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मंगलवार, 29 अक्तूबर 2024

भूतिया बरगद का पेड़ I Ghost Story of Banyan Tree

स्वामी विवेकानंद बचपन से ही बहुत ही निडर स्वभाव के व्यक्ति थे I वे हमेशा अपने अन्य मित्रों को भी भय मुक्त रहने के लिए प्रेरित करते थे I जब वह 8 साल के थे I तभी से वे अपने एक मित्र के यहां खेलने जाया करते थे, उनके मित्र का नाम नारायण था I उनका अपने मित्र के साथ काफी लगाव था I नारायण के घर में बरगद का एक पेड़ लगा हुआ था I



स्वामी जी का उस पेड़ के साथ काफी लगाव था और वह दोनों उस पेड़ के साथ अक्सर खेला करते थे I रोज की तरह है आज भी नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम) अपने मित्र के साथ उसी पेड़ पर चढ़कर खेल रहे थे I अचानक नारायण के दादाजी वहां पहुंचे I 


उन्हें डर था कि कहीं स्वामी जी उस पेड़ पर चढ़ते हुए गिर न जाए या कहीं पेड़ की डाली ही ना टूट जाए I इसलिए उन्होंने स्वामी जी को समझाते हुए कहा कि नरेंद्र तुम आज के बाद इस पेड़ पर मत चढ़ना I दादाजी की यह बात सुनकर स्वामी जी ने दादा जी से पूछा क्यों ?


तब दादा जी ने कहा कि इस पेड़ पर एक भूत रहता है I वह रात में सफेद कपड़े पहन कर इधर-उधर घूमता रहता है और देखने में बड़ा ही भयानक है I यह सुनकर स्वामी जी को थोड़ा आश्चर्य हुआ I परंतु उन्होनें दादाजी से उस भूत के बारे में और अधिक बताने का अनुरोध किया I 


दादा जी बोले इस पेड़ पर रहने वाला भूत बहुत ही खतरनाक है और वह पेड़ पर चढ़ने वाले लोगों की गर्दन तोड़ देता है I स्वामी जी यह सब बात ध्यान से सुन रहे थे और वह बिना कुछ कहे चुपचाप खड़े थे I यह देख दादाजी को लगा कि बच्चा डर गया है और वह मुस्कुराते हुए अपने काम से बाहर निकल गए I 


परंतु जैसे ही दादाजी बाहर निकले स्वामी जी पुनः उस पेड़ पर चढ़कर खेलने लगे I यह देख उनका मित्र नारायण ने जोर से कहा कि अरे तुमने दादाजी की बात नहीं मानी जल्दी से इस पेड़ पर से उतर जाओ I अन्यथा इस पर रहने वाला भूत तुम्हारी गर्दन तोड़ देगा I


अपने मित्र की बात सुनकर स्वामी जी जोड़-जोड़ से हंसने लगे और कहा कि मित्र डरो मत ! तुम भी इन सब बातों पर विश्वास करते हो I स्वयं ही विचार करो कि यदि दादाजी की बात सच होती तो मेरी गर्दन कब की टूट चुकी होती और मैं तुम्हारे सामने इस तरह खरा नहीं रह पाता I इसलिए किसी के कही हुई बातों पर विश्वास करने से पूर्व उस पर अवश्य विचार करना चाहिए I 


इस कहानी से सीख :- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी व्यक्ति की बातों पर विश्वास करने से पूर्व हमें उस पर अवश्य मंथन कर लेना चाहिए


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गुरुवार, 24 अक्तूबर 2024

रहस्यमयी जादुई उल्टा गाँव | The Enchanted Inverted Village

प्राचीन काल में, एक रहस्यमय क्षेत्र में, एक गाँव था जिसे लोकप्रिय रूप से उल्टा गाँव कहा जाता था। यह साधारण सा दिखने वाला गांव एक अनोखा और रहस्यमयी रहस्य छुपाए हुए है। जब आप इस गांव में प्रवेश करते हैं तो सब कुछ उल्टा-पुल्टा होता है। लोग उलटे चलते हैं, पेड़ों की जड़ें ऊपर और शाखाएँ नीचे होती हैं  और नदी एवं तालाब से  पानी नीचे से ऊपर की ओर बह रहा है।


एक गाँव में रामू नाम का एक छोटा लड़का रहता था। रामू हमेशा यह जानना चाहता था कि उसके गाँव की इतनी ऐसी हालत क्यों है। उसके दोस्त चिंकू और मुन्नी उसकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। तीनों ने मिलकर गांव का रहस्य पता लगाने का निर्णय लिया।


एक दिन, जब रामू, चिंकू और मुन्नी पुराने गाँव के पुस्तकालय में असामान्य किताबें पढ़ रहे थे, तो उन्हें एक पुरानी पांडुलिपि मिली। इस पांडुलिपि में गांव की हर बात समझी जा सकती है। पांडुलिपि में बताया गया है कि गांव की स्थिति में बदलाव का कारण एक प्राचीन जादू था जो कई सदियों पहले एक जादूगर ने गांव पर डाला था।


