्म हो जायेगा और तुम पहले कि तरह ही निर्धन हो जाओगे I किसान उस जादुई घड़ा को लेकर अपने घर चला गया I इस घड़ा की मदद से किसान बहुत अमीर हो गया I उसके पास बहुत सारा धन और रहने के लिए एक बहुत बड़ा महल था I वह घड़ा को बहुत संभाल कर रखता था I उसे अब किसी भी चीज की कमी नहीं थी I धीरे-धीरे उसके अंदर घमंड आ गया I उसके अंदर कुछ बुरी आदतें भी आ गई I

एक दिन वह बहुत गुस्से था और गुस्से में ही उसने गलती से उस जादुई घड़े में लात मार दिया जिससे घड़ा तुरंत फूट गया I घड़ा के फूटते ही वह किसान फिर से पहले जैसा गरीब हो गया I उसे अपनी गलती पर बहुत पछतावा हो रहा था कि काश ! वह उस महात्माजी से इस जादुई घड़े को बनाने की विधि सीख लेता I

इस कहानी किसान और जादुई घड़ा की कहानी | Farmer Moral Story in Hindi से सीख हमें यही सीख मिलती है कि यदि लम्बे समय तक सफल होना है तो बहुत धैर्य व कठिन परिश्रम करना होगा क्योंकि बड़ी सफलता पाने का कोई शोर्टकट नहीं होता है I जल्दी मिलने वाली सफलता अधिक दिनों तक नहीं टिकती है I इसलिए हमें हमेशा धैर्य बनाये रखना चाहिए I


रविवार, 16 अगस्त 2020

प्रेरणादायक कहानी : गर्म कोयले का टुकड़ा। Hot Coal Story

प्रेरणादायक कहानी : गर्म कोयले का टुकड़ा। Hot Coal Story

प्रेरणादायक कहानी : गर्म कोयले का टुकड़ा। Hot Coal Story-: एक गांव में चरणदास नामक एक किसान रहता था। उसका एक पुत्र था जिसका नाम रमेश था। रमेश बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज था। चूँकि उसके पिता एक निर्धन परिवार से थे। इसलिए रमेश हमेशा पूरी इमानदारी से पढ़ाई करता था और अपने गांव के विद्यालय में हमेशा पढ़ाई में सबसे आगे रहता था। परंतु जब से वह शहर की कॉलेज में दाखिला लिया। तब से वह अलग अलग सा रहने लगा। रमेश अब अपने घरवालों की बात नहीं सुनता था।

Hot Coat Moral Stories In Hindi

उनसे झूठ बोलता था और हमेशा अनावश्यक खर्चों के लिए पैसों की मांग करता था। अचानक रमेश के व्यवहार में आए इस बदलाव को देख उसके घरवाले चिंतित थे। जब उसके पिता ने कॉलेज में पता किया। तब उन्हें पता चला कि रमेश बुरी संगति में पड़ गया है। उसके कुछ बुरे मित्रों से मित्रता हो गई है जो सिनेमा देखने, ध्रूमपान करने और फिजूलखर्ची करने के आदि थे।

इसी कारण रमेश में भी यह आदत लग गई है। रमेश अपनी पढ़ाई लिखाई पर ध्यान नहीं देता था। घरवालों के समझाने के बाद भी उसका यही जवाब होता था कि मैं भले ही बुरे लड़कों के साथ रहता हूँ। परंतु उसकी आदत का मुझ पर कोई असर नहीं होता है। क्योंकि मेरे पास अच्छे और बुरे की समझ है। इस तरह दिन बीतता गया और रमेश की परीक्षा का समय आ गया।

रमेश ने परीक्षा तो दी। परंतु उसकी मेहनत पर्याप्त नहीं होने के कारण वह उस परीक्षा में फेल हो गया। हमेशा अच्छे नंबरों से पास होने वाले रमेश के लिए यह एक बहुत दुखद घटना थी। वह अंदर से बिल्कुल टूट चुका था। रमेश अब अपने घर से कहीं बाहर नहीं निकलता और ना ही किसी से ठीक से बात ही करता। वह दिन भर अपने कमरे में ही पड़ा रहता और कुछ न कुछ सोचते रहता।

उसकी इस स्थिति को देख उसके घर वाले काफी चिंतित हो गए। सभी ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की। परंतु रमेश पर इसका कोई असर नहीं हुआ। मानो रमेश को सांप सूंघ गया हो। जब यह बात रमेश के गांव के स्कूल के एक प्रिंसिपल को पता चली तो उन्होंने रमेश को एक दिन अपने घर पर बुलाया। ठंड का समय था।

इसलिए उस समय प्रिंसिपल साहब अंगीठी में कोयला डालकर ताप रहे थे। रमेश गया और चुपचाप उनके बगल में बैठ गया। रमेश को ऐसा देख उसके प्रिंसिपल को बहुत बुरा लगा। क्योंकि रमेश उनका प्रिय शिष्यों में से एक था। उन्होंने निश्चय किया कि रमेश को इस स्थिति से जरूर निकालेंगे। कुछ देर बाद प्रिंसिपल साहब अचानक उठे और चिमटी से कोयले एक जलते हुए टुकड़े को निकालकर मिट्टी में डालने लगे। कोयला कुछ देर तक तो गर्मी देता रहा।

