बुधवार, 29 जुलाई 2020

शिक्षाप्रद हिंदी कहानी - क्रोध का परिणाम। Anger Moral Story

शिक्षाप्रद हिंदी कहानी - क्रोध का परिणाम। Anger Moral Story

शिक्षाप्रद हिंदी कहानी - क्रोध का परिणाम। Anger Moral Story-: पहाड़पुर नामक गांव में एक लड़का रहता था। उसका नाम राजू था। राजू के पिता का नाम हरिलाल था। उसके पिता गांव में ही मजदूरी किया करते थे। राजू एक बहुत ही गुस्सैल स्वभाव का लड़का था। वह हमेशा छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा किया करता था। हमेशा ही बहुत क्रोध किया करता था। उसके पिता ने उसे कई बार समझाने का बहुत प्रयास किया। परंतु राजू के स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं आया।

Anger Management Moral Story

राजू के इस गुस्सैल स्वभाव से हरिलाल हमेशा चिंतित रहा करते थे। एक दिन एक साधू बाबा रास्ते से गुजर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि हरिलाल अपने पुत्र राजू को पीट रहा था। तभी उन्होंने रुक कर उसके पिताजी से पूछा कि आप क्यों इस बालक को पीट रहे हैं।

तब हरिलाल ने पूरा किस्सा सुनाया। हरिलाल की बात सुनकर उस साधु बाबा ने हरिलाल को एक युक्ति बताई। हरिलाल को उस साधू बाबा की बात अच्छी लगी। उसने तुरंत उस साधू बाबा को धन्यवाद दिया।

अगले दिन हरिलाल ने अपने पुत्र राजू को बुलाया और उसे कीलों से भरा हुआ एक थैला दिया। और कहा कि तुम्हें जब भी गुस्सा आए, तब तुम इस थैले में से एक कील को निकालकर बगीचे में लगे आम के पेड़ में ठोक देना। राजू ने अपने पिताजी की बात मान ली। पहले ही दिन राजू को दिन भर में 20 बार गुस्सा आया। वह हर बार एक कील आम के पेड़ में जाकर ठोकता।

इस तरह से 1 सप्ताह बीत गए। धीरे-धीरे कीलों की संख्या घटने लगी। अब राजू को भी पेड़ में कील ठोकने में परेशानी होने लगी। एक दिन उसने यह बात अपने पिता हरिलाल को बताई। तब हरिलाल ने राजू को बुलाया और कहा कि ठीक है। आज फिर से जाओ और जाकर सभी कील को पेड़ से बाहर निकालो।

अपने पिता की बात सुनकर राजू बगीचे में गया और किल निकालने लगा। उसे कील निकालने में बहुत परेशानी हो रही थी। उसे अपने पिताजी पर बहुत गुस्सा आ रहा था। परंतु वह चुपचाप कील निकालता रहा। जब सारा किल बाहर निकल गया तो वह बहुत खुश हुआ और अपने पिता को बगीचे में बुलाया।
उसके पिताजी आए और उन्होंने राजू से कहा कि राजू देखो तुमने जितने भी कील इस पेड़ में ठोंके थे। वह सब तो तुमने निकाल दिया। लेकिन कील द्वारा इस पेड़ में जो गड्ढे बने हैं। उसका निशान सदा के लिए इस पेड़ में रह गए हैं। और जब तक यह पेड़ रहेगा तब तक इस कील का छाप इस पेड़ में रहेगा।

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ठीक इसी प्रकार जब तुम क्रोध में अपना नियंत्रण खो देते हो और सामने वाले को भला-बुरा कह देते हो तो सामने वाले व्यक्ति को भी बहुत बुरा लगता है। जो इस पेड़ पर बने निशान की तरह ही उस व्यक्ति के दिलो-दिमाग पर एक गहरा घाव छोड़ देता है। जिसे कभी भी मिटाया नहीं जा सकता।

यह सुन राजू के आँखों में आंसू आ गए। उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था। उसने तुरंत अपने पिता से क्षमा मांगी। और संकल्प किया कि आज के बाद वह कभी भी क्रोध नहीं करेगा।

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