भगवान और किसान की प्रेरणादायक कहानी। Farmer Hindi Kahani
भगवान और किसान की प्रेरणादायक कहानी। Farmer Hindi Kahani-: पालनपुर नामक गावं में एक निर्धन किसान रहता था। उसका नाम मुनिलाल था। मुनिलाल बहुत ही निर्धन किसान था। उसके पास जमीन एक टुकड़ा था। जिसपर पर खेती करता और उससे जो फसल उपजती उसी से अपना और अपने परिवार का जीवन यापन करता था। मुनिलाल हमेशा भगवान से नाराज रहता था। हमेशा ही ईश्वर को भला-बुरा कहता था।
वह ऐसा इसलिए करता था क्योंकि जब वह फसल बोता तब कभी-कभी बाढ़ आ जाती, कभी सुखा पड़ जाता, कभी बहुत तेज धूप निकल आती तो कभी ओले पड़ने लगते जिसके कारण हर साल मुनिलाल का थोड़ी फसल खराब हो जाती थी।
एक दिन मुनिलाल भगवान से बहुत नाराज हो गया और उसने मन ही मन भगवान से कहा कि देखिए प्रभु आपको खेती-बाड़ी करना नहीं आता। यदि आप मुझे एक मौका दे तो मैं आपको सिखा सकता हूँ कि खेती कैसे की जाती है। जब मैं खेती करूँगा तब फसल बहुत अच्छी होगी और मैं अन्न का भण्डार लगा दूंगा। बस एक मौका दे दीजिये।
भगवान पहले तो मुस्कुराये फिर उन्होंने मुनिलाल से कहा ठीक है तुम इस बार फसल लगाओ। तुम जैसा कहोगे मैं वैसा ही मौसम दूंगा। तुम्हारे इच्छानुसार ही मैं कार्य करूँगा।
मुनिलाल बहुत खुश हुआ। उसने मन ही मन सोच इस बार तो बहुत फसल होगी। इन सारे फसल को मंडी में बेचकर बहुत सारा धन कमाऊंगा। इस तरह तो मैं बहुत जल्द ही अमीर बन जाऊंगा।
किसान ने गेहूँ का फसल बोया। जब धूप चाही धूप मिला, जब पानी चाही पानी मिला। उसने तो आंधी-तूफान, ओले, आने ही नहीं दी। फसल बहुत तेजी से बढ़ने लगी। किसान बहुत खुश हुआ कि इस बार भगवान को पता चल जायेगा कि खेती कैसे होती है।
फसल काटने का समय आया। किसान पहुंचा खेत पर और फसल काटना शुरू किया। उसने जैसे ही फसल काटी तब छाती पीटने लगा। क्योंकि गेहूँ की किसी भी बाली के अन्दर अन्न का दाना था ही नहीं। सारी की सारी बालियाँ खाली थी। उसने दुखी होते हुए कहा यह क्या प्रभु ? इसमें तो अन्न का दाना ही नहीं है!
तब भगवान बोले,
ये तो होना ही था। तुमने तो इस गेहूँ के पौधों को संघर्ष करने ही नहीं दिया। ना तेज धूप में उनको तपने दिया, ना आँधी से उन्हें जूझने दिया। तुमने उन्हें चुनौती का सामना नहीं करने दिया। इसलिए यह पौधे खोखले के खोखले रह गए। जब तेज वर्षा होती, आँधी आती, ओले गिरते तब पौधे अपने बल पर खड़ा रहते। अपने अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष करते। तभी उनमें दाना होता। परन्तु तुमने तो उन्हें आरामदायक स्थिति में छोड़ दिया जिसके कारण वह खोखले रह गए।
यह सुन किसान को अपनी गलती का एहसास हो गया। उसने भगवान से क्षमा मांगी और निश्चय किया कि अब कभी भी ऐसा नहीं करेगा।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि ठीक इस गेहूँ के पौधों की तरह हमारे जीवन में भी संघर्ष नहीं होगा, चुनौतियों का सामना नहीं होगा। तब तक हमारे अन्दर अनुभवों की कमी रहेगी, जिसके कारण हम जीवन में सफल नहीं हो सकते। इसलिए यदि अधिक सफल होना है तो चुनौतियों को स्वीकार करें।
क्योंकि सोने को भी एक सुन्दर आभूषण बनने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। आग में तपना, हथौड़ी से पिटने, गलने जैसी परिस्थिति से गुजरना पड़ता है। तभी वह सुन्दर आभूषण बन पाता है। इसलिए चुनौतियों से घबराएँ नहीं। बल्कि डटकर उसका मुकाबला करें।
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