बुढ़िया का भरोसा। Hindi Kahaniya on Believing God
बुढ़िया का भरोसा। Hindi Kahaniya on Believing God-: एक बार की बात है। लखनऊ में एक बहुत ही जाने-माने कैंसर के चिकित्सक रहते थें, जिनका नाम डॉक्टर रमेश बाबू था। एक बार उन्हें नई दिल्ली में लाइफटाइम अचीवमेंट आवार्ड से सम्मानित करने के लिए बुलाया गया। इस आवार्ड को लेकर डॉक्टर साहब ही नहीं। बल्कि पूरे लखनऊ के लोग काफी उत्साहित थे। क्योंकि रमेश बाबू एक बहुत ही काबिल डॉक्टर थे। वह हमेशा लोगों की मदद किया करते थे।
अगले दिन डॉ साहब दिल्ली जाने के लिए एयरपोर्ट की ओर निकल पड़े। परंतु जब वह एयरपोर्ट पहुंचे। तब उन्हें पता चला कि मौसम खराब होने की वजह से सारे फ्लाइट को रद्द कर दिया गया है। और दुर्भाग्य से उस दिन की सभी फ्लाइट को रद्द कर दिया गया था। यह देख डॉ साहब सोचते हैं कि चलो कोई बात नहीं। कार्यक्रम तो शाम के 7:00 बजे है और दिल्ली से लखनऊ जाने में 6 से 7 घंटे लगते हैं। इसलिए टेक्सी से ही निकल जाता हूं।
यह सोच कर जल्दी से उन्होंने एक टैक्सी बुक किया। और उस में बैठकर वह दिल्ली की ओर निकल पड़े। आधे रास्ते तो ठीक से चला। अचानक कुछ देर बाद ड्राइवर ने देखा कि बहुत बड़ा जाम लगा है। उसने तुरंत डॉक्टर साहब से कहा आगे बहुत बड़ा जाम है। अगर हम इस रास्ते से जाएंगे तो हमें पहुंचने में काफी रात हो जाएगी। यदि आप कहें तो दूसरा रास्ता ट्राय करूं। पहले तो डॉक्टर साहब मना कर देते हैं।
फिर 10-15 मिनट बाद भी जाम वैसे की ही वैसे रहती है। तब फिर डॉ साहब ड्राइवर से कहते हैं कि ठीक है। हम दूसरे रास्ते से ही चलते हैं। इधर ड्राइवर गाड़ी को रिवर्स लेकर एक दूसरे रास्ते से चलने लगता है। उबड़-खाबड़ रास्तों पर घंटों चलने के बाद भी कोई पक्की सड़क का रास्ता नहीं मिल पाता है, जिससे डॉक्टर साहब काफी मायूस हो जाते हैं।
तभी डॉ साहब को कुछ दूर पर एक झोपड़ी दिखाई देती है। ड्राईवर तुरंत कार रोकता है और उस झोपड़ी के पास उतरकर पूछता है कोई है? तभी झोपड़ी से एक बुढ़िया बाहर निकलती है और पूछती है क्या बात है बेटे क्यों पुकार रहे हो? ड्राईवर ने बड़ी विनम्रता से कहा माता जी हम दिल्ली जा रहे थे। परंतु रास्ता भटक गए हैं। क्या आप हमें सही रास्ता बताने में मदद कर सकते हैं?
बिल्कुल मदद करूंगी बुढ़िया ने उत्तर दिया। बेटे पहले आप लोग आकर पानी पी लीजिए। बुढ़िया अंदर गई और झट से पानी और गुड़ लाकर दोनों को दिया। डॉ साहब उस बुढ़िया के सत्कार से बहुत खुश हो गए और उन्होंने पूछा कि क्या आप यहां अकेली रहती हैं? उस बुढ़िया ने जवाब दिया नहीं-नहीं मेरे साथ मेरा एक पोता भी रहता है, जिसके माता-पिता बचपन में ही गुजर गए, तब से मैं ही उसका ख्याल रखती हूं, देखिए ना वह बीमार पड़ा है। शायद कुछ दिनों बाद वह भी मुझे छोड़कर चला जाएगा।
यह कहते हुए बुढ़िया की आंखों से आंसू निकलने लगे। तब डॉक्टर साहब आगे बढ़ते हैं और उसे सांत्वना देते हुए कहते हैं कि इस बालक को क्या हुआ? बुढ़िया ने उत्तर दिया। इसे कैंसर है साहब। लोग कहते हैं कि इसका इलाज लखनऊ के प्रसिद्ध डॉक्टर रमेश बाबू ही कर सकते हैं। मैंने कई बार उनके अस्पताल के चक्कर भी लगाए।
परंतु डॉक्टर साहब से मुलाकात नहीं हो पाई। अब तो सब कुछ कृष्ण भगवान पर छोड़ दिया है। अगर मैंने सच्चे मन से उनकी भक्ति की होगी तो एक दिन वह मेरी मदद जरुर करेंगे। यह सुनते ही डॉक्टर साहब का गला रुंध गया और उनकी आंखों में आंसू आ गए। सोचने लगे कि कैसे इस बूढ़ी औरत का भगवान पर भरोसा हकीकत बन गया।
कैसे ऊपर वाले ने अपने भक्तों के यहां मुझे भेजा। फिर उन्होंने कहा कि बूढी माता मैं ही डॉ रमेश बाबू हूँ। मुझे कृष्ण भगवान ने ही तुम्हारे पास भेजा है। यह सुन बुढ़िया की आंखों में चमक आ गई। उसने कृष्ण भगवान का लाख-लाख धन्यवाद दिया। डॉक्टर साहब ने उस बुढ़िया और उसके पोते को अपने गाड़ी में बैठाया और ड्राइवर से बोले कि लखनऊ के लिए वापस चलो।
यह सुन ड्राइवर ने बड़ी हैरानी से डॉक्टर साहब से कहा लेकिन लाइफटाइम अचीवमेंट आवार्ड! डॉ साहब ने उत्तर दिया कि किसी के जीवन से अधिक मूल्यवान कोई अवॉर्ड नहीं हो सकता। इसलिए गाड़ी को वापस लखनऊ ले चलो। हम आज से ही इस बालक का इलाज शुरू करेंगे।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। यदि आप सच्चे मन से किसी चीज में भरोसा रखते हैं और उसके लिए हर संभव प्रयास करते हैं तो एक ना एक दिन वह आपको अवश्य ही मिल जाता है।
इसीलिए उस बूढ़ी औरत की तरह दृढ़ विश्वास के साथ अपने काम पर ध्यान लगाइए। कर्म करते रहिए फल कब कहां और कैसे मिलेगा? यह भगवान पर छोड़ दीजिए। अगर आपने सच्चे मन से कर्म किए होंगे तो आपको सही समय आपने पर फल अवश्य मिलेगा।
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