गुरुवार, 4 जून 2020

अल्बर्ट आइंस्टीन का परिचय। About Albert Einstein Biography

अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय। Biography of Albert Einstein

About Albert Einstein Biography-: अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के उल्म नामक शहर में हुआ था। अल्बर्ट आइंस्टीन दुनिया के महानतम वैज्ञानिकों में से एक हैंआधुनिक भौतिक विज्ञान के पिता के रूप में भी अल्बर्ट आइंस्टीन को जाना जाता है क्योंकि भौतिक विज्ञान में इन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया

Albert Einstein Biography in Hindi

पूरा नाम–:               अल्बर्ट हेर्मन्न आइंस्टीन (Albert Einstein)

पिता का नाम–:        हेर्मन्न आइंस्टीन  

माँ का नाम–:            पौलिन कोच
              
जन्म तारीख़–:           14 मार्च 1879, उल्मा (जर्मनी)

घर (Home)–:           उल्मा (जर्मनी) 

नागरिकता–:             जर्मनी

शिक्षा–:                    ग्रेजुएशन (फेडरल इंस्टिटयूट ऑफ़ टेक्नोलोजी)

समीकरण–:             द्रव्मान और ऊर्जा के समीकरण E= mc2

सिध्दांत–:                 सपेक्षता का सिध्दांत

पुरस्कार–:                भौतिक का नोबेल पुरस्कार, मैक्स प्लैंक पदक, कोल्पे पदक

मृत्यु–:                      18 अप्रैल 1955, न्यू जर्सी, अमेरिका

अल्बर्ट आइंस्टीन का प्रारंभिक जीवन (Earlier Life of Albert Einstein)

दुनिया के महानतम वैज्ञानिकों में से एक Albert Einstein का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के उल्म नामक शहर में हुआ था। इनका जन्म एक यहूदी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम हेर्मन्न आइंस्टीन है। हेर्मन्न आइंस्टीन पेशे से एक सेल्समैन और इंजीनियर थे। इनके माँ का नाम पौलिन कोच। आइंस्टीन को बचपन में बोलने में थोड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा था। Albert Einstein का जन्म जर्मनी में हुआ था इसलिए इनकी मातृभाषा जर्मन थी। इनका जन्म जर्मनी के उल्म शहर में हुआ था। परन्तु आइंस्टीन अपने परिवार के साथ 1880 में म्यूनिख शहर में जाकर रहने लगे थे। म्यूनिख में ही आइंस्टीन की शिक्षा प्रारंभ हुई थी। इनके पिता और चाचा दोनों ने मिलकर म्यूनिख शहर में ही बिजली के उपकरण बनाने वाली एक कंपनी शुरू कि, जिसका नाम “इलेक्ट्राटेक्निक फ्रैबिक जे आइंस्टीन एंड सी” (Elektrotechnische Fabrik J।Einstein & Cie) था।

अल्बर्ट आइंस्टीन का वैवाहिक जीवन (Marriage Life of Albert Einstein)

सन 1902 में आइंस्टीन ने मरिअक से विवाह कर लिया। मरिअक आइंस्टीन के साथ में ही पढ़ती थी। जिसके कारण आइंस्टीन और मरिअक के बीच प्रेम हो गया और उन दोनों ने बाद में विवाह कर लिया। शादी के बाद इनके 2 बेटे भी हुए।

अल्बर्ट आइंस्टीन की शिक्षा (Albert Einstein Education)

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म एक यहूदी परिवार म हुआ था। इसलिए आइंस्टीन को पढ़ने के लिए कैथोलिक विद्यालय जाना होता था। आइंस्टीन ने सारंगी बजाना अपनी माँ से सीखा था क्योंकि इनकी माँ सारंगी बजाना जानती थी। कुछ समय के बाद आइंस्टीन ने सारंगी बजाना छोड़ दिया। लेकिन बाद में इन्हें मोजार्ट के सारन्गी संगीत में बहुत मजा आता था। आइंस्टीन जब 8 वर्ष के थे। तब वे लुइटपोल्ड जिम्रेजियम चले गए।