परंतु अंततः बुझ गया। यह देख रमेश ने उत्सुक होते हुए पूछा कि प्रिंसपल साहब आपने उस गर्म कोयले के टुकड़े को मिटटी में क्यों डाल दिया? इससे तो वह बेकार हो गया। यदि आप उसे अंगीठी में ही रहने देते तो वह अन्य कोयलों की तरह ही गर्मी देने के काम आता। रमेश की बात सुनकर प्रिंसिपल साहब मुस्कुराए। उन्होंने कहा कि कुछ देर तक अंगीठी से बाहर रहने के कारण यह कोयले का टुकड़ा बेकार नहीं हुआ है।

देखो मैं इस टुकड़े को पुनः इस अंगीठी में डाल देता हूँ। यह कहते हुए उन्होंने उस टुकड़े को मिट्टी से उठाकर अंगीठी में पुनः डाल दिया। उसके बाद प्रिंसपल साहब ने कहा कुछ समझ में आया रमेश! रमेश ने "ना" में सर हिलाया। प्रिंसिपल साहब ने विस्तार में बताया कि तुम भी उस कोयले टुकड़े के समान हो। पहले तुम अच्छी संगति में थे।

पढ़ाई पर ध्यान देते थे और काफी मेहनत करते थे। इसलिए हमेशा अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण होते थे। परंतु जिस तरह यह कोयले का टुकड़ा भी मिट्टी में जाने के कुछ देर बाद बुझ गया। तुम भी उसी प्रकार अपने गलत संगत के कारण परीक्षा में असफल हो गए हो। परंतु यह कतई जरुरी नहीं है कि एक बार फेल होने से तुम्हारे अंदर के सभी अच्छे गुण भी समाप्त हो गए हैं।

जैसे कोयले का टुकड़ा मिटटी में रहने के बाद भी बेकार नहीं हुआ और अंगीठी में डालने पर तुरंत धधक कर जलने लगा। ठीक उसी प्रकार तुम भी यदि आज के बाद अच्छी संगत में रहोगे और अच्छा आचरण करोगे। तब तुम पुनः परीक्षा में सफल हो जाओगे।
रमेश प्रिंसिपल साहब की बातों का मतलब समझ चुका था। वह चुपचाप उठा और उसने प्रिंसिपल साहब के चरण को स्पर्श किया और मुस्कुराते हुए अपने भविष्य को बनाने के लिए निकल पड़ा।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हो सकता है कि कभी कभी हम भी गलत संगत में पड़ कर अपने जीवन में और असफल हो जाए। परंतु समय रहते हमें अच्छी संगत में पुनः वापस आ जाना चाहिए। ताकि आने वाले भविष्य में हमारा जीवन सुखमय हो।

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शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

प्रेरणादायक कहानी : हथौड़ा और ताला-चाबी। Lock And Key Story

प्रेरणादायक कहानी : हथौड़ा और ताला-चाबी। Lock And Key Story

प्रेरणादायक कहानी : हथौड़ा और ताला-चाबी। Lock And Key Story-: एक बार की बात है। शहर में एक दुकानदार रहता था। उसका नाम धनिक लाल था। उसकी एक छोटी सी ताले चाबी की पुरानी दुकान थी। वह काफी सस्ते दामों पर लोगों को ताले चाबी बेचा करता था। शहर के लोग भी वहां से अपने घरों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के ताले-चाबी खरीदा करते थे। साथ ही साथ कभी कभार ताले की चाबी खो जाने पर ताले की डुप्लीकेट चाबी भी बनवाते थे।

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ताले वाले की दुकान में एक भारी भरकम हथौड़ा था, जो कभी कभार ताले को तोड़ने के काम आता था। हथौड़ा के मन में हमेशा एक प्रश्न आता था कि आखिर इन छोटी-छोटी चाबी में ऐसी कौन सी विशेषता है, जो इतने मजबूत से मजबूत ताले को भी चुटकियों में खोल देती है। जबकि मुझे उन तालों को खोलने के लिए न जाने कितने ही बार प्रहार करना पड़ता है।

इसी प्रकार कुछ दिन बीत गया। एक दिन उस हथौड़े से रहा नहीं गया और जब धनिक लाल अपनी दुकान को बंद करके वापस अपने घर चला गया। तब हथौड़ा ने एक छोटी सी चाबी से पूछा कि बहन यह बताओ कि आखिर तुम्हारे अंदर ऐसी कौन सी शक्ति या गुण है, जो तुम इतने बड़े और मजबूत से मजबूत तालों को भी बड़ी आसानी से खोल देती हो।

जबकि मैं तुमसे बहुत अधिक बलशाली हूं। फिर भी मुझे उसी ताले को खोलने में बहुत प्रयत्न करना पड़ता है। हथौड़ा की बात सुनकर चाबी ने मुस्कुराते हुए कहा, दरअसल बात यह है कि तुम तालों को खोलने के लिए बल का प्रयोग करते हो और उन पर लगातार प्रहार करते हो।