डायन ने यह जादू इसलिए किया क्योंकि गांव वालों ने उसका अपमान किया था। पांडुलिपि में कहा गया है कि जादू को तोड़ने के लिए, अपसाइड डाउन हिल पर एक गुफा में छिपे जादुई क्रिस्टल को सही क्रम में व्यवस्थित किया जाना चाहिए। जब बच्चों ने यह सुना तो उन्होंने क्रिस्टल ढूंढने का फैसला किया।


अगली सुबह तीनों दोस्त ओलेटा हिल की ओर चल पड़े। पहाड़ी रास्ता बेहद कठिन और खतरनाक था, लेकिन उनके साहस ने उन्हें आगे बढ़ाया। रास्ते में उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा, जैसे उल्टी सड़कें, उल्टे जानवर और अन्य जादुई कठिनाइयाँ, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।


तीन दोस्तों ने एक-दूसरे का साथ देकर सभी मुश्किलों को पार कर लिया। वे पहाड़ी की चोटी पर पहुँचे जहाँ अंततः एक गुफा थी। गुफा में बहुत सारे क्रिस्टल थे, लेकिन ऐसे क्रिस्टल को चुनना ज़रूरी था जो जादू को तोड़ सके। उन्होंने प्रत्येक क्रिस्टल की सावधानीपूर्वक जांच की और देखा कि एक या दूसरे क्रिस्टल की चमक अलग-अलग होती है।


रामू ने यह क्रिस्टल लिया और जैसे ही उसे पलटा, पूरी गुफा रोशन हो गई। गाँव के ऊपर क्रिस्टल की छवि दिखाई दी और धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो गया। जो उलटा था वह सीधा हो गया। पानी सही दिशा में बह गया, लोग सामान्य रूप से चलने लगे और बाकी सब कुछ सामान्य हो गया।


इस चमत्कार से गाँव वाले आश्चर्यचकित रह गए और राम, चिंकू और मुन्नी को धन्यवाद देने लगे। गांव वालों ने अपनी पुरानी गलती मानी और तीनों बच्चों को हीरो मानकर उनका सम्मान किया.


रामू, चिंकू और मुन्नी ने मिलकर साबित कर दिया कि बुद्धि, धैर्य और साहस से किसी भी जादू को तोड़ा जा सकता है। उनके वीरतापूर्ण कार्यों ने गाँव को उसकी मूल स्थिति में लौटा दिया और सिखाया कि एकता का अर्थ ताकत है।


अब गाँव वापस सामान्य हो गया था और सब कुछ अच्छा और उज्ज्वल दिख रहा था। सभी गाँव वाले हमेशा रामा, चिंकू और मुन्नी की प्रशंसा करते थे और उनकी बहादुरी की कहानियाँ सुनाते थे। गाँव में एक नई शुरुआत हुई और अब खुशी और समृद्धि का माहौल था। तीनों दोस्तों की दोस्ती और साहस ने गांव को एक नई दिशा दी।


तो "जादुई उल्टा गाँव" की कहानी इस महत्वपूर्ण संदेश के साथ समाप्त होती है कि सभी समस्याएं, चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, ईमानदारी, धैर्य और साहस से हल की जा सकती हैं।


प्रेरणादायक कहानी : एक सैनिक का प्रशिक्षण

गुरुवार, 9 जुलाई 2020

पंचतंत्र की कहानी : जग्गू और भूत । Bhoot Ki Kahani

पंचतंत्र की कहानी : जग्गू और भूत । Bhoot Ki Kahani

पंचतंत्र की कहानी : जग्गू और भूत । Bhoot Ki Kahani-: रामपुर नामक गांव में जग्गू नाम का एक बहुत ही गरीब व्यक्ति रहता था जग्गू गांव के ही बहुत अमीर और धनी व्यक्ति के यहां नौकर का काम करता था जग्गू के मालिक का नाम किशन लाल थाकिशनलाल बहुत कंजूस व्यक्ति था

किशनलाल दिन भर जग्गू से काम करवाता था उसे ठीक से पगार भी नहीं देता था परंतु जग्गू बिल्कुल साफ दिल का था इसलिए वह अपने मालिक को कुछ नहीं बोलता था

पंचतंत्र की कहानी : जग्गू और भूत । Bhoot Ki Kahani
पंचतंत्र की कहानी : जग्गू और भूत । Bhoot Ki Kahani

हमेशा की तरह एक दिन जग्गू अपने मालिक के यहां काम पर जा रहा था लेकिन जिस रास्ते से वह प्रतिदिन जाता था उस रास्ते पर काम चल रहा था इसलिए जग्गू ने जंगल वाले रास्ते से जाने का निर्णय किया

जब वह इस रास्ते से जा रहा था तब उसने देखा कि एक बहुत ही सुंदर घर है उसे देखकर जग्गू के मन में आया कि काश ! उसके पास भी इस तरह का एक सुंदर घर होता यह सोचकर जग्गू अपने मालिक के पास पहुंचा और उसने कहा कि मालिक आज तक मैंने जितनी भी रुपए कमाए हैं, मुझे दे दीजिए मुझे अपने लिए एक घर बनवाना है