Einstein Nobel Prize Theory of Relativity
अल्बर्ट आइंस्टीन जब 8 वर्ष के थे। तब वे लुइटपोल्ड जिम्रेजियम चले गए। जहाँ से आइंस्टीन ने अपनी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की। आइंस्टीन ने 16 वर्ष की उम्र में सन 1895 में स्विस फ़ेडरल पोलिटेक्निक की परिक्षा सन 1895 में दी, जिसका बाद में नाम बदल कर Edigenossische Technische Hochschule (ETH) कर दिया गया।

इस परीक्षा में अल्बर्ट आइंस्टीन गणित और भौतिक विषय को छोड़ बाकीं बचे अन्य विषयों में फेल हो गये। इसके बाद आइंस्टीन ने प्रधानाचार्य से सलाह लेकर आर्गोवियन कैंटोनल स्कूल स्विट्जर्लैंड के आरू में चले गए। यहाँ से ही इन्होंने डिप्लोमा किया और फिर इसके बाद 1896 में फेडरल इंस्टिटयूट ऑफ़ टेक्नोलोजी में दाखिला लिया। सन 1900 में आइंस्टीन ने फेडरल इंस्टिटयूट ऑफ़ टेक्नोलोजी से ही ग्रेजुएशन की शिक्षा पूरी की।

अल्बर्ट आइंस्टीन का कैरियर (Career of Albert Einstein)

अल्बर्ट आइंस्टीन ने फेडरल इंस्टिटयूट ऑफ़ टेक्नोलोजी से ही डाक्टरेट की उपाधि भी ली। और अपना पहला विज्ञानं दस्तावेज भी लिखा। आइंस्टीन ने डाक्टरेट की उपाधि लेने के बाद बहुत सारे विज्ञान दस्तावेज लिखे। जिसके लिए उनकी ख्यति दुनिया में और भी बढ़ गई।

यूनिवर्सिटी में नौकरी करने के लिए इन्होंने बहुत कड़ी मेहनत की और वर्ष 1909 में ये बर्न यूनिवर्सिटी के लेक्चरर बन गए। इसके कुछ दिनों बाद इन्होंने दो और यूनिवर्सिटी में प्राचार्य के रूप में काम किया।

इसी तरह कुछ दिनों पश्चात ये फेडरल इंस्टिटयूट ऑफ़ टेक्नोलोजी में प्राचार्य बना दिए गए। मैक्स प्लांक और वाल्थेर नेंस्र्ट ने आइंस्टीन को बर्लिन जाने का अवसर दिया और आइंस्टीन बर्लिन चले गए। जिसकी वजह से इनकी पत्नी से इनका तलाक हो गया। बर्लिन जाने के कुछ दिनों बाद आइंस्टीन ने एलसा नामक लड़की से विवाह किया।

अल्बर्ट आइंस्टाइन को दुनिया के महानतम वैज्ञानिकों में से एक माना जाता है। वह एक बहुत ही प्रसिद्ध भौतिकवादी वैज्ञानिक थे। अल्बर्ट आइंस्टीन ने ही पूरी दुनिया में द्रव्यमान और उर्जा का समीकरण तथा सापेक्षता का सिद्धांत दिया। जिसके लिए वे पूरी दुनिया में बहुत प्रसिद्ध हुए।

E=mc2 यह समीकरण आइंस्टाइन के सबसे प्रसिद्ध समीकरणों में से एक था। उन्होंने उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे खोजें की। उन्होंने कुछ  ऐसे आविष्कार भी किए जिसके लिए वह पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गए। आइंस्टीन एक बहुत ही बुद्धिमान और सफल वैज्ञानिकों में से एक थे।

आधुनिक समय के भौतिक विज्ञान को सरल बनाने में अल्बर्ट आइंस्टीन का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इसी कारण अल्बर्ट आइंस्टीन को आधुनिक भौतिक विज्ञान का पिता कहा जाता है। आइंस्टीन ने 1921 प्रकाश विद्युत उत्सर्जन की खोज की, जिसके लिए इन्हें नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।आइंस्टीन ने बहुत सारी खोजो में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया। जैसे- सापेक्षता का सिद्धांत, क्वांटम सिद्धांत, अणुओं की ब्राउनियन गति, विकिरण का सिद्धांत इत्यादि।

