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बुधवार, 26 जनवरी 2022

सकारात्मक सोच का परिणाम | Positive thinking Hindi Story

यह घटना दुनिया के महान वैज्ञानिक थॉमस एल्वा एडिसन के जीवन में घटने वाली एक घटना पर आधारित है I इस कहानी का मुख्य उद्देश्य हर परिस्थिति में व्यक्ति को सकारात्मक सोच कैसे बनाए रखें यह सिखाना है I

Positive thinking Hindi Story

दिसम्बर की ठंडी रात थी I न्यूजर्सी शहर में एडिसन की एक बहुत बड़ी फैक्ट्री थी जो बहुत ही अच्छी तरह से कार्य कर रही थी I एडिसन की यह फैक्ट्री पूरी तरह से फायरप्रूफ मानी जाती थी I एक दिन अचानक उनकी फैक्ट्री में आग लग गई I उस दिन एडिसन फैक्ट्री में उपस्थित थे I फैक्ट्री में भयंकर आग लगता देख I एडिसन का 24 वर्षीय पुत्र चार्ल्स हाँफते हुए एडिसन के पास पहुंचा और अपने पिता को बताया कि उनकी फैक्ट्री में भयंकर आग लग चुकी है जिसे रोक पाना संभव नहीं है I


एडिसन तुरंत उस आग वाली जगह पर पहुंचे और उस आग की लपटों को बड़े गौर से देख रहे थे I चार्ल्स ने सोचा कि उसके पिता की जीवन की सारी कमाई आग में जल गई जिसके कारण एडिसन को सदमा लगा है और वह आग की लपटों को बड़े गौर से देख रहे हैं I

एडिसन ने तुरंत कहा चार्ल्स तुम्हारी मम्मी कहां है I उसे तुरंत यहां बुलाओ क्योंकि उसे उसके जीवन में ऐसा नजारा फिर कभी देखने को नहीं मिलेगा I यह सुन चार्ल्स भी दंग रह गया I दूसरे दिन प्रातः काल एडिसन अपने जले हुए फैक्ट्री को देख रहे थे और उन्होंने कहा

“Thanks God, We can start a New
हे ईश्वर ! तुम्हें धन्यवाद, हम नए सिरे से पुनः प्रारंभ कर सकते हैं I”

एडिसन कि यह बात सुन उनके सभी कर्मचारी आश्चर्यचकित थे I एडिसन को बर्बादी में भी सकारात्मकता दिखाई दी I वे इतने आशावादी थे कि उन्होंने पुनः शुरू से कार्य प्रारंभ करने का विश्वास दिखाया I महान व्यक्तियों का दृष्टिकोण हमेशा महान ही होता है उन्हें हर समस्या में भी अवसर नजर आती है I

इस कहानी सकारात्मक सोच का परिणाम | Positive thinking Hindi Story से हमें यही सीख मिलती है कि हमें कभी भी अपने जीवन में निराश नहीं होना चाहिए I विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं को एडिसन की तरह आशावादी बनाये रखना चाहिए I


वाल्ट डिज़्नी की सफलता का रहस्य | Walt Disney Short Story

एक बार की बात है I प्रसिद्ध अमेरिकन एक्टर, डायरेक्टर एवं मनोरंजन की दुनिया के माने जाने वाले बादशाह वाल्ट डिज़्नी एक सेमिनार में गए हुए थे I वाल्ट डिज़्नी अमेरिका के सबसे सफल व्यक्तियों में से एक थे I इसलिए उस सेमिनार में बहुत दूर-दूर से लोग उनसे मिलने के लिए आए हुए थे I

Walt Disney Short Story

उन्ही में से एक व्यक्ति ने वाल्ट डिज़्नी से एक प्रश्न पूछने का आग्रह किया I व्यक्ति ने कहा कि सर मैं जानता हूं कि आप एक महान व्यक्ति हैं I आप बहुत बड़े विद्वान हैं I मैं आपसे आपकी सफलता का रहस्य जानना चाहता हूं I वाल्ट डिज़्नी ने पहले उसे व्यक्ति की तरफ गौर से देखा फिर उन्होंने मुस्कुराते हुए इस प्रश्न का उत्तर दिया I


वाल्ट ने कहा मैंने इस संबंध में बहुत सोचा कि मेरी सफलता का रहस्य क्या है ? मैं अपनी सफलता का रहस्य इन 4 शब्दों में आप लोगों को बताना चाहूंगा I Think, Believe, Dream and Dare.

सोचें (Think):- सबसे पहले आपको यह सोचना चाहिए कि आप अपने जीवन में क्या पाना चाहते हैं ? आपके जीवन का लक्ष्य क्या है ? जब आप अपना लक्ष्य तय कर लेते हैं तब आप सफलता के प्रथम पड़ाव को पार कर लेते हैं I इसलिए आपको अपने लक्ष्य के बारे में अवश्य ही सोचना चाहिए I

विश्वास करें (Believe):- जब आप अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं तब अगला चरण आपका अपने ऊपर विश्वास करना होता है I जब आपको स्वयं पर यह विश्वास होता है कि आप सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं तो आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना 100% देते हैं I जब आप 100% के  साथ अपने लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में प्रयास करते हैं तो आप निश्चित ही अपने जीवन में सफल हो सकते हैं I

सपने देखें (Dream):- आपको अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु सपने भी अवश्य देखने चाहिए I सपने देखने से आप अपने लक्ष्य के और निकट पहुंच जाते हैं I सपने देखने के बाद उसे प्राप्त करने के लिए अपनी सारी शक्तियां और क्षमता को झोंक दें I इससे आप आसानी से अपने सपने को पूरा कर सकते हैं I

साहस करें (Dare):- अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए आपको साहसी बनना होगा अर्थात आपको कुछ ऐसे भी निर्णय लेने पड़ेंगे जो हो सकता है आपको असफलता की ओर भी ले जाए I इसलिए आपको पूर्ण समर्पण, निष्ठा एवं लगन के साथ अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए निर्णय लेने में साहसी बनना होगा I तभी आप अपने लक्ष्य को आसानी से पा सकते हैं I

इस कहानी वाल्ट डिज़्नी की सफलता का रहस्य | Walt Disney Short Story से हमें यही सीख मिलती है कि बिना त्याग और कठिन परिश्रम के हम बड़े लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते हैं I


मंगलवार, 25 जनवरी 2022

डिग्रियों की कीमत I Degree Motivational Story in Hindi

एक बार एक बहुत ही बड़ी कंपनी ने अपने यहां जॉब के लिए एक वैकेंसी निकाली I कंपनी बहुत बड़ी थी इसलिए बहुत सारे लोगों ने वहां पर जॉब के लिए आवेदन दिया I बहुत सारे लोगों के पास बहुत बड़े-बड़े कॉलेज की डिग्रियां थी I कुछ दिनों के बाद उस कंपनी के मालिक के एक मित्र ने किसी को उनके पास जॉब के लिए भेजा जो बहुत पढ़ा लिखा था और साथ ही साथ उसके पास बहुत सारे सर्टिफिकेट और डिग्रियां भी थी I