यह सुनकर किशनलाल उस पर क्रोधित हो उठा उसने कहा कि अभी तक तुमने जो भी कुछ कमाया है वह तुम्हारे पूर्वजों का कर्ज चुकाने में ही समाप्त हो गया है इसलिए आज तक तुमने कुछ भी नहीं कमाया है जाओ जाकर जंगल से लकड़ियां लाओ मेरा समय दिमाग मत खराब करो

इतना सुनने के बाद जग्गू चुपचाप लकड़ियां लाने जंगल की ओर चल पड़ा जंगल जाकर, वह एक पेड़ के नीचे बैठ कर रोने लगा उसी पेड़ पर एक भूत रहता था जब उसके जग्गू को रोता देखा तब वह नीचे आया और बोला मित्र क्या बात है ? तुम रो क्यों रहे हो ? भूत को देख जग्गू डर गया

लेकिन भूत ने कहा कि डरो मत, तुम मुझे अपनी समस्या बताओ मैं तुम्हारी जरूर मदद करूंगा तब जग्गू ने उसे अपनी पूरी बात बताई यह सुनकर भूत जग्गू के मालिक किशनलाल पर क्रोधित हो उठाउसने कहा कि तुम चिंता मत करो मैं अभी उसे जान से मार देता हूं यह सुनकर जग्गू ने भूत से अनुरोध किया कि वह उसे जान से नहीं मारे बल्कि सिर्फ उसे सजा दे जग्गू के साफ दिल को देख भूत बहुत प्रसन्न हुआ

भूत ने जग्गू के कान में एक युक्ति बताई और कहा कि अपने मालिक के यहां जाओ और उसके सामने ऐसा दिखावा करो जैसे कि जंगल में तुंहें कुछ अनोखा चीज मिला है जिससे कि तुम्हारे मालिक को सचमुच भरोसा हो जाए कि तुम्हें सच में कुछ मिला नहीं
घर पहुंचकर जग्गू ने वैसा ही किया जैसा उसे भूत ने बताया था अब जग्गू कुछ अलग ही ढंग में बात करने लगा रोज दो तीन बार जंगल जाने लगा यह देख किशन लाल को शक होने लगा कि जरुर इसे कुछ मिला है, जो मुझ से छुपा रहा है। यह पहले तो जंगल बिना काम से नहीं जाता था। मुझे जरुर पता लगाना पड़ेगा कि आखिर बात क्या है ?

एक दिन जग्गू जंगल जा रहा था तभी किशन लाल भी उसके पीछे-पीछे जाने लगा किशन लाल को देख भूत बहुत खुश हुआ भूत ने अपने प्लान के अनुसार सोने से भरा एक थैला जग्गू के सामने गिरा दिया यह देख किशन लाल झट से जग्गू को धक्का दिया और उस थैले को उठा लिया जैसे ही उसने थैले को खोला उसने देखा कि थैले में सिर्फ पत्थर भरे हुए हैं यह देख वह उदास हो गया
तभी पेड़ से नीचे उतर कर भूत ने किशनलाल से कहा कि दुष्ट-पापी ! तुमने इस सोने से भरे थैले को छू दिया जिससे यह पत्थर में बदल गया है अब मैं तुम्हें जान से मार दूंगा यह सुन किशनलाल डर से कांपने लगा उसने कहा मुझे मत मारो मेरे पास बहुत सारा धन हैमैं तुम्हें अपना सारा धन दे दूंगा। बस मुझे जीवित छोड़ दो

पंचतंत्र की कहानी : जग्गू और भूत । Bhoot Ki Kahani
पंचतंत्र की कहानी : जग्गू और भूत । Bhoot Ki Kahani

यह सुनकर भूत ने कहा ठीक है मैं तुम्हें जीवित छोड़ दूंगा लेकिन बदले में तुम्हें थैले भरकर सोने और चांदी देने होंगे। किशन लाल ने कहा मैं अभी लाता हूँ किशनलाल डर कर गया, वह जल्दी से घर गया और सोने चांदी से भरा थैला लाकर भूत को दिया और वहां से जान बचाकर भाग गया
भूत ने उस थैले को लेकर जग्गू को दे दिया जग्गू ने भूत को धन्यवाद दिया और सारा धन लेकर चला गया और सुखी से अपना जीवन व्यतीत करने लगा

कहानी से सीख-: इस कहानी "पंचतंत्र की कहानी : जग्गू और भूत । Bhoot Ki Kahani" से हमें यही सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी को प्रताड़ित नहीं करना चाहिए। हमेशा दूसरों की मदद करना चाहिए

कैसी लगी ये "पंचतंत्र की कहानी : जग्गू और भूत । Bhoot Ki Kahani" की कहानी नीचे Comment करके जरुर बताएं. यदि आप किसी विशेष टॉपिक पर कहानी पढ़ना चाहते हैं तो नीचे उस टॉपिक नाम हमें Comment करके जरुर बताएं. ताकि हम उस टॉपिक पर आपके लिए एक अच्छी पोस्ट लिख सकें

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