रविवार, 14 जून 2020

पंचतंत्र की कहानी : सच बोलने का परिणाम । Kids Stories

पंचतंत्र की कहानी : सच बोलने का परिणाम । Kids Stories

पंचतंत्र की कहानी : सच बोलने का परिणाम । Kids Stories-: यह कहानी "सदा सत्य बोलो" की घटना पर आधारित एक मार्मिक हिंदी कहानी है. हम सभी लोग बचपन से ही यह सुनते और पढ़ते आये हैं कि हमें "सदा सत्य बोलो" का पालन करना चाहिए. सामान्य परिस्थितियों में लोग सच बोलने का प्रयास भी करते हैं परन्तु जब सत्य बोलने से परिणाम घातक भी हो सकता है. क्या ऐसी स्थिति में भी सत्य बोलना उचित होगा ?


पंचतंत्र की कहानी : सच बोलने का परिणाम । Kids Stories
पंचतंत्र की कहानी : सच बोलने का परिणाम । Kids Stories

एक गावं में एक बहुत ही गरीब किसान रहता था, जिसका नाम मणिलाल था. मणिलाल को एक पुत्र हुआ था जिसका नाम रामू था. रामू के जन्म के कुछ दिनों बाद ही मणिलाल गुजर गया था. जिसके कारण रामू के भरण-पोषण का काम उसकी माँ ने ही किया था.


रामू को पढ़ने लिखने की बहुत इच्छा था. वह पढ़-लिखकर विद्वान आदमी बनना चाहता था. चुकीं उसके गाँव में पढाई के अच्छे साधन उपलब्ध नहीं थे क्योंकि उसका गावं एक छोटा गावं था. 

एक दिन रामू ने अपनी मां से कहा कि माँ मैं पढ़ने के लिए शहर जाना चाहता हूँ. यह सुन माँ का कलेजा भर आया और उसने रामू से कहा कि मेरे पास इतने पैसे नहीं कि मैं तुम्हें शहर पढ़ने के लिए भेज सकूँ. लेकिन रामू जिद करने लगा. रामू उनका एकलौता पुत्र था इसलिए माँ को उसकी बात माननी पड़ी.

रामू का गावं शहर से काफी दूर था इसलिए उसे शहर जाने के लिए ऊँट, खच्चरों पर माल लादकर लम्बी यात्राएँ करने के लिए चल पड़ा. रास्ते में रामू को एक व्यापारी मिला वह भी शहर की ओर जा रहा था. रामू भी उसी के साथ शहर की ओर चल पड़ा. रामू की माँ ने उसे जाते समय चांदी की चालीस मोहरें दी थीं.

माँ ने रामू से कहा- बेटा, मरने से पूर्व तेरे पिता मात्र इतने ही दौलत छोड़ गए हैं. इसलिए इसे बहुत सावधानी से खर्च करना. चाहे कितनी भी विकट परिस्थिति क्यों न आ जाये हमेशा सत्य बोलना. भगवान बहुत दयालु होता है वह हमेशा तुम्हारी मदद करेंगे. 

रामू  माँ की बात गाँठ बाँध ली और सफर पर निकल पड़ा. सफर काफी लम्बा था. रास्ते में एक दिन डाकुओं ने हमला कर दिया और व्यापारियों का सारा माल-खजाना लूट लिया. रामू फटे पुराने कपड़े पहन रखा था. इसलिए डाकुओं ने सोच कि इस लड़के के पास क्या होगा ? ये तो पहले से ही गरीब दिख रहा है.

डाकू व्यापारियों से लुटा हुआ धन लेकर जाने ही वाले थे कि तभी एक डाकू ने रामू से कहा ‘क्यों बे लड़के, तेरे पास भी कुछ माल है?’  तब रामू से बड़े शांत भाव से उत्तर दिया- ‘जी हाँ ! मेरे पास चांदी की चालीस मोहरें  हैं।’

डाकुओं को लगा कि लड़का मजाक कर रहा है. उन्होंने डाँटा और कहा- ‘बदमाश ! हमसे मजाक करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ?’

तब रामू ने कहा मैं सच बोल रहा हूँ और उसने चांदी की चालीस मोहरें डाकू के सामने निकाल कर रख दी.

डाकुओं के सरदार ने रामू से पूछा- ‘लड़के, तू तो जानता है कि हम डाकू हैं। हम तेरी सभी मोहरें छीन लेंगे। फिर भी तूने हमसे झूठ क्यों नहीं बोला?’

तब रामू से कहा-‘ बात यह है सरदारजी ! मेरी माँ ने मुझे सिखाया था कि चाहे कितनी भी विकट परिस्थिति क्यों न हमेशा सच बोलना. क्योंकि सच बोलने वालों की मदद भगवान करते हैं.

डाकू सन्न रह गये। इतना ईमानदार बच्चा ! एक यह है और एक हम हैं, जो बेगुनाहों को सताते हैं और उनसे लुट-पाट करते हैं. डाकुओं को अपने कारनामे पर बहुत पछतावा हुआ। 

डाकुओं ने रामू की सभी मोहरें और व्यापारियों का सारा माल वापस लौटा दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने सदा के लिए  गलत काम करना भी छोड़ दिया.

ये है सच बोलने की ताकत है। छोटे से बालक ने सिखा दिया कि सच बोलने का परिणाम सदैव अच्छा ही होता है.


इस कहानी से सीख-: इस कहानी "पंचतंत्र की कहानी : सच बोलने का परिणाम । Kids Stories" से हमें यही सीख मिलती है कि कितना भी विकट परिस्थिति क्यों न हो हमें सत्य अवश्य ही बोलना चाहिए. आज इस कहानी के माध्यम से हम यही जानेंगे कि विकट परिस्थिति में भी हमें सत्य अवश्य ही बोलना चाहिए–

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