Importance of Degree Motivational Story in Hindi

वह व्यक्ति उस कंपनी के मालिक के पास इंटरव्यू देने के लिए पहुंचा I उसे उम्मीद थी कि यह नौकरी उसे अवश्य मिल जाएगी I परंतु इसके बाद भी कंपनी के मालिक ने उस व्यक्ति को अपने यहां नौकरी पर नहीं रखा I बल्कि एक अन्य व्यक्ति जिसके पास बहुत सारी डिग्रियां नहीं थी और ना ही वह अधिक ही पढ़ा लिखा ही था उसका चयन किया I जब उसके मित्र को यह बात पता चली तो उसने पूछा कि क्या मैं इसकी वजह जान सकता हूँ कि तुमने इतने कम पढ़े लिखे व्यक्ति का चयन अपनी कंपनी में क्यों किया है ?


तब कंपनी के मालिक ने बताया कि मैंने जिस व्यक्ति का चयन किया है उसके पास अमूल्य डिग्रियां हैं I उसने मेरे कमरे में आने से पहले मेरी अनुमति मांगी, कमरे के बाहर अपनी जूते को उतारा, बैठने के लिए अनुमति माँगी, उसके कपड़े साधारण वे साफ-सुथरे थे I मैंने उससे जो भी प्रश्न पूछा उसने बिना घुमाए-  फिराए तुरंत उत्तर दिया और अंत में इंटरव्यू समाप्त होने पर मेरी अनुमति से वापस चला गया I 


उसने कोई सिफारिश भी नहीं लाया और ना ही उसने कोई खुशामद ही की थी क्योंकि अधिक पढ़ा लिखा ना होने के बाद भी उसे अपनी काबिलियत पर विश्वास था I इस तरह के प्रमाण पत्र बहुत कम लोगों के पास ही होते हैं I इसी कारण मैंने इस व्यक्ति को अपने यहां जॉब पर रखा I


प्रेरणादायक कहानी : खाने का महत्त्व |The Importance Of The Food


जबकि तुमने जिस व्यक्ति को मेरे पास भेजा था उसके पास इनमें से कोई भी डिग्रियां नहीं थी अर्थात वह सीधा ही मेरे कमरे में चला आया बिना, आज्ञा की कुर्सी पर बैठ गया और अपनी काबिलियत की जगह तुमसे जान पहचान के बारे में बताने लगा I अब तुम ही बताओ उसकी इन डिग्रियों की क्या कीमत है ? जिसे उसकी नैतिकता का ही जान नहीं हो ? मित्र कंपनी के मालिक की बात को समझ गया और वह भी डिग्रियों की कीमत जान चुका था I


इस कहानी डिग्रियों की कीमत I Degree Motivational Story in Hindi से हमें यही सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपने नैतिक शिक्षा का ख्याल रखना चाहिए ताकि अवसर मिलने पर हम इसका लाभ ले सके I


प्रेरणादायक सीख : क्रोध का परिणाम I Angry Moral Stories

महात्मा जी का उपदेश। Preaching Motivational Story In Hindi

सोमवार, 24 जनवरी 2022

गुरु का महत्त्व | Inspirational Stories on Teachers Day

नारायणपुर नामक एक गांव में एक राजा राज्य करता था I राजा के पास एक बहुत ही सुंदर पत्नी थी और वह अपने परिवार के साथ अपने राज्य को बहुत ही अच्छे ढंग से चला रहा था I उसे शिक्षा ग्रहण करने का बहुत शौक था I एक दिन राजा ने मंत्री से सलाह लिया कि उसके लिए एक गुरु की व्यवस्था की जाए I

Inspirational Stories on Teachers Day

ऐसा ही हुआ राजा के आदेशानुसार उस राज्य के सबसे प्रसिद्ध और विद्वान गुरु राजा को शिक्षा देने के लिए प्रतिदिन महल में आने लगे I राजा को शिक्षा ग्रहण करते हुए कई माह बीत गए थे I परंतु राजा को कोई लाभ दिख नहीं रहा था I गुरु तो प्रतिदिन कठिन परिश्रम करते थे I परंतु राजा को इस शिक्षा से कोई लाभ नहीं हो रहा था I राजा काफी परेशान रहने लगा I


गुरु की योग्यता पर प्रश्न उठाना भी गलत था क्योंकि वह एक बहुत ही प्रसिद्ध और विद्वान गुरु थे I आखिर में राजा ने यह बात अपनी पत्नी को बताई I तब रानी ने सलाह दी की हे राजन इस प्रश्न का उत्तर गुरु जी से ही पूछ कर देखिए I अगले दिन राजा ने बहुत हिम्मत करके गुरुजी के सामने प्रश्न रखी I हे गुरुवर क्षमा कीजिएगा मैं कई माह से आपसे शिक्षा प्राप्त कर रहा हूँ I परंतु मुझे इसका कोई लाभ नहीं दिख रहा I  ऐसा क्यों ?


नाविक और कैप्टन की प्रेरणादायक कहानी।


गुरुजी ने बड़े ही शांत स्वर्ग में उत्तर दिया राजन इसका बहुत ही सरल उत्तर है I गुरुजी ने कहा हे राजन यह बात बहुत छोटी है परंतु आप बड़े हैं और आपके अंदर विद्यमान अहंकार के कारण आप इसे समझ नहीं पा रहे हैं जिससे आप परेशान और दुखी हैं I यह बात सच है कि आप एक बहुत बड़े राजा हैं I आप प्रत्येक दृष्टि से मुझसे पद और प्रतिष्ठा ने बड़े हैं I परंतु आपका और मेरा रिश्ता एक गुरु और शिष्य का है I इसलिए गुरु होने के नाते मेरा स्थान आप से ऊपर होना चाहिए I 


परंतु आप ऊँचे सिंहासन पर बैठते हैं और मुझे अपने से नीचे के आसन पर बैठाते हैं I  इसी कारण आपको ना तो कुछ शिक्षा प्राप्त हो रही है और ना ही आप ज्ञान को ही ग्रहण कर पा रहे हैं I चूँकि आपके राजा होने के कारण मैं आपसे यह बात नहीं कह पा रहा था I यदि कल से आप मुझे ऊंचे सिंहासन पर बिठाएं और आप स्वयं नीचे बैठे तो आप आसानी से शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे I आपको इसका लाभ भी नजर आने लगेगा I 


राजा को अपनी गलती का एहसास हो गया उसने तुरंत अपनी गलती के लिए क्षमा मांगा और अगले दिन से स्वयं नीचे बैठता और गुरु को ऊंचे आसन पर बिठाकर शिक्षा प्राप्त करने लगा I 


