बाज और किसान की कहानी - Eagle & Farmer Inspirational Story
बाज और किसान की कहानी - Eagle & Farmer Inspirational Story-: बहुत पुरानी बात है। वाटिकापुर में महाराजा हर्षवर्धन राज्य करते थे। उनकी शासन में वहां की प्रजा बहुत ही खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर रही थी। किसी को भी कोई समस्या नहीं थी। एक बार महाराजा हर्षवर्धन को उनके एक मित्र ने दो बाज उपहार स्वरूप भेंट किया। दोनों ही बाज बड़ी अच्छी नस्ल के थे। राजा ने कभी भी इतना शानदार बाज नहीं देखा था। इसलिए वह दोनों बाज से बहुत खुश थे।
राजा ने उनकी देखभाल करने के लिए एक अनुभवी व्यक्ति को भी नियुक्त कर दिया था। ताकि दोनों बाजों की अच्छी तरह से देखभाल हो सके। कुछ महीने बीत गए। एक दिन राजा को मन हुआ कि वह अपने दोनों बाजों का करतब देखें। यह सोच वह उस जगह पर पहुंच गए। जहां बाज को रखा गया था। राजा ने देखा कि दोनों बाज काफी बड़े हो चुके हैं और वह पहले से और भी शानदार हैं।
राजा ने बाजों की देखभाल करने वाले व्यक्ति को आदेश दिया कि मैं इनकी उड़ान देखना चाहता हूं। तुम इन्हें उड़ने का इशारा करो। उस व्यक्ति ने राजा के आदेशानुसार बाज को उड़ने का इशारा दे दिया। बाज आकाश ने बहुत ऊंचाइयों तक उड़ने लगे। यह देख राजा बहुत खुश हुआ। पर यह क्या एक बाज तो आसमान में ऊंचाइयों को छू रहा था।
जबकि दूसरा बाज कुछ दूर तक उड़ा और वापस अपने डाल पर ही आकर बैठ गया। यह देख राजा को कुछ अजीब सा लगा। उसने उस आदमी को बुलाया और पूछा कि यह दूसरा बाज आसमान में उड़ क्यों नहीं रहा है? यह तो अपने डाल पर आकर बैठ गया है।
तब देखभाल करने वाले व्यक्ति ने बड़ी ही विनम्रता से कहा महाराज इस बाज के साथ शुरु से ही यही समस्या है। वह इस डाल को छोड़ता ही नहीं है। मैंने बहुत कोशिश किया। परन्तु फिर फिर भी वह आसमान में उड़ने के लिए तैयार नहीं है।
राजा को दोनों बाज बहुत प्रिय थे और वह चाहते थे कि दूसरा बाज भी पहले बाज की तरह आसमान में ऊंचाइयों तक उड़े। अगले दिन महाराज ने अपने राज्य में घोषणा करवाई कि जो भी व्यक्ति इस दूसरे बाज को आसमान में ऊंचा उड़ाने में कामयाब होगा, उसे बहुत सारा पुरस्कार दिया जाएगा।
फिर क्या था एक से बढ़कर एक विद्वान, तांत्रिक, महात्मा सभी आए सभी ने बहुत प्रयास किया। परंतु कोई भी उस बाज को उड़ाने में सफल नहीं हो सका। क्योंकि बाज थोड़ा सा आसमान में उड़ता और फिर वापस आकर उसी डाल पर बैठ जाता। इस तरह से महीनों बीत गए।
एक दिन एक किसान आया और उसने राजा से अनुरोध किया कि उसे भी बाज को उड़ाने का एक मौका दिया जाए। उस किसान को देखकर महाराज और राज दरबार में उपस्थित किसी भी व्यक्ति को नहीं लग रहा था कि इस साधारण किसान से बाज उड़ पाएगा। परंतु किसान के बार-बार अनुरोध करने पर राजा तैयार हो गए और उसे बाज को उड़ाने के लिए 2 दिनों का समय दिया।
दो दिनों बाद वह किसान वापस राज दरबार में आया। राजा ने उसे ढेरों स्वर्ण मुद्राएं उपहार स्वरूप भेंट किया और कहा कि मैं तुम से बहुत प्रसन्न हूं। बस तुम इतना बताओ कि जिस बाज को उड़ाने में इतने बड़े-बड़े विद्वान और असफल हो गए वहां तुम एक साधारण से किसान ने कैसे कर दिया?
राजा की बात सुनकर किसान ने हाथ जोड़ते हुए कहा- महाराज मैं तो एक साधारण सा किसान हूं। यह सत्य है कि मैं अधिक पढ़ा लिखा नहीं हूं। मैंने तो बस उस डाल को ही काट दिया जिस पर वह दूसरा बाज बैठने का आदी हो चुका था और जब वह डाल ही नहीं रहा तो वह भी अपने साथी के साथ आसमान में उड़ने लगा।
किसान की बात सुन राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उसे बहुत सारा और पुरस्कार दिया। किसान ने राजा को धन्यवाद दिया और अपने घर की ओर चल दिया।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से आने यही सीख मिलती है कि कई बार हम जो कार्य कर रहे होते हैं, उसके इतने आदि हो चुके होते हैं कि हम ऊंची उड़ान भरने की या कुछ बड़ा करने की काबिलियत को ही भूल जाते है।
यदि आप सालों से किसी ऐसे ही काम में लगे हैं जो आपके हिसाब से सही नहीं है तो एक बार आपको विचार करने की आवश्यकता है कि कहीं आपको भी उस डाल को काटने की जरूरत तो नहीं जिस पर आप अभी बैठे हुए हैं।
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