प्रेरणादायक कहानी : पेड़ का इनकार। Positive Thinking Story
प्रेरणादायक कहानी : पेड़ का इनकार। Positive Thinking Story-: एक नदी किनारे कुछ पेड़ लगे थे। जिसकी टहनियां नदी की धारा के ऊपर तक फैली हुई थी। उस नदी में अक्सर बाढ़ की समस्या बनी रहती थी। और उसी नदी के किनारे बहुत सारे पेड़ लगे हुए थे। एक दिन एक चिड़िया अपने परिवार के साथ आवास की तलाश में उसी नदी किनारे भटक रही थी। भटकते-भटकते वह चिड़िया उस नदी के किनारे पहुंच गई।
चिड़िया ने एक अच्छा सा पेड़ देखा और उससे अनुरोध किया कि “हम सभी काफी देर से एक अच्छे पेड़ की तलाश में है।" कुछ समय बाद बरसात आने वाली है। इसलिए मैं चाहती हूं कि मैं आपके ऊपर शाखाओं पर घोंसला बनाकर अपने पूरे परिवार के साथ रह सकूं। ताकि बरसात शुरु होने से पहले हम खुद को सुरक्षित कर सकें।
चिड़िया की बात सुनकर उस पेड़ ने मना कर दिया। उसने कहा कि नहीं मैं तुम्हें इसकी अनुमति नहीं दे सकता हूँ। तुम किसी और पेड़ पर जाकर घोंसला बनाओ। पेड़ की बात सुनकर चिड़िया को बहुत बुरा लगा और वह उस पेड़ को कोसती हुई एक दूसरे के पेड़ के पास अनुमति मांगने के लिए चली गई। उस पेड़ ने चिड़िया को घोंसला बनाने की अनुमति दे दी।
इस बार चिड़िया बहुत खुश हुई। और उसने एक मजबूत सा घोसला बनाया और अपने परिवार के साथ उस दुसरे पेड़ पर रहने लगी। उस चिड़िया ने उस दूसरी पेड़ को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया। समय बीतता गया। बरसात का मौसम शुरु हो गया। हर बार की तरह इस बार भी भारी वर्षा के कारण नदी का जल उफान हो उठा था। नदियों में बाढ़ आ गई थी। नदी अपनी तीव्र प्रवाह से बहुत सारे पेड़-पौधों को जड़ से उखाड़ दी।
नदी के इस विकराल रुप से आसपास के लगे सभी पेड़-पौधे उखड़कर नदी में बहने लगे। इन पेड़ों में वह पहला पेड़ भी शामिल था जिसने चिड़िया को घोसला बनाने से मना किया था। उसे जड़ सहित उखड़ता देख चिड़िया बहुत खुश हुई। चिड़िया ने उस पेड़ से कहा कि एक समय था जब हम तुम्हारे पास मदद के लिए आए थे।
परंतु तुमने मेरी मदद करने से मना कर दिया था। अब देखो तुम्हारे स्वार्थ की भावना के कारण तुम्हारी यह दुर्दशा हो गई है। चिड़िया की बात सुनकर पेड़ ने मुस्कुराते हुए कहा कि सुनो चिड़िया मैं जानता था कि मेरी तना काफी पुराने हो चुके हैं। और मेरी कमजोर पड़ चुकी यह डाली इस बरसात के मौसम को झेल नहीं पाती। मात्र यही कारण था कि मैंने तुम्हें अपने डाल पर घोंसला बनाने से मना किया।
क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मेरी वजह से तुम और तुम्हारे परिवार का जान जोखिम में डालूं। तुम्हारा दिल दुखाने के लिए मुझे क्षमा करना। यह कहते हुए वह पेड़ जड़ सहित उखड़ गया। और नदी में बह गया। पेड़ की बातें सुनकर चिड़िया को अपने व्यवहार पर बहुत पछतावा होने लगा। परंतु अब पछताने के अलावा वह कुछ कर भी नहीं सकती थी।
जबकि सच तो यह है कि बड़े-बुजुर्ग हमेशा बच्चों की भलाई के बारे में ही सोचते हैं। इसलिए यदि आपको कोई इंकार मिले तो उसका बुरा ना माने। क्या पता उन चिड़िया की तरह एक “ना” आपके जीवन में आने वाले संकट से बचा सकते हैं।
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