गुरुवार, 6 अगस्त 2020

प्रेरणादायक कहानी : अंधा घोड़ा और मालिक। Two Blind Horse

प्रेरणादायक कहानी : अंधा घोड़ा और मालिक। Two Blind Horse

प्रेरणादायक कहानी : अंधा घोड़ा और मालिक। Two Blind Horse-: हरिपुर नामक गांव में हरिलाल नाम का एक व्यापारी रहता था। वह घोड़ा पालने का काम करता था। उसके पास बहुत सारे घोड़े थे। परंतु वह अन्य घोड़ों की अपेक्षा दो घोड़े से अधिक प्यार करते थे। और दोनों घोड़े भी अपने मालिक से बहुत प्यार करते थे। उन दोनों घोड़ों में से एक अंधा घोड़ा था। परंतु दूर से देखने पर दोनों घोड़े एक जैसे ही दिखते थे।
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निकट जाने पर ही पता चलता था कि उनमें से एक अंधा घोड़ा है। दोनों घोड़े बहुत फुर्तीले और शानदार थे। अपने एक घोड़े के अंधे होने के बाद भी हरिलाल उसे अपने अस्तबल से बाहर नहीं निकालता था। बल्कि उस अंधे घोड़े का बहुत ज्यादा ध्यान रखता था। ताकि उसे किसी तरह की कोई परेशानी ना हो।

दूसरा घोड़ा भी अपने मित्र अंधे घोड़े की हमेशा मदद करता था। हरिलाल ने उस अंधे घोड़े के गले में एक घंटी बांध दी थी। ताकि जब भी वह इधर-उधर घूमे तो उसे पता चल सके। और वह उसकी मदद कर सके। जब भी दोनों घोड़े घास चरने के लिए कहीं बाहर निकलते। तब वह दोनों घोड़े एक साथ चलते थे। अंधे घोड़े हमेशा दूसरे घोड़े के पीछे-पीछे चलता था।

जबकि वह दूसरा घोड़ा आगे-आगे चलता था। वह सुनिश्चित करता था कि आगे का मार्ग साफ हो। तभी वह अंधे घोड़े को अपने पीछे-पीछे आने के लिए इशारा करता था। उसके बाद ही दोनों घोड़े आगे बढ़ते थे। इस तरह से दोनों घोड़े एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे। उसके मालिक हरिलाल भी उन दोनों का बहुत ध्यान रखता था।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि उस अंधे घोड़े के मालिक की तरह ही भगवान हमारा साथ इसलिए नहीं छोड़ते क्योंकि हमारे अंदर कोई दोष या कमियां है। वो हमारा ख्याल रखते हैं

भगवान जरुरत के समय किसी ना किसी को हमारी मदद के लिए अवश्य भेज देते हैं। इसलिए कभी भी संकट के समय अपने मित्र, सगे-संबंधी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। बल्कि उस संकट के समय उनका अधिक से अधिक ध्यान रखना चाहिए।

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