सीख देती प्रेरणादायक कहानी : दोस्त का जवाब। Friend's Story
सीख देती प्रेरणादायक कहानी : दोस्त का जवाब। Friend's Story-: एक गांव में दो मित्र रहते थे। एक का नाम राम और दूसरे का नाम श्याम था। वे दोनों बचपन के मित्र थे। इसलिए उन दोनों में बहुत ही गहरी मित्रता थी। वह जब भी कहीं जाते दोनों साथ में ही जाते थे। एक दिन दोनों ने निश्चय किया कि घूमने के लिए जंगल जाएंगे। अगले दिन दोनों ने रास्ते के लिए आवश्यक खाने पीने की चीजों को एक थैले में डालकर दोनों जंगल की ओर निकल पड़े। कुछ घंटे चलने के पश्चात राम और श्याम दोनों जंगल में पहुंच गए।
दोनों ने पूरा जंगल घूमा। खूब मौज मस्ती किए। अब उन दोनों को जोरों की भूख लग गई थी। दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ कर खाना खाने लगे। खाना खाते समय बात बात पर ही राम और श्याम के बीच एक बहस हो गई। दोनों एक दूसरे को भला बुरा कहने लगे। बात इतनी बढ़ गई कि राम ने श्याम को एक थप्पड़ जड़ दिया। यह देख श्याम कुछ नहीं बोला और बिल्कुल चुप रहा।
श्याम ने राम के थप्पड़ का ना तो विरोध किया और ना ही उस पर हाथ उठाया, एकदम बल्कि शांत रहा। कुछ देर बाद दोनों ने अपनी यात्रा पुनः प्रारंभ किया। परंतु झगड़े के कारण दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर रहे थे और चुपचाप आगे बढ़ रहे थे। कुछ दूर आगे जाने पर राम का पैर एक दलदल में फंस गया। वह उस दलदल से निकलने का बहुत प्रयास कर रहा था। परन्तु वह धीरे-धीरे दलदल में धंसता ही जा रहा था।
उसे दलदल में फंसता देख श्याम ने बिना समय गवाएं अपने मित्र राम की मदद की और उसने तुरंत उसे उस दलदल से बाहर निकाला। श्याम के इस स्वभाव को देख राम से रहा नहीं गया। और उसने श्याम से पूछा कि मैंने तो तुम्हें थप्पड़ मारा था। फिर भी तुमने मेरी जान बचाई। ऐसा क्यों? श्याम ने उत्तर दिया- तुम उस समय बहुत क्रोध में थे।
यदि किसी से गलती हो जाए तो हमें उसे क्षमा कर देनी चाहिए। उसे अपने मन के अंदर अधिक समय तक नहीं बैठाना चाहिए। बल्कि गलती करने वाले इंसान को अपनी गलती सुधारने का एक अवसर देना चाहिए। श्याम की बातें सुनकर राम स्वयं को लज्जित महसूस कर रहा था।
उसने अपने मित्र श्याम से क्षमा मांगी और निश्चय किया कि आज के बाद कभी भी क्रोध में आकर कोई गलत कदम नहीं उठाएगा। साथ ही साथ क्रोध के समय स्वयं को शांत रखेगा। ताकि भविष्य में ऐसी गलती दोबारा ना हो। फिर यह कहते हुए दोनों मित्र अपने घर की ओर लौट गए।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि यदि किसी व्यक्ति से गलती हो जाए तो उसे हमें अधिक समय तक अपने मन में नहीं बैठना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से उसके प्रति द्वेष की भावना उत्पन्न होती है। बल्कि गलती होने पर हमें उस इंसान को क्षमा करनी चाहिए और उसे गलती सुधारने का एक अवसर प्रदान करना चाहिए।
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