इस कहानी गुरु का महत्त्व | Inspirational Stories on Teachers Day से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए I यहां ऊंचे स्थान का हाथ सिर्फ ऊंचा या नीचे बैठने से नहीं है I बल्कि इसका सही अर्थ है कि हम अपने मन में गुरु को क्या स्थान दे रहे हैं I इसलिए हमें हमेशा अपने गुरु का सम्मान करना चाहिए I


प्रेरणादायक कहानी : गधे की बुद्धिमानी


प्रेरणादायक कहानी : तोते की चोंच।

शनिवार, 22 जनवरी 2022

प्रेरणादायक कहानी : खाने का महत्त्व |The Importance of the food

प्रेरणादायक कहानी : खाने का महत्त्व |The Importance of the food -: बहुत दिनों पहले की बात है किसी गांव में राधा नाम की एक लड़की रहती थी। वह देखने में भी ठीक-ठाक ही थी लेकिन उसमे एक में एक बुरी आदत ये थी की वह जब भी खाना खाने के लिए बैठती तो ज्यादा खान ले कर उसे डस्टबीन में फेक दिया करती थी।

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कुछ ही दिनों बाद उसकी शादी कर दी गयी। उसकी बड़ी भाभी ने उसको घर के सभी तौर-तरीके के बारे में बताया और कहा की अब इस घर की सारी जिम्मेदारियाँ तुम ही संभलोगी तो राधा ने सिर हिलाते हुए बोली जी भाभी ठीक है।
कुछ ही दिनों बाद जब राधा कभी दाल तो कभी कुछ कभी कुछ लाती तो ये सब देखकर उसकी भाभी ने उससे पूछ राधा क्यों ना तुम पूरे महीने का सारा सामान एक बार में ही मँगवा लेती हो तो राधा बोली भाभी मैंने तो सारा सामान मँगवाया तो था लेकिन वो महीने ख़त्म होने के पहले ही ख़त्म हो गए।
इसके बाद में राधा की भाभी ने मन में सोचा की मैं तो इतने सामान में पूरा महीन हो जाता था और राधा कहती है की सामान ख़त्म हो गया इसके बाद वे किचन में ताक-झक करने लगी तो बाद में पता चलता है की ये बहुत ज्यादा खाना बना लेती है और जो बच जाता है उसे वह उठकर डस्टबिन में फेक आती थी।

प्रेरणादायक सीख : क्रोध का परिणाम I Angry Moral Stories
जब वे जाने के लिए घर से निकले तो थोड़ी दूर पर एक मोहल्ला दिखाई दी जहाँ कई सारे बच्चे भूख के मारे रो रहे थे ये सब देखा कर उसे अपने गलती का एहसास हुआ की वह कितनी बड़ी गलती करती थी ये सब देख वे दोनों उसी मोहल्ले से घुर कर घर वापस चले आए।

उसके बाद वे सोचने लगे की कैसे मैं राधा को खाने की अहमियत के बारे में उसे समझाए जाए तो उसने उसे बोला की मेरी एक बहुत ही करीबी एक दोस्त है जो बहुत ही गरीब है आज उसका फोन आया आर वो बोली की मेरा बेटा का तबियत बहुत ख़राब मुझे कुछ रूपयों की जरूरत है क्या तुम मेरी मदद कर सकती हो मैंने बोला मैं और मेरी देवरानी हम दोनों आज तुमसे मिलने आ रहे है क्या तुम भी चोलोगी मेरे साथ तो राधा बोली ठीक है भाभी। जब कुछ दिन बीत गए तो उसकी भाभी बोली तुम जानती हो की मै तुमसे उस दिन झूठ बोली की तुम मेरी दोस्त के यहाँ चलो वहा का तो सिर्फ एक बहाना था मेरा असली मकसद तो सिर्फ ये था की तुम जो खाना फेक देती हो उसका कितना बड़ा महत्त्व है।
तो राधा बोली की नहीं मै अब से कभी-भी खाने को बर्बाद नहीं करुँगी ऐसा सुन उसकी जेठानी बहुत खुश हुई।

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शनिवार, 21 नवंबर 2020

प्रेरक कहानी : भगवान का अस्तित्व (Existence of God Hindi Story)

प्रेरक कहानी : भगवान का अस्तित्व (Existence of God Hindi Story)

एक गांव में एक बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति रहता था। वह इतना बुद्धिमान था कि आस-पास के गांव में भी उसकी ख्यति फैली हुई थी। गांव के प्रत्येक लोगों की समस्याओं का समाधान उसके पास रहता था। वह हमेशा लोगों की मदद करने के लिए तत्पर रहता था। एक दिन यह आदमी अपना बाल कटवाने के लिए एक नाई की दुकान पर गया। बात-बात पर ही नाई और इस बुद्धिमान व्यक्ति के बीच देश दुनिया की बातें होने लगी।

Existence of God Hindi Stories

धीरे-धीरे उन दोनों के बीच राजनीति, खेल जगत, फिल्मी दुनिया इत्यादि टॉपिक पर बहस होने लगी। दोनों अपने अपने तर्कों के अनुसार अपनी बात को मजबूती के साथ रख रहे थे। तभी दोनों के बीच भगवान के अस्तित्व को लेकर बहस छिड़ गई। नाई ने कहा देखिए भैया मैं आपकी तरह भगवान में विश्वास नहीं रखता हूँ।

यह सुनकर उस बुद्धिमान आदमी ने पूछा परंतु तुम्हें भगवान में विश्वास क्यों नहीं है? नाई ने कहा कि इसका जवाब बहुत सरल है। आप बगल की झोपड़ी में चले जाइए आपको खुद समझ में आ जाएगा कि सच में भगवान हैं या नहीं। उसने पुनः कहा अब आप स्वयं ही सोचिए, यदि भगवान होते तो इतने सारे लोग बीमार होते, क्या इतने सारे बच्चे अनाथ होते


यदि सच में भगवान का अस्तित्व होता तो इतने सारे लोगों के जीवन में दुख तकलीफ नहीं आती। बल्कि उनका जीवन बहुत ही खुशहाल होता। नाई लगातार अपनी बातों को बड़ी मजबूती के साथ रख रहा था। उसकी बात सुनकर बुद्धिमान आदमी चुप रहा क्योंकि वह नहीं चाहता था कि बहस विवाद में बदल जाए। नाई ने अपना काम समाप्त किया और दुकान से बाहर निकल गया। वह आदमी वही खड़ा था।

कुछ देर इंतजार करने के बाद उसकी नजर एक लंबी दाढ़ी मूछ वाले एक व्यक्ति की तरफ गई। वह रास्ते से जा रहा था। उसे देख कर लगता था कि मानो महीनों से उसने अपनी दाढ़ी मूछें नहीं बनाया था। उसे देख वह आदमी तुरंत नाई की दुकान में गया और कहने लगा कि इस दुनिया में कोई नाई नहीं होते हैं? यह सुनकर नाई ने जवाब दिया कि भला यह कैसे हो सकता है?

