पंचतंत्र कहानियाँ : बोलती गुफा। Speaking Cave Story
पंचतंत्र कहानियाँ : बोलती गुफा। Speaking Cave Story-: जंगल में एक शेर रहता था वह बहुत बूढा हो चुका था। बुढापे के कारण उसका शरीर धीरे-धीरे कमजोर हो रहा था। बुढापे के कारण ही वह एक छोटे से छोटे जानवर का भी शिकार नहीं कर पाता था। हर छोटा सा छोटा जानवर भी चकमा देकर शेर के सामने से भाग जाता था। कई दिनों तक उसे भोजन नहीं मिल पाया था, जिसके कारण भूख से उसका बहुत बुरा हाल हो गया था।
एक दिन वह भटकते-भटकते भोजन की तलाश में एक गुफा के पास जा पहुंचा। गुफा के पास पहुंच कर शेर ने मन ही मन सोचा कि इस गुफा में जरुर कोई जंगली जानवर रहता होगा। क्यों न मैं जाकर इस गुफा के अंदर बैठ जाऊं और इसमें रहने वाले जानवर के आने की प्रतीक्षा करूँ। और जब वह जानवर आएगा तो उसे खाकर में अपनी भूख मिटा लूँगा। यह सोचकर बूढा शेर झट से उस गुफा में घुस गया।
दरअसल उस गुफा में एक बहुत ही चतुर लोमड़ी रहती थी। लोमड़ी शिकार करके अपनी गुफा की ओर जाने लगी। अचानक लोमड़ी ने अपनी गुफा के पास शेर के पंजे का निशान देखा। उसे समझते देर नहीं लगी की जरूर इस गुफा के अंदर शेर गया हुआ है। क्योंकि शेर के पंजे के निशान गुफा के अंदर जाते हुए थे। जबकि गुफा से बाहर आते हुए पंजों के निशान नहीं थे। लोमड़ी समझ चुकी थी कि शेर अभी भी इसी गुफा में छुपा हुआ है।
पहले तो वह काफी डर गई। लेकिन उसने खुद को संभालते हुए अपने आप को इस संकट से बचाने का उपाय सोचने लगी। अचानक लोमड़ी के दिमाग में एक तरकीब आया। वह गुफा के द्वार पर खड़े होकर बोलने लगी ओ गुफा! ओ गुफा! कई बार पुकारने के बाद भी अंदर से कोई उत्तर नहीं आया। तब लोमड़ी ने एक बार फिर गुफा से कहा कि सुन गुफा तुम्हारे और मेरे बीच एक संधि है।
जब भी मैं बाहर से आऊंगा तो तेरा नाम लेकर तुझे बुलाऊंगा और जिस दिन तुम मेरी बात का उत्तर नहीं दोगी। मैं तुझे छोड़कर किसी और गुफा में रहने के लिए चला जाऊंगा। जवाब ना मिलता देख लोमड़ी बार-बार अपनी बात दोहरा रही थी। गुफा के अंदर बैठे शेर ने जब लोमड़ी की बात सुनी तो उसने सोचा कि शायद यह गुफा बोलती है।
जब भी लोमड़ी आती है तो उससे बात करती है। यह सोचकर शेर ने मधुर आवाज में जवाब दिया अरे ओ लोमड़ी अंदर आ जाओ तुम्हारा स्वागत है। शेर की बात सुन लोमड़ी की आंखें चमक उठी। और उसने जोर से कहा कि अरे शेर मामा तुम!
लगता है बुढ़ापे में तुम्हारी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है भला एक गुफा भी बोल सकता है क्या? यह कहते हुए लोमड़ी बड़ी तेजी से जंगल की तरफ भाग गई। जब तक शेर गुफा से बाहर निकला। तब तक लोमड़ी भाग चुकी थी। शेर और अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था। परन्तु वह अफसोस के अलावे कर भी क्या सकता था?
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जब कभी भी आप संकट में आ जाये। तब हमें घबराना नहीं चाहिए। बल्कि धैर्यपूर्वक उस समस्या से निकलने की तरकीब खोजनी चाहिए।
कैसी लगी ये "पंचतंत्र कहानियाँ : बोलती गुफा। Speaking Cave Story" कहानी नीचे Comment करके जरुर बताएं. यदि आप किसी विशेष टॉपिक पर कहानी पढ़ना चाहते हैं तो नीचे उस टॉपिक को Comment करके जरुर बताएं.
---------✱✱✱---------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
For read Majedar Hindi Kahaniya Please Subscribe my Website.