शुक्रवार, 12 जून 2020

समझदारी के साथ दिशा भी जरूरी है । Inspirational Moral Stories

कंजूस सवारी और ड्राईवर । Inspirational Moral Stories

यह कहानी कंजूस सवारी और ड्राईवर । Inspirational Moral Stories या नहीं' इसी बात पर आधारित है. कई बार हम किसी काम को करने का पूरा मन बना लेते हैं, हममें उस काम को करनी सारी योग्यताए भी उपलब्ध होती है लेकिन फिर भी हम अपने काम में असफल हो जाते हैं.

कंजूस सवारी और ड्राईवर । Inspirational Moral Stories
कंजूस सवारी और ड्राईवर । Inspirational Moral Stories

कंजूस सवारी और ड्राईवर । Inspirational Moral Stories-: एक बार एक बहुत ही हट्टा-कट्टा व्यक्ति ट्रेन से उतरा और एक टैक्सी वाले से कहा कि उसे डिफेन्स बिल्डिंग में जाना है. टैक्सी वाले ने कहा- सौ रुपये लगेगे. उस व्यक्ति ने बुद्धिमानी दिखाते हए कहा-इतने पास होने के बाद भी सौ रुपये, तुम लोग तो लूट रहे हो. मैं स्वयं ही अपने सामान को लेकर डिफेन्स बिल्डिंग चला जाऊंगा.

वह व्यक्ति अपना सामन लेकर काफी दूर तक जा पहुंचा. वह जब पीछे मुड़ा तो देखा कि वही टैक्सी वाला उसके पीछे-पीछे आ रहा है. उस व्यक्ति ने कहा-अब तो आधे से ज्यादा दूरी तय हो गई है, अब कितना लोगे ?  तब टैक्सी वाले ने कहा- दो सौ रुपये. उस व्यक्ति ने कहा-पहले सौ रुपये, अब दो सौ रुपये, ऐसा क्यों. टैक्सी वाले ने जवाब दिया- महाशय, इतनी देर से आप डिफेन्स बिल्डिग की विपरीत दिशा में दौड़ लगा रहे हैं, डिफेन्स बिल्डिग दूसरी ओर है. वह व्यक्ति बिना कुछ कहे चुपचाप टैक्सी में जाकर बैठ गया.

आप स्वयं भी सोच कर देखिये कि यदि मैदान में क्रिकेट का मैच चल रहा हो और बाउंड्री का ही पता नहीं हो किधर चौका-छक्का लगाना है तो मैच का मजा ही किरकिरा हो जायेगा और परिणाम कुछ भी नहीं मिलेगा.

यदि दिशा गलत हो तो जुनून, ताकत, योग्यता और बुद्धिमत्ता होने के बाद भी हम अपने जीवन में सफल नहीं हो सकते. इसलिए जब भी अपना लक्ष्य निर्धारित करें तो इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि आप जिस रास्ते पर जा रहें हैं वह आपके लक्ष्य के नजदीक ले जा रहा है या नहीं. 

कई बार हम गंभीरता से सोचे बिना जो कार्य शुरू कर देते है और फिर मेहनत व समय दोनों व्यर्थ चला जाता और साथ ही साथ उस कार्य को बीच में ही छोड़ना पड़ता है.

"बड़ी बातें सोचो, बहुत तेज सोचो और दूसरों से पहले सोचो क्योंकि विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है"  -धीरू भाई अंबानी ने कहा था

इस कहानी से सीख -: किसी भी योजना या कार्य को हाथ में लेने के पहले यह जरुर सोच लीजिए कि क्या वह आपके लक्ष्य का हिस्सा है. क्या आप वाकई पूरी गंभीरता से उस दिशा में जाना चाहते है और यदि एक बार दिशा के बारे में आश्वस्त हो जाएँ तो अपना पूरा ध्यान अपने लक्ष्य पर टिका दीजिये और आप पाएंगे कि आप अपने  लक्ष्य के बहुत नजदीक आ चुके हैं. 

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