मैं खुद आपके सामने खड़ा हूँ। मैंने तो कुछ देर पहले ही आपका बाल बनाया है। बुद्धिमान आदमी ने कहा कि नहीं-नहीं वह मैं नहीं जानता। यदि नाई होते तो इस व्यक्ति की इतनी लंबी दाढ़ी मूछ नहीं होती। तुम खुद देख सकते हो कि इस व्यक्ति की कितनी बड़ी-बड़ी दाढ़ी-मूछ हो गई है। नाई ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

अरे नहीं भाई साहब नाई तो होते हैं। लेकिन बहुत सारे लोग नाई के पास नहीं जाते हैं, जिस कारण उनकी दाढ़ी-मूछ बहुत लंबी होती है। उस बुद्धिमान व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा बिल्कुल सही यही तो बात है। भगवान का अस्तित्व और भगवान होते हैं।

परंतु वे उस व्यक्ति के पास कभी नहीं जाते जो ना तो उनके पास जाता है और ना ही उन्हें खोजने का प्रयास ही करता है। इसी कारण दुनिया में इतने सारे दुख और तकलीफ है। यह सुनकर नाई को अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने निश्चय किया कि अब कभी भी भगवान के अस्तित्व पर सवाल नहीं उठाएगा।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि बिना अच्छी तरह से सोच विचार किए हमें किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए।


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शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

मूर्ख कौवा और बंदर की कहानी I Moral Story of Crow and Monkey

मूर्ख कौवा और बंदर की कहानी I Moral Story of Crow and Monkey

सुंदरवन जंगल में एक बंदर और एक कौवा रहता था। उन दोनों के बीच कभी नहीं बनती थी। बंदर और कौवा के बीच हमेशा किसी ना किसी बात पर बहस छिड़ ही जाती थी। बारिश का मौसम आने वाला था। इसी को ध्यान में रखते हुए कौवा हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अपने लिए एक घोंसला बनाना शुरु किया। बारिश के समय में बहुत तेज आंधी तूफान भी आती थी।

Crow Monkey Motivational Stories

इसीलिए कौवा ने एक बहुत ही मजबूत और सुंदर सा अपना एक घोंसला बनाया। ताकि बारिश के समय वह खुद को सुरक्षित रख सके। कुछ दिनों बाद बारिश का मौसम आ गया। एक दिन अचानक जोर-जोर से बिजली कड़कने लगी और देखते ही देखते मुसलाधार बारिश होने लगी। अचानक इस बारिश को देख। सभी जानवर अपने-अपने घरों की तरफ भागने लगे।

कौवा भी तेजी से अपने घोंसले में वापस आ गई और आराम करने लगी। अभी कुछ समय बीता ही था कि वह बंदर भी खुद को छुपाने के लिए एक पेड़ के नीचे आ पहुंचा। उसे देख कौवा ने कहा कि हमेशा इधर उधर घूमने में अपना समय बर्बाद करते हो भला ऐसे मौसम से बचने के लिए अपने लिए एक घर क्यों नहीं बना लेते? बंदर चुप रहा और खुद को बचाने के लिए पेड़ की आड़ में छिपने की कोशिश करने लगा।


कुछ देर बाद कौवा ने फिर से कहा कि पूरी गर्मी इधर-उधर आलस में बिता देते हो। यदि आज अपने लिए एक सुंदर सा घर बनाया होता तो इस तरह बारिश में भींगने की नौबत नहीं आती। यह सुन बंदर ने गुस्से में कहा तुम अपने काम से काम रखो। तुम अपनी चिंता करों। मैं अपने लिए घर बनाऊँ या नहीं बनाऊँ तुम्हें इससे क्या? यह बोल बन्दर फिर से खुद को बारिश से बचाने में जुट गया।

चूँकि बहुत तेज मूसलाधार बारिश हो रही थी और बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। अब बन्दर ठण्ड से और भी काँप रहा था। उसे ठण्ड में कांपता देख कौवे ने फिर उस बंदर से कहा की काश! यदि तुमने भी मेरी तरह बुद्धिमानी दिखाई होती तो आज इस बारिश में इस तरह भींगते नहीं। यह सुनकर बंदर से अब रहा नहीं गया।

वह गुस्से में पेड़ पर चढ़ने लगा। वह बोल रहा था कि यह सच है कि मुझे घर बनाना नहीं आता। लेकिन घर तोड़ना आता है। यह कहते हुए वह झट से पेड़ पर चढ़ा और कौवा के घोसले को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। अब कौवा भी बंदर की तरह बेघर हो चुकी थी और ठंड से कांप रही थी। उसे अपनी गलती का एहसास हो चुका था। लेकिन अब कर भी क्या सकती थी?
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि यदि हम किसी व्यक्ति को मुसीबत में देखेते हैं तो उसकी मदद करनी चाहिए। यदि हम उसकी मदद करने में असमर्थ हैं तो हमें व्यर्थ की नसीहत नहीं देनी चाहिए।

यदि हम भी बार-बार व्यर्थ का उपदेश देंगे तो हमारा हाल भी उस कौवा की तरह ही होगा। इसलिए बेकार में लोगों को उपदेश नहीं देना चाहिए।


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राजा और डाकू तोते की कहानी I King and Tota Moral Stories

राजा और डाकू तोते की कहानी I King and Tota Moral Stories

एक राज्य में बहुत शक्तिशाली राजा राज्य करता था। वह बहुत दयालु राजा था। इसलिए उसकी ख्यति आस-पास के गांव में भी फैली हुई थी। वह हमेशा अपनी प्रजा के हित में ही कार्य करता था। उसके शासन व्यवस्था को देख सभी लोग खुश थे। एक बार राजा अपने सैनिकों व मंत्रियों के साथ शिकार करने के लिए जंगल में निकल पड़ा। काफी समय तक वह जंगल में घूमता रहा।

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परंतु उसे कोई भी शिकार नहीं मिला। शिकार की खोज में वह धीरे-धीरे घने जंगल में आगे की ओर बढ़ता चला गया। कुछ दूर आगे बढ़ने के पश्चात राजा और उसके सैनिकों को एक डाकुओं का समूह दिखाई दिया। अभी वे लोग जैसे ही कुछ दूर और आगे बढ़े थे। तभी अचानक बगल के पेड़ पर एक तोता बैठा हुआ था। जैसे ही उसने राजा और उसके सैनिकों को अपनी ओर आता देखा।

जोर-जोर से बोलने लगा देखो एक राजा हमारी तरफ ही आ रहा है। इसके पास बहुत सारी स्वर्ण मुद्राएं और धन हैं। जल्दी लूटो! इस राजा के पास बहुत सारा धन है। तोते की आवाज सुनकर सभी डाकू राजा जो पकड़ने के लिए दौड़ पड़े। डाकुओं को अपनी ओर आता देख राजा और उसके सभी सैनिक बड़ी तेजी से भागने लगे।

