शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

पंचतंत्र की कहानियाँ : दो मुंहवाला पंछी। Stories of Hindi

पंचतंत्र की कहानियाँ : दो मुंहवाला पंछी। Stories of Hindi

पंचतंत्र की कहानियाँ : दो मुंहवाला पंछी। Stories of Hindi-: सुंदर वन नामक जंगल में एक बहुत ही सुंदर पक्षी रहती थी। यह पक्षी अपने आप में बहुत अद्भुत थी। क्योंकि इस अनोखे पक्षी के पास दो मुंह थे। इसका सिर्फ मुंह ही दो थे। बाकी शरीर का सभी अंग सामान्य पक्षियों की तरह ही थे। इस पक्षी का पेट एक ही था। यह पक्षी हमेशा झील के किनारे घूमते थे। कभी पेड़ों के आसपास भी घूमते थे।

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एक दिन यह पक्षी जंगल में टहल रहे थे। तभी उसमें से एक मुंह की नजर एक मीठे फल पर पड़ी। उसे देखकर उसके मन मुंह में पानी आ गया। और वह बहुत खुश हुआ। उसने जल्दी से फल के पास गया और उसे खाने लगा। फल बहुत ही स्वादिष्ट और मीठा था। उसने फल को खाते हुए दूसरे मुंह से कहा यह तो बेहद स्वादिष्ट और रसीला फल है। इसे खाकर तो मजा आ जाएगा।

उसकी बात सुनकर दूसरे मुंह ने कहा मुझे भी फल खाने को दो। मैं भी इसे थोड़ा सा खाना चाहती हूं। पहले मुंह ने कहा अरे तुम इसे खा कर क्या करोगे? या एकदम शहद जैसा मीठा है। वैसे भी हमारे पेट तो एक ही है। इसलिए मैं खाऊं या तुम क्या फर्क पड़ता है? यह कहते हुए पहले मुंह ने उस मीठे फल को खा लिया।

यह देख दूसरे मुंह को बहुत गुस्सा आया। परन्तु उसने कुछ नहीं कहा। उसने सोचा कि यह कितना स्वार्थी है। उसने पहले मुहं से बातचीत करना बंद कर दिया और मन ही मन निश्चय किया कि वह अपने इस अपमान का बदला अवश्य लेगी। कुछ दिनों तक दोनों में बातचीत बंद थी। फिर एक दिन वे उसी बगीचे में घूम रहे थे। तभी दूसरी मुंह की नजर एक फल पर पड़ी जो की बहुत ही जहरीला था।

उसने सोचा कि बदला लेने का यही सही मौका है। यह सोचकर उसने पहले मुंह से कहा कि मुझे यह फल खाना है। पहले मुंह ने दूसरे मुंह से विनती करते हुए कहा कि नहीं-नहीं इस फल को मत खाओ। यह फल बहुत ही जहरीला है और इसे खाकर हम मर जाएंगे।

दूसरी मुंह ने कहा नहीं-नहीं मैं इसे जरुर खाऊँगी, तुम्हें इससे क्या? पहले मुंह ने गिरगिराते हुए कहा, हमारे मुंह भले ही दो है। लेकिन पेट तो एक ही है। तुम इस फल को यदि खा लोगे तो हम दोनों की मौत हो जाएगी। इसलिए इस जहरीले फल को मत खाओ।

लेकिन दूसरे मुंह ने पहले मुंह की एक न सुनी और उसने वह जहरीला फल खा लिया। धीरे-धीरे जहर ने अपना प्रभाव दिखाना शुरु कर दिया और देखते ही देखते दो मुंह वाले इस अनोखी पक्षी का अंत हो गया।

इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें कभी भी अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की हानि नहीं पहुंचाना चाहिए। हमेशा सभी के हितों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि स्वार्थ हमेशा खतरनाक होता है।

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