Nobel Prize In Physics

आइंस्टीन ने 50 से भी अधिक शोध पत्र एवं विज्ञान की अलग-अलग किताबें लिखी। इसी कारण वर्ष 1999 में टाइमस नामक पत्रिका ने अल्बर्ट आइंस्टीन को शताब्दी पुरुष घोषित किया था। एक सर्वे के अनुसार अल्बर्ट आइंस्टीन को सार्वकालिक महानतम वैज्ञानिक माना गया। आइंस्टीन के बौद्धिक क्षमता को देखते हुए आइंस्टीन शब्द को बुद्धिमान का पर्याय बना दिया गया। अर्थात किसी भी बुद्धिमान व्यक्ति की तुलना आइंस्टीन से करना।

अल्बर्ट आइंस्टीन के अविष्कार (Albert Einstein invented)

अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने जीवन काल में बहुत सारे आविष्कार किए, जिनकी वजह से आइंस्टीन पूरे विश्व के महानतम वैज्ञानिकों में से एक गिने जाते हैं। बहुत सारे अपने आविष्कारों की वजह से ही आइंस्टीन पूरे विश्व में काफी प्रसिद्द हुए।

➤ द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण-: अल्बर्ट आइंस्टीन ने द्रव्यमान और उर्जा के बीच के संबंध को दर्शाते हुए अपने द्वारा एक समीकरण को प्रमाणित किया, जिसे द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण कहा जाता है। इस समीकरण को न्यूक्लियर उर्जा भी कहा जाता है। द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण-: E=mc2

प्रकाश का क्वांटम सिद्धांत-: आइंस्टीन ने प्रकाश के क्वांटम सिद्धांत को भी प्रमाणित किया। इस सिद्धांत के अनुसार उर्जा की छोटी-छोटी थैली को फोटोन का नाम दिया गया और इसमें तरंगों की विशेषताएं भी बताई गई। जिसके अनुसार धातुओं में से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है और वह फोटो इलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट की रचना करते हैं। इसी सिद्धांत के आधार पर टेलीविजन का आविष्कार हुआ था।

स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी-: स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस थ्योरी को गति और समय के संबंध को दर्शाते हुए समझाया है।

रेफ्रिजरेटर का आविष्कार-: रेफ्रिजरेटर अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा किया गया एक छोटा सा खोज था। इसकी खोज करने में आइंस्टीन को अधिक समय नहीं था। रेफ्रिजरेटर में आइंस्टीन ने उर्जा के रूप में पानी, ब्यूटेन तथा अमोनिया का उपयोग किया था।

आकाश नीला क्यों होता है? -: पहले यह सभी के मन में प्रश्न होता था कि आकाश का रंग नीला ही क्यों होता है ? किन्तु आइंस्टीन ने एक छोटा सा प्रमाण दिया जिसमें इन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन के बारे में विस्तार से बतलाया और बताया कि प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण ही आकाश का रंग नीला दिखाई पड़ता है।

ब्राउनियन गति-: ब्राउनियन गति को अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा किये गए सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में से एक माना जाता है। एक स्थिर तरल में निलंबित छोटे कणों की गति के आधार पर इस गति को समझाया गया है। ब्राउनियन गति द्वारा परमाणु के अध्ययन में काफी आसानी हुई है।

अल्बर्ट आइंस्टीन को पुरस्कार (Albert Einstein Awards)

अल्बर्ट आइंस्टीन अपने सदी के सबसे महानतम वैज्ञानिकों में से एक थे। इन्होंने बहुत सारी खोजें की जिसके लिए इन्हें बहुत सारे पुरस्कार भी मिलें।

Physic Nobel Prize of Albert Einstein

सन 1921 भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रकाशवैधुत प्रभाव की खोज के लिए मिला।
मत्तयूक्की मेडल।
1925 में कोपले मैडल।
सन 1929 में मैक्स प्लांक मेडल मिला।
1999 में शताब्दी के टाइम पर्सन का पुरस्कार भी मिला।

अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु (Albert Einstein Death)

अल्बर्ट आइंस्टीन एक यहूदी परिवार में जन्म लिए थे। हिटलर यहूदी विरोधी था। इसलिए अल्बर्ट आइंस्टीन को जर्मनी छोड़कर जाना पड़ा। कुछ वर्षों तक आइंस्टीन अमेरिका में प्रिस्टन कालेज में कार्य में काम किया। 18 अप्रैल सन 1955 में इनकी मृत्यु हो गई।

अल्बर्ट आइंस्टीन के सुविचार (Albert Einstein Quotes)

अपने बीते कल से सीखें और आज के लिए जिएं।
अनुभव ही सफलता का सबसे बड़ा स्रोत है।
यदि सफल होना चाहते हैं तो आज से ही सवाल करना आरम्भ कर दें। 
जब आप प्रकृति को ध्यान से देखते हो तब आप कुछ भी बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
अपनी सीमाओं को जानकार उससे आगे जाने वाला ही सफल हो सकता है।
अधिक ज्ञानी होना तेज होने की निशानी नहीं है 
तेज होने का अर्थ कल्पना और सपने देखने की ताकत से है।
जब तक आप खेल के नियमों को नहीं जानेंगे तब तक आप दूसरों से बेहतर नहीं खेल सकते हैं।
एक ही तरह के कार्यों को हर बार करना और हर बार अलग-अलग परिणामों की उम्मीद करना मूर्खता की निशानी है।
तर्क की मदद से आप A से B तक पहुँच पाते हैं जबकि कल्पना की मदद से आप कहीं भी पहुँच सकते हैं।

Albert Einstein Quotes in Hindi

अल्बर्ट आइंस्टीन के रोचक तथ्य (Albert Einstein interesting Facts)

अल्बर्ट आइंस्टीन को मानव इतिहास का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति माना जाता है।
आइंस्टीन का जन्मदिन 14 मार्च को पूरी दुनिया में "जीनियस डे" के रुप में मनाया जाता है।
आइंस्टीन की मृत्यु के बाद पोस्टमार्टम करते समय एक डॉक्टर ने उनके दिमाग को चुरा के सुरक्षित रख लिया था।
अल्बर्ट आइंस्टीन का गुरु मंत्र था, अभ्यास ही मनुष्य की सफलता की कुंजी है।
अल्बर्ट आइंस्टीन यूनिवर्सिटी की दाखिले परीक्षा में फेल हो गए थे।
अल्बर्ट आइंस्टीन को कार चलानी नहीं आती थी।
अल्बर्ट आइंस्टीन का जब जन्म हुआ था। तब उनका सर अन्य बच्चों की तुलना में कुछ ज्यादा ही बड़ा था।

Albert Einstein Quotes On Education

एक बार आइंस्टीन को उनके गणित के प्रोफ़ेसर ने "Lazy Dog" कह दिया था क्योंकि वे पढ़ाई में बहुत ज्यादा तेज नहीं थे।
अल्बर्ट आइंस्टीन का IQ लेवल 160 था। जबकि सामान व्यक्ति का IQ लेवल 120 के आस पास ही होता है।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने बताया कि वह मोजे नहीं पहनते क्योंकि उनके पैर के अंगूठे से उनके मौजे में छेद हो जाता है।
अल्बर्ट आइंस्टीन की याददाश्त इतनी कमजोर थी कि उन्हें टेलीफोन नंबर भी याद नहीं रहता था।
आइंस्टीन को इजराइल के राष्ट्रपति बनने का भी अवसर मिला था। परंतु उन्होनें इसे अस्वीकार कर दिया था।
आइंस्टीन अपने ऑटोग्राफ की फीस $ 5 डॉलर और भाषण के लिए $1000 की फीस लेते थे। यह पैसे गरीबों और जरुरतमंद लोगों को दान कर दिया करते थे।
आइंस्टीन को सापेक्षता सिद्धांत के लिए कभी नोबेल पुरस्कार नहीं मिला। बल्कि इन्हें वास्तव में फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था।

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