भागते-भागते वे लोग काफी थक चुके थे। और विश्राम करने के लिए जगह खोज रहे थे। तभी उन्होंने एक बड़ा सा पेड़ देखा। वे सभी उस पेड़ के नीचे आराम करने चले गए। जैसे ही वे सभी पेड़ नीचे गए, तभी उस पेड़ पर बैठे तोता बोल उठा आओ राजन! हमारे महात्मा जी की कुटिया में आपका स्वागत है। नि:संकोच अंदर आइए।


जल ग्रहण कीजिए और कुछ समय तक विश्राम कर लीजिए। तोते के इस स्वभाव से राजा को बड़ी हैरानी हुई। वह सोचने लगा कि एक ही प्रजाति दो प्राणियों का व्यवहार इतना अलग कैसे हो सकता है? राजा के मन में यही प्रश्न गूंज रहा था कि दोनों तोते के व्यवहार में इतना अंतर कैसे हो सकता है? यह सोचते हुए राजा तोते की बात मानकर साधु की कुटिया में गया और उन्हें प्रणाम करके उनके समीप बैठ गया।

राजा ने जल ग्रहण किया और अपनी सारी घटना उस साधू बाबा को कह सुनाई। फिर उसने साधु से पूछा कि हे ऋषिवर दोनों तोते के व्यवहार में इतना अंतर क्यों है? साधु ने राजा की बात सुनकर मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि राजा यह सब बस संगति का असर है। डाकू के साथ रह कर वह तोता भी डाकुओं की तरह ही व्यवहार करने लगा था। अर्थात वह जिस संगति में रहा वैसा ही बन गया।

कहने का तात्पर्य यह है कि कोई मूर्ख व्यक्ति भी यदि विद्वानों की संगति में रहता है तो वह भी विद्वान बन जाता है। और यदि विद्वान भी मूर्खों की संगति में रहता है तो उसके अंदर भी मूर्खता वाला गुण आ जाता है। इसलिए हमें अपनी संगति सोच समझकर ही करनी चाहिए क्योंकि इससे हमारा व्यवहार तय होता है।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें हमेशा अच्छे और विद्वान लोगों की ही संगती करनी चाहिए। क्योंकि हम जिस संगत में रहेंगे हमारा व्यवहार भी वैसा ही बन जाता है। इसलिए सोच-समझकर ही संगती करनी चाहिए।


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गुरुवार, 19 नवंबर 2020

प्रेरणादायक सीख : क्रोध का परिणाम I Angry Moral Stories

प्रेरणादायक सीख : क्रोध का परिणाम I Angry Moral Stories

एक गुरुकुल में एक आचार्य शिक्षा देते थे। उस गुरुकुल में बहुत सारे शिष्य शिक्षा ग्रहण करने आते थे। यह आचार्य बहुत बड़े बुद्धिमान व्यक्ति थे, जिनकी ख्यति दूर-दूर तक फैली हुई थी। इसी कारण दूसरे गुरुकुल की अपेक्षा, इस गुरुकुल में अधिक से अधिक शिष्य शिक्षा ग्रहण करने आते थे, एक दिन गुरुजी ने अपने सभी शिष्यों को समुद्र किनारे चलने को कहा। सभी शिष्य तैयार हो गए।

Angry Result Moral Stories in Hindi

शाम होते-होते गुरुजी अपने शिष्यों के साथ समुद्र तट पर जा पहुंचे। सभी शिष्य समुद्र तट के आसपास घूम ही रहे थे। तभी अचानक वहां जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज आने लगी। सभी ने देख कि एक ही परिवार के कुछ लोगों के बीच आपस में मतभेद हो गया। साथ ही साथ वे एक दूसरे पर क्रोधित होकर जोर-जोर से चिल्लाने रहे थे।

यह देख गुरुजी ने अपने शिष्यों से पूछा कि क्रोध में व्यक्ति एक दूसरे के ऊपर चिल्लाता क्यों हैं?


सभी शिष्य सोचने लगे। तभी एक शिष्य ने उत्तर दिया कि क्रोध के समय हमारी मानसिक शांति बिगड़ जाती है। इसलिए हम एक दूसरे पर चिल्लाते हैं। गुरुजी ने पुनः प्रश्न किया- परंतु जब दूसरा व्यक्ति भी हमारे सामने ही खड़ा हो तो उस पर चिल्लाने की क्या आवश्यकता है? जो हम जोर से कहते हैं, वही बात हम धीरे से भी तो कह सकते हैं।

कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास किया। परंतु उनके उत्तर से कोई भी संतुष्ट नहीं हुआ।

अंत में गुरुजी ने विस्तार से समझाया कि जब भी दो व्यक्ति आपस में नाराज होते हैं तो उनके ह्रदय की दूरी एक दूसरे से बढ़ जाती है। इस अवस्था में वह एक दूसरे को बिना चिल्लाये नहीं सुन सकते। वे जितना अधिक क्रोधित होंगे। उनके बीच की दूरी उतनी ही बढ़ती जाएगी और उन्हें उतनी ही ऊंची स्वर में बोलना पड़ेगा।

गुरुजी ने पुनः कहा कि जब भी एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अधिक प्रेम करता है। तब वे एक-दूसरे पर चिल्लाते नहीं हैं। बल्कि धीरे-धीरे से एक दूसरे से बात करते हैं। क्योंकि उनके ह्रदय एक दूसरे के काफी नजदीक होते हैं। और उनके बीच की दूरी नाम मात्र की ही रह जाती है।

एक शिष्य ने तुरंत पूछा और जब दो व्यक्ति एक दूसरे को हद से ज्यादा प्रेम करते हैं तब क्या होता है?

तब गुरूजी ने उत्तर दिया कि जब भी लोग एक दूसरे से अटूट प्रेम करते हैं। तब बोलते नहीं हैं। बल्कि एक दूसरे की ओर देखते रहते हैं और सामने वाले की बात समझ जाते हैं। इसलिए शिष्यों जब भी तुम किसी से बात करो तो हमेशा ध्यान रखना कि तुम्हारे और सामने वाले के बीच ह्रदय की दूरी अधिक ना होने पाए।

इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि कभी भी बात करते हो समय कड़वे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ताकि हमारे और सामने वाले के बीच के दृदय की दूरी अधिक ना बढ़ सके और हम विवादों से बचे रहें।


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प्रेरणादायक कहानी : गधे की बुद्धिमानी । Wise Donkey Stories

प्रेरणादायक कहानी : गधे की बुद्धिमानी । Wise Donkey Stories

एक गांव में एक किसान रहता था। वह जानवरों का व्यापार करता था और उसी से अपने और अपने परिवार का जीवन यापन करता था। उसके पास बहुत सारे जानवर थे। उन्हीं जानवरों में से एक गधा भी था। गधा कई वर्षों से किसान के यहाँ काम करता था। अब वह बूढा भी हो चूका था। एक दिन किसान अपने उस गधे को लेकर खेत पर गया।

