प्रेरणादायक सीख : क्रोध का परिणाम I Angry Moral Stories
एक गुरुकुल में एक आचार्य शिक्षा देते थे। उस गुरुकुल में बहुत सारे शिष्य शिक्षा ग्रहण करने आते थे। यह आचार्य बहुत बड़े बुद्धिमान व्यक्ति थे, जिनकी ख्यति दूर-दूर तक फैली हुई थी। इसी कारण दूसरे गुरुकुल की अपेक्षा, इस गुरुकुल में अधिक से अधिक शिष्य शिक्षा ग्रहण करने आते थे, एक दिन गुरुजी ने अपने सभी शिष्यों को समुद्र किनारे चलने को कहा। सभी शिष्य तैयार हो गए।
शाम होते-होते गुरुजी अपने शिष्यों के साथ समुद्र तट पर जा पहुंचे। सभी शिष्य समुद्र तट के आसपास घूम ही रहे थे। तभी अचानक वहां जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज आने लगी। सभी ने देख कि एक ही परिवार के कुछ लोगों के बीच आपस में मतभेद हो गया। साथ ही साथ वे एक दूसरे पर क्रोधित होकर जोर-जोर से चिल्लाने रहे थे।
यह देख गुरुजी ने अपने शिष्यों से पूछा कि क्रोध में व्यक्ति एक दूसरे के ऊपर चिल्लाता क्यों हैं?
सभी शिष्य सोचने लगे। तभी एक शिष्य ने उत्तर दिया कि क्रोध के समय हमारी मानसिक शांति बिगड़ जाती है। इसलिए हम एक दूसरे पर चिल्लाते हैं। गुरुजी ने पुनः प्रश्न किया- परंतु जब दूसरा व्यक्ति भी हमारे सामने ही खड़ा हो तो उस पर चिल्लाने की क्या आवश्यकता है? जो हम जोर से कहते हैं, वही बात हम धीरे से भी तो कह सकते हैं।
कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास किया। परंतु उनके उत्तर से कोई भी संतुष्ट नहीं हुआ।
अंत में गुरुजी ने विस्तार से समझाया कि जब भी दो व्यक्ति आपस में नाराज होते हैं तो उनके ह्रदय की दूरी एक दूसरे से बढ़ जाती है। इस अवस्था में वह एक दूसरे को बिना चिल्लाये नहीं सुन सकते। वे जितना अधिक क्रोधित होंगे। उनके बीच की दूरी उतनी ही बढ़ती जाएगी और उन्हें उतनी ही ऊंची स्वर में बोलना पड़ेगा।
गुरुजी ने पुनः कहा कि जब भी एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अधिक प्रेम करता है। तब वे एक-दूसरे पर चिल्लाते नहीं हैं। बल्कि धीरे-धीरे से एक दूसरे से बात करते हैं। क्योंकि उनके ह्रदय एक दूसरे के काफी नजदीक होते हैं। और उनके बीच की दूरी नाम मात्र की ही रह जाती है।
एक शिष्य ने तुरंत पूछा और जब दो व्यक्ति एक दूसरे को हद से ज्यादा प्रेम करते हैं तब क्या होता है?
तब गुरूजी ने उत्तर दिया कि जब भी लोग एक दूसरे से अटूट प्रेम करते हैं। तब बोलते नहीं हैं। बल्कि एक दूसरे की ओर देखते रहते हैं और सामने वाले की बात समझ जाते हैं। इसलिए शिष्यों जब भी तुम किसी से बात करो तो हमेशा ध्यान रखना कि तुम्हारे और सामने वाले के बीच ह्रदय की दूरी अधिक ना होने पाए।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि कभी भी बात करते हो समय कड़वे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ताकि हमारे और सामने वाले के बीच के दृदय की दूरी अधिक ना बढ़ सके और हम विवादों से बचे रहें।
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