शिक्षाप्रद कहानी : जीवन का सबसे बड़ा धन। Big Wealth of Life
शिक्षाप्रद कहानी : जीवन का सबसे बड़ा धन। Big Wealth of Life-: हस्तिनापुर में एक बहुत ही शक्तिशाली राजा राज्य करता था। उसके पास बहुत सारी धन संपदा थी। साथ ही साथ उसके पास बहुत बड़ी सेना भी थी। इसलिए वह एक बहुत ही शक्तिशाली राजा था। एक बार वह राजा अपने सैनिकों एवं मंत्रियों के साथ जंगल में शिकार करने गया। अचानक आकाश में बादल छा गए और बहुत तेज मूसलाधार बारिश होने लगी, जिसके कारण राजा अपने सैनिकों एवं मंत्रियों से बिछड़ गया।
वह अपने महल के रास्ते की खोज में भटकने लगा। उसे बहुत जोरों की भूख और प्यास भी लग चुकी थी। क्योंकि बहुत देर से उसने कुछ भी नहीं खाया था। राजा भटकते-भटकते एक गांव में जा पहुंचा। उसने वहां तीन बालकों को देखा। उसने तीनों को बुलाया और उससे अनुरोध किया कि उसे बहुत जोरों की भूख लगी है। क्या वह उसके लिए भोजन की व्यवस्था कर सकता है?
चूँकि तीनों बालक गहरे मित्र थे। इसलिए तीनों ने राजा को अपने घर ले गया और आदर सहित उन्हें भोजन दिया। भोजन के उपरान्त, राजा ने कहा प्यारे बच्चों तुमने आज मेरी इस मुशिकल समय में मदद की है। मैं तुम सब की सहायता करना चाहता हूँ। इसलिए मुझे बताओ कि तुम लोग जीवन में क्या चाहते हो? राजा की बात सुनकर तीनों बालक बहुत खुश हुए।
इनमें से पहले बालक ने कहा कि मुझे धन चाहिए क्योंकि कई बार ऐसा हुआ है कि मुझे दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हुई है। साथ ही साथ ना ही मैंने कभी सुंदर वस्त्र ही पहना है। इसलिए मुझे केवल धन चाहिए। उसकी बात सुनकर राजा ने कहा ठीक है। मैं तुम्हें इतना धन दूंगा कि तुम जीवन भर सुखी रहोगे। यह सुनते ही पहले बालक की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
दूसरे बालक ने बड़े उत्साह से कहा कि क्या आप मुझे एक बहुत बड़ा बंगला और ढेर सारे घोड़े गाड़ी देंगे? राजा ने उत्तर दिया, यदि तुम्हें यही चाहिए तो मैं तुम्हारी इस इच्छा को अवश्य पूरी करूंगा।
अब तीसरे बालक की बारी थी। पहले तो वह कुछ देर सोचा। फिर उसने कहा कि मुझे ना तो धन चाहिए और ना ही बंगला गाड़ी। मुझे तो आप ऐसा आशीर्वाद दीजिए जिससे कि मैं पढ़ लिखकर एक विद्वान बन सकूं। और शिक्षा समाप्त होने के उपरांत में अपने देश की सेवा कर सकूं। तीसरे बालक की बात सुनकर राजा बहुत खुश हुआ।
उसने उस बालक के लिए शिक्षा की उत्तम व्यवस्था कर दी। वह बालक बहुत ही परिश्रमी और ईमानदार था। इसलिए वह दिन रात मेहनत करके शिक्षा ग्रहण करता था। कुछ वर्षों के बाद वह बालक एक बहुत बड़ा विद्वान आदमी बन गया। तब राजा ने उसे अपने यहां मंत्री पद के लिए नियुक्त कर लिया। एक दिन राजा ने अपने उसी मंत्री से कहा कि क्या तुम्हें याद है वर्षों पहले जब तुम बालक थे तो तुम्हारे साथ दो और मित्र जी थे। उनका जीवन कैसा बीत रहा है।
मैं चाहता हूं कि मैं एक बार सभी से मिलूं। अतः कल अपने उन दोनों मित्रों को भोजन पर महल में आमंत्रित कर लो। मंत्री ने अपने दोनों मित्रों को संदेश भिजवा दिया। अगले दिन दोनों मित्र महल में राजा के सामने उपस्थित हुए। राजा ने पहले मित्र से पूछा कि तुम्हारा जीवन कैसा चल रहा है? जिस बालक ने अपने लिए धन मांगा था उसने दुखी होते हुए कहा महाराज! मैंने उस दिन धन मांगकर बहुत बड़ी गलती कर दी थी।
क्योंकि बहुत सारा धन मिलने के कारण में आलसी हो गया था। साथी साथ मैंने अपने धन को अनावश्यक चीजों में खर्च कर दिया। और मेरा बहुत सारा धन चोरी भी हो गया, जिसके कारण कुछ वर्षों के बाद मेरी स्थिति पहले जैसी ही हो गई है। बंगला गाड़ी मांगने वाले बालक ने भी कहा कि महाराज मैं भी आपके दिए हुए बंगले में बड़ी शान से रहता था।
परंतु कुछ वर्षों पहले बाढ़ आने के कारण मेरा सब कुछ बर्बाद हो गया और मैं भी पहले की तरह गरीब हो गया हूँ। उन दोनों की बात सुनने के बाद राजा ने कहा कि इस बात को सदा याद रखना कि हमारे जीवन में धन संपदा अधिक समय तक साथ नहीं रहता है।
परंतु ज्ञान ही वह मूल्यवान संपदा है जो जीवन भर मनुष्य के काम आता है। ज्ञान को ना तो कोई चुरा सकता है और ना ही उसे हानि पहुंचा सकता है। इसलिए अपने जीवन में धन से भी अधिक महत्व शिक्षा को देना चाहिए।
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