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उसके खेत में एक बहुत पुराना और सूखा हुआ कुआं था। गधा घास चर रहा था। चरते-चरते उसका पाँव फिसल गया और वह उस सूखे कुआं में गिर गया। कुआं में गिरते ही उसने जोर-जोर से चिल्लाना शुरु कर दिया। ढेंचू-ढेंचू! उसकी आवाज सुनकर खेत में काम करने वाले मजदूरों ने किसान को बुलाया और कहा कि आपका गधा कुएं में गिर गया है।

किसान आया और उसने देखा कि गधा सच में कुएं में गिर पड़ा है। उसने कुछ देर तक गधे को देखा और मन ही मन सोचने लगा कि यह गधा अब बुढा हो चुका है। अब इस बूढ़े गधे को बचाने से कोई लाभ नहीं। इसे बचाने में मेहनत भी व्यर्थ ही जाएगी। यह सोचते हुए उसने गधे को वहां से बाहर निकालने का विचार त्याग दिया।

तभी किसान के खेत में एक मजदूर काम करता था। उसने किसान से अनुरोध करते हुए कहा कि मालिक इस गधे ने वर्षों तक आपकी सेवा की है। इसे तड़पते हुए मरने देने से अच्छा है कि हम इसे इसी कुआं में दफना दें। किसान ने सहमति में अपना सर हिलाया। फिर दोनों ने निश्चय किया कि इस कुएं में मिटटी डालकर गधे को दफना देंगे।

इधर गधा किसान और मजदूर की बातें सुन रहा था। उसे बहुत दुःख हुआ कि मैंने इतने वर्षों तक अपने मालिक की सेवा की है। इस संकट की घड़ी में मेरे मालिक को मुझे बचाना चाहिए तो वह उसे मारने की योजना बना रहा है। यह सुनकर गधा कभी डर गया। गधा काफी भयभीत हो चूका था और डर से वह कापंने लगा था।


परंतु फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और जान बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना करने लगा। अभी वह इसी विचार में खोया ही था कि उसके शरीर पर मिटटी की बारिश होने लगी। किसान ने कुएं में मिट्टी डालना आरंभ कर दिया। गधे ने मन ही मन सोचा कि कुछ भी क्यों ना हो जाए, वह हिम्मत नहीं हारेगा। किसान भी अन्य मजदूरों की तरह उस कुएं में मिट्टी डालने लगा और उसमें झांक कर देखने लगा।

उसने देखा कि जैसे ही गधे के शरीर पर मिटटी पड़ती है, वह अपना शरीर झटकता है और उछल कर ऊपर चढ़ जाता है। जब भी उस पर मिट्टी डाली जाती है। वह गधा यही करता है। झटकता है और उछल कर ऊपर चढ़ जाता है---- झटकता है और उछल कर ऊपर चढ़ जाता है। किसान समझ चुका था कि अगर वह इसी तरह मिटटी डालता रहा तो गधे की जान बच सकती है।

यह सोच कर किसान जल्दी-जल्दी मिटटी डालने लगा। देखते ही देखते गधा कुएं के मुहाने तक पहुंच गया और मौका देख कर तुरंत जंगल की तरफ भाग गया। गधे को जंगल में भागता देख, किसान और मजदूर को बड़ा आश्चर्य हुआ। किसान को अपनी गलती का एहसास हो गया था। और वह अफसोस करने लगा।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी-कभी हमारे बहुत सावधानी बरतने के बावजूद हम मुसीबत रूपी गड्ढे में गिर जाते हैं। यह स्वाभाविक भी है। परंतु हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। बहुत से लोग बिना प्रयास के ही हार मान लेते हैं।

परंतु जो लोग प्रयास करते हैं, भगवान भी किसी न किसी रूप में उसकी मदद अवश्य करते हैं, यदि गधा लगातार बचने का पास नहीं करता तो उसकी मृत्यु भी निश्चित थी। इसीलिए अगली बार जब भी आप मुसीबत में पड़े तो हिम्मत कभी न हारें।

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मंगलवार, 18 अगस्त 2020

प्रेरणादायक कहानी : तोते की चोंच। Parrot Beak Short Story

प्रेरणादायक कहानी : तोते की चोंच। Parrot Beak Short Story

प्रेरणादायक कहानी : तोते की चोंच। Parrot Beak Short Story-: एक जंगल में एक तोता रहता था। वह हमेशा उदास रहता था। वह अपने घोंसले में ही रहता था। अन्य तोतों की तरह वह न तो कहीं घूमने जाता और ना ही अन्य पक्षियों के साथ खेलता ही था। वह हमेशा दुखी रहता था। एक दिन तोता उदास मन से अपने घोंसले में बैठा हुआ था। तभी वहां एक बंदर आया और तोते को उदास देखकर पूछा कि तुम उदास क्यों हो? तोते ने दुखी होते हुए कहा कि मुझे मेरी चोंच पसंद नहीं है।

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अन्य सभी पक्षियों की चोंच बहुत अच्छी और सुंदर है। बाज,  कोयल, सारस, कौवा आदि सभी पक्षियों की चोंच मुझे अच्छी लगती है। परन्तु मैं ऐसा क्यों हूँ? यह कहकर तोता उदास हो गया। बंदर ने कुछ देर तक सोचा। फिर उसने कहा कि तुम क्यों ना एक बार ज्ञानी काका से मिल आओ। ज्ञानी काका जंगल में सबसे बुद्धिमान तोते के रूप में जाने जाते हैं।

यह तोते ने बंदर को धन्यवाद दिया और ज्ञानी काका के पास तुरंत चला गया। ज्ञानी काका जंगल के बीच एक बहुत पुराने वृक्ष की शाखा पर रहते थे। तोता वहां पहुंचा अपर अपनी समस्या ज्ञानी काका को कह सुनाई। और कहा कि मुझे मेरी चोंच बहुत अटपटी सी लगती है। जबकि जंगल के अन्य पक्षियों बाज, कौवा, कोयल, सारस सभी की चोंच बहुत सुंदर है।

काका ने कुछ देर विचार किया। फिर अचानक उस तोते से बोल उठे। अच्छा यह बताओ क्या तुम केचुआ और कीड़े मकोड़े खाना पसंद करोगे? तोते ने कहा ही ऐसी बेकार चीज़ तो मैं कभी ना खाऊं। काका ने फिर कहा क्या तुम सांप, खरगोश या चूहे को खाना चाहोगे। अब तोते ने नाराज होते हुए उत्तर दिया कि काका आप कैसी बातें कर रहे हैं। मैं एक तोता हूँ। और मैं यह सब खाने के लिए नहीं बना हूँ।

