नाविक और कैप्टन की प्रेरणादायक कहानी। Inspirational Stories
नाविक और कैप्टन की प्रेरणादायक कहानी। Inspirational Stories-: एक नाविक समुद्री जहाज पर काम करता था। वह उस जहाज पर तीन सालों से काम करता था। वह बहुत ही ईमानदारी से अपना काम करता था। एक दिन रात के समय उस नाविक ने शराब पी ली। चूँकि उसने बहुत सारा शराब पी लिया था। इसलिए वह नशे में धुत हो गया। ऐसा 3 साल में पहली बार हुआ था कि उस नाविक ने जहाज में शराब पी हो।
उस जहाज के कैप्टन ने इस घटना को अपने रजिस्टर में इस प्रकार नोट किया कि "नाविक आज रात शराब पीकर नशे में धुत था" अगले दिन जब नाविक ने रजिस्टर देखा तो उसे अपनी गलती का एहसास हो गया। उसने देखा कि जहाज के कैप्टन ने रजिस्टर में लिखा था कि "आज की रात नाविक शराब के नशे में धुत था"। वह कैप्टन के पास गया और उनसे क्षमा मांगने लगा।
साथ ही साथ नाविक कैप्टन से अनुरोध किया कि आपने रजिस्टर में जो वाक्य लिखा है। उसमें एक वाक्य और जोड़ दीजिये कि ऐसा तीन साल में पहली बार हुआ है। क्योंकि इस एक वाक्य का उसके नौकरी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। और नाविक ने जो कहा वह सत्य भी था कि उसने तीन साल में पहली बार शराब पी थी।
परन्तु जहाज के कैप्टन ने उस नाविक के बात को मानने से मना कर दिया। कैप्टन ने कहा कि उसने जो कुछ भी रजिस्टर किया है, वही सत्य है। नाविक उदास हो गया। परन्तु बिना कुछ कहे चुप-चाप वह अपने काम पर लग गया। कुछ दिन तो इसी तरह बीते। एक दिन रजिस्टर भरने की बारी उस नाविक की थी।
उसने रजिस्टर में लिखा कि "आज की रात कैप्टन ने शराब नहीं पिया है"। जब अगले दिन कैप्टन ने इस वाक्य को पढ़ा तो उसने उस नाविक से कहा कि इस वाक्य को बदल दो या फिर इसमें आगे भी कुछ लिखो। क्योंकि इस वाक्य से यही अर्थ निकलता है कि कैप्टन हर रोज शराब पीता था। परन्तु नाविक ने ऐसा करने से मना कर दिया।
उसने कहा रजिस्टर में लिखा वाक्य ही सत्य है। यह सुन कैप्टन को अपनी गलती का एहसास हो गया कि कभी भी आधे-अधूरे बात नहीं लिखनी चाहिए। क्योंकि इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उसने नाविक से क्षमा मांगी। फिर दोनों अपने काम पर लग गए।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें कभी भी इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए जिससे के सामने वाले के सामने गलत सन्देश जाए। किसी भी बात को बोलने से पहले उसके दूसरे पहलु का भी ध्यान रखना चाहिए कि इसका सामने वाले के ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा? अर्थात कभी भी अर्धसत्य नहीं बोलना चाहिए।
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