इसलिए ऐसा करने से ताला खुलता नहीं बल्कि टूट जाता है। जबकि मैं ताले को बिल्कुल भी चोट नहीं पहुंचाती हूं। बल्कि मैं तो उसके मन में उतर कर उसके हृदय तक पहुंचती हूं और उसके दिल में अपनी जगह बनाती हूँ। इसके बाद मैं उनसे खुलने का अनुरोध करती हूँ, जिससे वह तुरंत खुल जाता है। अर्थात उन्हें प्रेम से खुले का अनुरोध करते हूँ। जबकि तुम ऐसा नहीं करते हो।

इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे जीवन में भी ऐसा होता है कि हम सचमुच में किसी के दिल को जीतना चाहते हैं। परंतु उससे जबरदस्ती करने लगते हैं, जिसके कारण वह हमसे बहुत दूर चला जाता है और हमें वह पसंद नहीं करता है।

यदि हम उस व्यक्ति से बल के जगह प्रेम पूर्वक दिल जीते तो वह व्यक्ति सदा के लिए हमारा मित्र बन जाता है और उसकी उपयोगिता कई गुना बढ़ जाती है। अर्थात हर एक चीज जिसे बल पूर्वक प्राप्त किया जा सकता है उसे प्रेमपूर्वक पाया जा सकता है। लेकिन हर एक चीज जिसे प्रेम से पाया जा सकता है उसे बल पूर्व प्राप्त नहीं किया जा सकता है। यही प्राकृतिक नियम है।

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रविवार, 9 अगस्त 2020

प्रेरणादायक कहानी : साधु की झोपड़ी। Positive Thinking Story

प्रेरणादायक कहानी : साधु की झोपड़ी। Positive Thinking Story

प्रेरणादायक कहानी : साधु की झोपड़ी। Positive Thinking Story-: हनुमान नगर में दो साधु रहते थे। वे दोनों दिनभर भिक्षा मांग कर अपना जीवन यापन करते थे। उन दोनों की भगवान में बड़ी आस्था थी। वे गांव के ही एक मंदिर में पूजा अर्चना भी करते थे। दोनों साधु भगवान की भक्ति बड़ी आस्था के साथ करते थे। उनके पास एक छोटी सी झोपड़ी थी, जिसमें वह दोनों आराम से रहते थे, दोनों का जीवन बड़ी सुख में बीत रहा था।
Sadhu Ki Jhopdi
एक दिन अचानक उस गांव में जोरों की वर्षा और बहुत तेज आंधी आयी। यह आंधी-तूफान बहुत तेज था, जिसके कारण दोनों साधु की झोपड़ी का आधा हिस्सा टूट गया। जब आंधी शांत हुई तब पहला साधु अपनी झोपड़ी के पास पहुंचा तो उसने देखा की झोपड़ी का आधा भाग टूट चुका है। यह देखकर पहला साधु बहुत क्रोधित हुआ।

उसने आवेश में भगवान को भला-बुरा कहन शुरू कर दिया। वह जोर-जोर से बोलने लगा कि भगवान तूने मेरे साथ हमेशा गलत किया है। मैं दिन भर तेरा नाम लेता हूं। मंदिरों में तेरी पूजा अर्चना करता हूं। फिर भी तूने मेरी झोपड़ी तोड़ दी है। जबकि गांव के बेईमान, चोर-लुटेरों का घर तो सुरक्षित है। मैंने तुंहारा क्या बिगाड़ा था कि तुमने मेरे साथ ऐसा किया?

तभी दूसरा साधु आता है। उसने भी देखा कि उसकी झोपड़ी का आधा भाग तेज आंधी-तूफान में टूट चुका है। यह देख वह बहुत खुश हुआ। और वह खुशी से नाचने लगा। वह बोलने लगा कि भगवान आज मुझे विश्वास हो गया कि तुम अपने भक्तों का बहुत ध्यान रखते हो। आज मेरा विश्वास तुम पर और भी अधिक गहरा हो गया।

क्योंकि आधी झोपड़ी तूने ही बचाए होगी। अन्यथा इतनी तेज आंधी में पूरी झोपड़ी ही उड़ जाती। आपकी कृपा से हमारे पास रखने के लिए कुछ जगह बचा है। इसलिए मैं अब अधिक आस्था के साथ तुम्हारी पूजा-अर्चना करूंगा। तुम्हारे ऊपर बहुत विश्वास गया है।

इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि एक ही घटना को एक ही जैसे दो लोगों ने कितने अलग अलग ढंग से देखा। हमारी सोच ही हमारे आने वाले भविष्य को निर्धारित करती है। हमारी दुनिया तभी बदल सकती है, जब हम अपनी सोच को बदलेंगे।

यदि हमारी सोच भी पहले साधु की तरह होगा तो हमें हर चीज में नकारात्मकता ही दिखेगी। जबकि दूसरे साधु की तरह हमें हर समस्या में एक अवसर नजर आने लगेगा। इसलिए विकट परिस्थिति में भी अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखिए क्योंकि समय बदलने में कभी समय नहीं लगता।

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