तोते की बात सुनकर काका ने मुस्कुराते हुए कहा, बिल्कुल सही! मैं भी तुम्हें यही समझाने का प्रयास कर रहा हूँ। ईश्वर प्रत्येक प्राणी को कुछ अलग तरीके से बनाया है। जो तुम पसंद करते हैं, वह तुम्हारे दोस्तों को पसंद नहीं आएगा। और तुम्हारे दोस्त को जो पसंद है, वह तुम्हें पसंद नहीं आएगा।

सोचो यदि तुम्हारी चोंच जैसी है वैसी नहीं होती तो क्या तुम अपनी पसंदीदा अखरोट खा पाते ----- नहीं न! इसलिए अपने जीवन का ध्यान यह सोचने में कभी मत लगाओ कि दूसरों के पास क्या है? और क्या नहीं? बस यह ध्यान रखो कि तुम्हारे पास जो गुण है वही सर्व श्रेष्ठ है।

और हमेशा उसे ही विकसित करने में अपना ध्यान लगाओ। ज्ञानी काका की बात सुनकर तोता बहुत खुश हुआ। उसने काका का धन्यवाद किया और खुशी-खुशी वापस अपने घर की ओर लौट गया।

इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी दूसरों के गुणों को देखकर अपनी तुलना उससे नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक प्राणी के अन्दर एक अलग-अलग गुण दिया है। हमें हमेशा अपने अंदर है के गुणों को पहचान कर उसका अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।

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महात्मा जी का उपदेश। Preaching Motivational Story in Hindi

महात्मा जी का उपदेश। Preaching Motivational Story in Hindi

महात्मा जी का उपदेश। Preaching Motivational Story in Hindi-: एक गांव में एक साधू रहते थे। वे हमेशा भगवान का ध्यान भजन किया करते थे। वह गांव के ही एक मंदिर में रहते थे। उनका जीवन यापन गांव में ही भिक्षा मांग कर चलता था। वे सुबह दोपहर भगवान के भजन में लीन रहते और शाम के समय गांव में भिक्षा मांगने चले जाते थे। भिक्षा में जो कुछ भी उन्हें मिलता, उसी से वह संतुष्ट हो जाते थे और पुनः मंदिर में पहुंचकर भगवान के भजन में लग जाते थे। एक दिन यह महात्मा अपने गावं में भिक्षा मांगे निकल पड़े।

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कुछ दूर चलने के पश्चात इन्होंने एक दरवाजे को खटखटाया और बोले भिक्षाम देहि माता! अंदर से एक बूढ़ी औरत बाहर निकली। उसने साधू बाबा से रुकने को कहा। और से घर गई और भिक्षा लेकर वापस आई। उसने साधु बाबा के थैले में भिक्षा देते हुए कहा कि महात्मा जी कोई ऐसा उपदेश दीजिए जो आने वाले भविष्य में काम आ सके। महात्मा जी ने कहा माता आज नहीं कल दूंगा। यह कहकर साधू महाराज वहां से निकल पड़े।

अगले दिन वही साधू बाबा पुनः उसी महिला के घर पहुंचे। दरवाजे पर पहुँचते ही उन्होंने कहा भिक्षाम देहि माता! अन्दर से वही महिला निकली महात्मा जो को थोड़ा रुकने को कहा। उस दिन उस महिला ने अपने घर में खीर बनाया था, जिसमें उसने बादाम-पिसते, काजू ,किसमिस इत्यादि डालकर बनाई थी। वह जल्दी से घर गई और खीर को एक कटोरी में भरकर ले आई।

इधर स्वामी जी ने अपना कमंडल उस महिला की तरफ आगे बढ़ा दिया। महिला जब उस कमंडल में खीर डालने ही वाली थी। तभी अचानक उसने देखा कि कमंडल में गोबर और कुछ कूड़ा-कचड़ा भरा हुआ है। उसके हाथ रुक गए। वह बोली महाराज यह कमंडल तो गंदा है। साधु बाबा ने कहा हां माता गंदा है तो क्या हुआ? तुम इसी कमंडल में खीर डाल दो।

महिला ने कहा नहीं-नहीं महाराज! यदि मैंने इस कमंडल में खीर डाला तो यह खीर खराब हो जाएगा। आप मुझे यह कमंडल दीजिए मैं अभी इसे शुद्ध करके वापस लाती हूँ।

साधु महाराज ने कहा अर्थात यह कमंडल जब साफ हो जाएगा, तभी तुम इसमें खीर डालोगी।

महिला ने उत्तर दिया जी महाराज!

तब महात्मा जी ने कहा मेरा भी यही उपदेश है माता, जब तक अपने मन की चिंताओं का कूड़ा-कचरा साफ नहीं होगा, अपने अंदर अच्छे संस्कार का गुण नहीं होगा। तब तक हर एक उपदेश विष के समान है। यदि सच में उपदेश पाना है तो सर्वप्रथम अपने मन और विचार को शुद्ध करना चाहिए। संस्कारो को अपने जीवन में उतारना चाहिए। तभी सच्चे सुख और आनंद की प्राप्ति हो सकती है।

इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जब तक हम अपने विचारों को नहीं बदलेंगे। तब तक कितना ही उपदेशों को क्यों न ग्रहण करें ? हमारा कल्याण होना असम्भव है।

इसलिए यदि सच में आप उपदेश को ग्रहण करना चाहते हैं तो अपने मन-विचारों को शुद्ध कीजिये। इसी से सच्चे सुख की प्राप्ति हो सकती है।

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सीख देती प्रेरणादायक कहानी : दोस्त का जवाब। Friend's Story

सीख देती प्रेरणादायक कहानी : दोस्त का जवाब। Friend's Story

सीख देती प्रेरणादायक कहानी : दोस्त का जवाब। Friend's Story-: एक गांव में दो मित्र रहते थे। एक का नाम राम और दूसरे का नाम श्याम था। वे दोनों बचपन के मित्र थे। इसलिए उन दोनों में बहुत ही गहरी मित्रता थी। वह जब भी कहीं जाते दोनों साथ में ही जाते थे। एक दिन दोनों ने निश्चय किया कि घूमने के लिए जंगल जाएंगे। अगले दिन दोनों ने रास्ते के लिए आवश्यक खाने पीने की चीजों को एक थैले में डालकर दोनों जंगल की ओर निकल पड़े। कुछ घंटे चलने के पश्चात राम और श्याम दोनों जंगल में पहुंच गए।

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दोनों ने पूरा जंगल घूमा। खूब मौज मस्ती किए। अब उन दोनों को जोरों की भूख लग गई थी। दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ कर खाना खाने लगे। खाना खाते समय बात बात पर ही राम और श्याम के बीच एक बहस हो गई। दोनों एक दूसरे को भला बुरा कहने लगे। बात इतनी बढ़ गई कि राम ने श्याम को एक थप्पड़ जड़ दिया। यह देख श्याम कुछ नहीं बोला और बिल्कुल चुप रहा।

