जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा । Panchtantra Ki Kahani
जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा । Panchtantra Ki Kahani-: यह बिल्कुल सही बात है कि जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा. हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है कि हमारे द्वारा किये गए प्रत्येक अच्छे और बुरे कर्म का फल हमें अवश्य ही मिलता है और इसी अच्छे और बुरे कर्म के कारण हमारे जीवन में परेशानियां आती हैं. इसलिए हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा ।
जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा । Panchtantra Ki Kahani |
कि जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा. हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है कि हमारे द्वारा किये गए प्रत्येक अच्छे और बुरे कर्म का फल हमें अवश्य ही मिलता है और इसी अच्छे और बुरे कर्म के कारण हमारे जीवन में परेशानियां आती हैं.
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एक समय की बात है. रामपुर गावं में एक राजा रहता था. वह अक्सर अपने राज दरबारियों और मंत्रियों की परीक्षा लेता रहता था. एक दिन उसने अपने तीन खास मंत्रियों को राज दरबार में बुलाया और तीनो को यह आदेश दिया कि एक-एक थैला लेकर बगीचे में जायें और वहाँ से अच्छे अच्छे फल तोड़ कर उस थैले में लायें.
तीनो मंत्री राजा के आदेशानुसार एक-एक थैला लेकर बगीचे में फल लेने चला गया.
बगीचे में जाकर पहले मंत्री ने सोचा कि राजा के लिए अच्छे-अच्छे फल तोड़ लेता हूँ ताकि राजा मुझसे प्रसन्न हो जाए. यह सोचकर उसने बगीचे बहुत ही से अच्छे-अच्छे फल तोड़ कर थैले में भर लिया.
दूसरे मंत्री ने सोचा कि "राजा तो फल खायेगा नहीं और तो और वह फलों को देखेगा भी नहीं". यह सोचकर उसने अच्छे-बुरे सभी फल तोड़कर जल्दी से अपने थैले में भर लिया.
अब तीसरे मंत्री ने सोचा कि "वैसे भी राजा तो सिर्फ मेरे भरे हुए थैला ही देखेगा" इसलिए फल तोड़ने में समय क्यों बर्बाद किया जाए. ऐसा सोचकर उसने घास फूस अपने थैले में भर लिया और तीनो मंत्री राजदरबार की ओर चल पड़े.
राजा ने तीनों मंत्रियों को आता देख बिना उसके थैले को चेक किये उन तीनो को एक माह के लिए जेल में बंद होने का आदेश दे दिया और अपने सैनिकों को भी यह आदेश दिया कि इन तीनों को कुछ भी खाने को नहीं दिया जाय. ये बगीचे से जो फल लाये हैं इसे खाकर ही अपना गुजारा करेंगे.
अब जेल में तीनो मंत्रियों के पास अपने-अपने थैलो के अलावा और कुछ उनके पास नहीं था. पहले मंत्री जिसने अच्छे-अच्छे फल चुने थे, वह आराम से से फल खाता हुआ एक महीनें गुजार लिए.
दुसरा मंत्री जिसने अच्छे-बुरे फल लाये थे. वह कुछ दिन तक तो अच्छे-अच्छे फल खाकर आराम से रहा परन्तु जब अच्छे फल समाप्त हो गए और उसने सड़े-गले फल खाने शुरू कर दिया तो वह बीमार पड़ गया और किसी तरह बड़ी मुश्किल से उनसे एक माह व्यतीत किया.
लेकिन तीसरा मंत्री जो अपने थैले में घास-फूस भर लिया था. वह कुछ ही दिनों में भूख से मर गया.
इस कहानी में पहले मंत्री की तरह अच्छे कर्म करने चाहिए. यदि दूसरे मंत्री ने राजा की बात मान ली होती तो वह बीमार नहीं पड़ता और तीसरे मंत्री की मौत भूख से नहीं होती. इसलिए हमें हमेशा अच्छे कर्मे करना चाहिए क्योंकि जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा.
बहुत ही महान कवि कबीरदास ने भी अपने दोहे के माध्यम से यही बताया है कि जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा
"करता था सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताय,
बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय."
कई बार हमसे अनजाने में गलती हो जाती है तो कई बार हम जान बूझकर गलत काम करते हैं. जब हम जान बूझकर गलत काम करते हैं तो उस समय हमें आनंद आता है परन्तु आगे चलकर हमें परेशानी उठानी पड़ती हैं और उस समय हमें यह अहसास होता है कि काश ! हम ऐसा न किया होता तो शायद आज इस मुश्किल में ना पड़ते.
हमें अपने कर्मों का फल आज नहीं तो कल अवश्य ही भोगना पड़ता है. इस बात को चरितार्थ करता है एक बहुत अच्छी कहावत "बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय" अर्थात यदि हम बबूल का पेड़ लगायेंगे और उम्मीद करेंगे कि हमें आम का फल प्राप्त हो तो यह असंभव है.
इस कहानी से सीख-: यदि हमने किसी भी व्यक्ति को जान बूझकर कष्ट पहुँचाया है, धोखा दिया है, किसी के साथ गलत काम किया है या किसी को बदनाम किया है तो हमें भी अपने द्वारा किये गए बुरे कर्म का फल अवश्य ही भुगतना पड़ेगा. क्योंकि जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा.
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