पंचतंत्र कहानी: चतुर लोमड़ी और शेर- Panchatantra Short Stories
कहानी का सारांश-: यह चालाक लोमड़ी और शेर की कहानी है। इसमें शेर और लोमड़ी के बीच शिकारों का बंटवारा होता है। कैसे भूखी लोमड़ी ने अपनी चतुराई से अपने प्राण बचाई।
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पंचतंत्र कहानी: चतुर लोमड़ी और शेर- Panchatantra Short Stories |
पंचतंत्र कहानी: चतुर लोमड़ी और शेर- Panchatantra Short Stories-: बहुत समय पहले की बात है। वनगिरी नामक एक जंगल में एक शेर रहता था। उसी जंगल में एक लोमड़ी और एक गधा भी रहता था। एक बार शेर को एक शिकारी ने अपने जाल में पकड़ लिया था।
तब लोमड़ी और गधे ने मिलकर अपनी सूझ-बूझ से शेर को उस शिकारी के चंगुल से बचाया था। तभी से गधे, शेर और लोमड़ी की आपस में मित्रता हो गई। तीनों मित्र ने आपसी विचार विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया कि तीनों साथ में मिलकर शिकार करेंगे।
जो भी शिकार होगा, उसे तीन बराबर-बराबर भागों में हिस्सा करके आपस में बाँट लेंगे। तीनों मित्र जंगल में शिकार की तलाश में भटकने लगे। कुछ दूर आगे जाने पर उन तीनों ने देखा कि एक हिरण घास अपनी मस्ती में घास चर रहा है। हिरण ने इन तीनों को नहीं देखा था। इसलिए वह बेखबर होकर आराम से अपना भोजन कर रहा था।
लेकिन जैसे ही हिरण ने देखा कि शेर उसकी तरफ ही आ रहा है। वह भोजन छोड़ कर तेजी से भागने लगी। हिरण को भागता देख शेर, गधे और लोमड़ी भी अलग-अलग दिशा में उसके पीछे-पीछे भागने लगे।कुछ दूर तक भागने के बाद हिरण थक चुका था, क्योंकि वह अकेला था और उसके पीछे तीन और जानवर पड़े हुए थे।
आखिर वह थक कर रुक गया। इधर मौका पाकर शेर ने हिरण पर जोरदार हमला कर दिया और कुछ ही क्षणों में शेर ने अपने नुकीले दांतों से हिरण को ढेर कर दिया। तीनो बहुत खुश हुए। शेर ने गधे से कहा कि गधे भाई इस शिकार को तीन भागों में बांट दो।
गधे ने झट से शिकार को तीन बराबर भागों में बाँट दिया। शेर को गधे का यह बंटवारा पसंद नहीं आया और वह क्रोधित हो गया। उसे इतना क्रोध आया कि उसने तुरंत ही गधे पर जोरदार हमला कर दिया और अपने नुकीले दांतो और पंजों से गधे को दो भागों में काट दिया। कुछ ही क्षणों में गधा वहीँ ढेर हो गया।
फिर शेर ने लोमड़ी की ओर देखते हुए कहा कि लोमड़ी तुम भी अपना हिस्सा क्यों नहीं ले लेती ?
लोमड़ी बहुत ही चतुर और समझदार थी। उसने झट से उस मरे हिरण का एक चौथाई अपने लिए लिया और बांकी का तीन चौथाई शेर के लिए छोड़ दिया।
लोमड़ी की चतुराई देख शेर बहुत प्रसन्न हुआ। शेर ने लोमड़ी की तारीफ करते हुए कहा कि लोमड़ी सच में तुम बहुत समझदार हो। तुमने भोजन की सही मात्रा मेरे लिये छोड़ा है। आखिर तुमने इतनी समझदारी कहाँ से सीखी हो ?
चालाक लोमड़ी ने बड़ी विनम्रता पूर्वक जबाब दिया महराज दरअसल मैंने इस बेबकूफ गधे की हालात और इसकी दुर्दशा को देखकर मैं समझ गई थी कि आप क्या चाहते हैं। इसकी बेबकूफी से ही मैंने सीखा है। उसकी बात सुन शेर हंस पड़ा। शेर और लोमड़ी अपना-अपना भोजन करने लगे।
कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि केवल अपनी ही गलतियों से नहीं बल्कि दूसरों की गलतियों से भी हमें सीख लेनी चाहिए। दूसरों की गलतियों से सीख लेना समझदार व्यक्ति की निशानी है।
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