श्याम ने राम के थप्पड़ का ना तो विरोध किया और ना ही उस पर हाथ उठाया, एकदम बल्कि शांत रहा। कुछ देर बाद दोनों ने अपनी यात्रा पुनः प्रारंभ किया। परंतु झगड़े के कारण दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर रहे थे और चुपचाप आगे बढ़ रहे थे। कुछ दूर आगे जाने पर राम का पैर एक दलदल में फंस गया। वह उस दलदल से निकलने का बहुत प्रयास कर रहा था। परन्तु वह धीरे-धीरे दलदल में धंसता ही जा रहा था।

उसे दलदल में फंसता देख श्याम ने बिना समय गवाएं अपने मित्र राम की मदद की और उसने तुरंत उसे उस दलदल से बाहर निकाला। श्याम के इस स्वभाव को देख राम से रहा नहीं गया। और उसने श्याम से पूछा कि मैंने तो तुम्हें थप्पड़ मारा था। फिर भी तुमने मेरी जान बचाई। ऐसा क्यों? श्याम ने उत्तर दिया- तुम उस समय बहुत क्रोध में थे।

यदि किसी से गलती हो जाए तो हमें उसे क्षमा कर देनी चाहिए। उसे अपने मन के अंदर अधिक समय तक नहीं बैठाना चाहिए। बल्कि गलती करने वाले इंसान को अपनी गलती सुधारने का एक अवसर देना चाहिए। श्याम की बातें सुनकर राम स्वयं को लज्जित महसूस कर रहा था।

उसने अपने मित्र श्याम से क्षमा मांगी और निश्चय किया कि आज के बाद कभी भी क्रोध में आकर कोई गलत कदम नहीं उठाएगा। साथ ही साथ क्रोध के समय स्वयं को शांत रखेगा। ताकि भविष्य में ऐसी गलती दोबारा ना हो। फिर यह कहते हुए दोनों मित्र अपने घर की ओर लौट गए।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि यदि किसी व्यक्ति से गलती हो जाए तो उसे हमें अधिक समय तक अपने मन में नहीं बैठना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से उसके प्रति द्वेष की भावना उत्पन्न होती है। बल्कि गलती होने पर हमें उस इंसान को क्षमा करनी चाहिए और उसे गलती सुधारने का एक अवसर प्रदान करना चाहिए।

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प्रेरणादायक कहानी : फूटा घड़ा। Broken Pot Hindi Moral Story

प्रेरणादायक कहानी : फूटा घड़ा। Broken Pot Hindi Moral Story

प्रेरणादायक कहानी : फूटा घड़ा। Broken Pot Hindi Moral Story-: एक गांव में श्यामलाल नामक एक किसान रहता था। उसके पास एक छोटा सा खेत था, जिसमें वह खेती करता था। श्यामलाल एक निर्धन किसान था। इसलिए इसके जीवन यापन का मूल स्रोत खेती ही था। पैसों की कमी के चलते श्यामलाल को खेती की सिंचाई करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था क्योंकि उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह मोटर द्वारा अपनी खेती का सिंचाई कर सके। सिंचाई के लिए वह दूसरे गांव से पानी लाता था।

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उसके पास दो घड़ा था, जिसे वह एक डंडे और रस्सी की मदद से बांधकर अपने कन्धों पर लाता था। उनमें से एक घड़े में एक छोटा सा छेद था, जबकि दूसरा घड़ा बिल्कुल सही था। एक घड़े के फूटे होने के कारण, श्यामलाल जब भी पानी लेकर दूसरे गांव से अपने खेत तक आता तो उसके पास केवल डेढ़ घड़ा ही पानी बचता था। आधे घड़े का पानी रास्ते में गिर जाता था। ऐसा कई सालों से चलता आ रहा था।

सही घड़े को इसी बात का घमंड था कि वह पूरा पानी खेत में पहुंचाता है और उसके अंदर कोई कमी नहीं है। वहीं दूसरी तरफ फूटा घड़ा स्वयं को लज्जित महसूस करता था कि वह आधा पानी ही खेत तक पहुंचा पाता है। उसे हमेशा इस बात का दुःख होता था कि इस गरीब किसान की मेहनत बेकार चली जाती है। जब बार-बार सही घड़े ने फूटे घड़े को ताना मारा एक दिन फूटे घड़े ने किसान से कहा कि सुनो भाई मुझे तुम फेंक क्यों नहीं देते हो?

किसान ने पूछा ऐसा क्यों? तब फूटे घड़े ने बताया कि उसके अन्दर एक छिद्र है, जिसके कारण वह आधा पानी ही ला पाता है। और किसान की सारी की सारी मेहनत व्यर्थ चली जाती है। मेरी अंदर यह एक बहुत बड़ी कमी है। इसलिए मैं चाहता हूं कि आप एक नए घड़े ले आएं और मुझे फेंक दें। घड़े की बात सुनकर किसान ने मुस्कुराते हुए कहा कि कोई बात नहीं!

मैं चाहता हूँ कि आज तुम वापस लौटते वक्त रास्ते में उगने वाले फूलों को देखना। फूटे घड़े ने वैसा ही किया वह रास्ते भर सुंदर सुंदर फूलों को दिखने लगा। ऐसा करने से कुछ समय के लिए वह खुश हुआ। परंतु खेत पहुंचते ही उस घड़े का आधा पानी गिर चुका था। इसलिए वह फिर से मायूस हो गया।

उसे मायूस होता देख किसान ने कहा कि शायद तुमने ठीक से नहीं देखा कि रास्ते में जितने भी रंग-बिरंगे फूल लगे थे वह बस तुम्हारी तरफ थे। जबकि सही घड़े की तरफ एक भी फूल नहीं थे। ऐसा इसलिए था, क्योंकि मैं तुम्हारे अंदर की कमी को जानता था और इसका लाभ उठाने के लिए मैंने तुम्हारे तरफ आने वाले रास्तों पर रंग-बिरंगे फूलों के बीज लगा दिए थे।

तुम रोज थोड़ा-थोड़ा करके उन्हें सींचती रही जिसके कारण रास्ते पर बहुत सारे खूबसूरत फूल दिखने उगे थे। उस फूल को बाजार में बेचकर मैं कुछ पैसा कमा पाता हूँ। सोचो यदि तुम्हारे अन्दर एक छिद्र नहीं होता तो भला क्या मैं यह सब कर पाता? किसान की बात सुनकर फूटे घड़े के अंदर जोश भर गया और उसने किसान अपने अन्दर की खूबियाँ बताने के लिए किसान का बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।

इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि प्रत्येक व्यक्ति के अंदर कोई ना कोई कमी अवश्य होती है। यही कमियां हमें अन्य लोगों से अलग बनाती है। जरुरत है तो बस उस किसान की तरह अपनी कमियों को ध्यान में रखते हुए अपनी खूबियों से लाभ लेने की। जब भी हम ऐसा करेंगे तब हमें भी उस फूटे घड़े की तरह ही मूल्यवान हो जाएंगे।

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