आलसी ब्राह्मण और राक्षस । Panchatantra Short Stories
आलसी ब्राह्मण और राक्षस । Panchatantra Short Stories-: बहुत समय पहले की बात है. एक गावं में मणिलाल नामक एक ब्राह्मण (Brahman) रहता था. वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बेहद ख़ुशहाल रहता था. ब्राह्मण एक धनि व्यक्ति था और उसके पास बहुत सारे खेत-ज़मीन-पैसे थे. उसके खेत की मिटटी बहुत ही उपजाऊ थी, जिसमें वह सभी तरह के फसल को उगा सकता था.
परन्तु इस ब्राह्मण (Brahman) में एक बहुत ही बुरी आदत थी. वह बहुत ही आलसी व्यक्ति था. वह कभी भी अपने खेत पर नहीं जाता था, जिसके कारण उसके फसल अक्सर खराब हो जाते थे और साथ ही साथ उसके फसल को चोर भी चुराकर ले जाते थे. इसकी इसी आदत से इसकी पत्नी बहुत परेशान रहती थी. उसकी पत्नी ने उसे बहुत समझाया पर ब्राह्मण ने उसकी एक न सुनता था और वह वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पाती थी.
एक दिन इस ब्राह्मण (Brahman) के घर एक साधू बाबा आये. ब्राह्मण ने बड़े ही आदर-भाव से उनका सेवा-सत्कार किया. तब जाते कमी उस साधू बाबा ने उस ब्राह्मण से कहा कि "मणिलाल मैं तुम्हारे द्वारा किये गए इस सेवा से बेहद खुश हूँ, तुम मुझसे कोई वरदान मांग लो ".
ब्राह्मण की तो आँखे चमक उठी. उनसे खुशी से उछलते हुए कहा कि "बाबा मैं कोई भी काम खुद से नहीं करना चाहता इसलिए मुझे ऐसा कोई आदमी दे दो, जो मेरा सारे काम कर दिया करे और मुझे कुछ भी न करना पड़े ".
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बाबा इस ब्राह्मण (Brahman) की मंशा समझ चुके थे. फिर भी उन्होंने हँसते हुए उस ब्राह्मण से कहा कि ठीक है, ऐसा ही होगा, परन्तु ध्यान रखना तुम उस आदमो को हमेशा कोई न कोई काम जरुर दे सको. ऐसा न हो कि तुम्हारे पास उसे देने के लिए काम कम पड़ जाए". यह कहकर बाबा ने एक मंत्र बुदबुदाया और एक बड़ा सा जिन्न उस ब्राह्मण के सामने प्रकट हो गया और कहने लगा, “ मेरे मालिक, मुझे काम दो, मुझे करने के लिए काम चाहिए.”
पहले तो ब्राह्मण (Brahman) उस जिन्न को देख कर काफी डर गया क्योंकि वह जिन्न देखने में बहुत डरावना था. तभी जिन्न ने दोबारा कहा कि “जल्दी मुझे कोई काम दो वरना मैं तुम्हें ही खा जाऊंगा.”
ब्राह्मण (Brahman) ने कहा, ठीक है जाओ और जाकर खेत में ठीक से पानी डाल कर वापस मेरे पास आना.” यह सुनकर जिन्न तुरंत गायब हो गया. तब ब्राह्मण ने थोड़ी राहत की सांस ली और पत्नी से पानी मांगकर पीने लगा. अभी वह पानी पी ही रहा थी कि जिन्न फिर से प्रकट हो गया और कहा कि मैंने तुम्हारा काम ख़तम कर दिया अब कोई दुसरा काम दो”.
ब्राह्मण (Brahman) अब घबरा गया और बोला कि आज के हो गया अब तुम जाकर आराम कर लो, बाकीं का बचा काम कल कर लेना. लेकिन जिन्न बोला नहीं-नहीं, मुझे अभी ही काम चाहिए, वरना मैं तुम्हें ही खा जाऊंगा.” यह सुन ब्राह्मण काफी डर गया और बोला ठीक है रात भर में जाकर पूरी खेत जोत लो.
जिन्न फिर से गायब हो गया. अब ब्राह्मण (Brahman) काफी डर गया और रात में खाना खाते समय अपनी पत्नी को सारी बात बताई. उसकी पत्नी बहुत समझदार थी. पहले तो उसे अपने पति पर बहुत गुस्सा हुई. और अपने पति से बोला मैंने आपको कई बार समझाया कि इतना आलस करना ठीक नहीं है, परन्तु आपने मेरी एक न सुनी. इसलिए आज इस मुसीबत में पड़ गए हैं.
लेकिन गुस्सा शांत होने के बाद उसने अपने पति से कहा कि आप उस साधू के पास जाईए और उनसे ही इसका कोई समाधान पूछिये. पत्नी की यह बात सुन ब्राह्मण (Brahman) रात में ही उस साधू से मिलने चला गया.
ब्राह्मण (Brahman) काफी डरा हुआ था. इसलिए काफी तेजी से चल रहा था. तभी उसे वह साधू नजर आये. उसने उस साधू को रोका और अपनी परेशानी पूरी बात बताई.
यह सुन साधू पहले तो हँसे लेकिन फिर उन्होंने उस ब्राह्मण से कहा ठीक है मैं तुम्हें इस परेशानी से निकाल सकता हूँ, लेकिन तुम्हें संकल्प करना होगा कि तुम कभी भी आलस नहीं करोगे. ब्राह्मण (Brahman) ने कहा कि साधू महराज कभी भी मैं आलस नहीं करूँगा और अपना सभी काम स्वयं ही करूँगा.
तब उस साधू बाबा ने कहा कि अब जब भी वह जिन्न तुम्हारे पास आये तो तुम उसे अपने कुत्ते मोती की पूछं सीधी करने के लिए बोलना. ब्राह्मण (Brahman) थोड़ा आश्चर्य से बोला साधू बाबा क्या इससे मेरी परेशानी का हल निकल जायेगा. उन्होंने कहा विश्वास रखो. तुम्हारी समस्या जल्द ही समाप्त हो जाएगी.
ब्राह्मण (Brahman) ने उस साधू को धन्यवाद दिया और ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर की ओर चल दिया. उस रात वह घर पहुँच कर आराम से सोया. अगली सुबह जिन्न फिर से प्रकट हो गया और फिर से काम मांगने लगा और बोला, “काम दो, मेरा काम हो गया. जल्दी दो, वरना मैं तुम्हें ही खा जाऊंगा.”
तब ब्राह्मण (Brahman) ने कहा कि ठीक है तुम मेरे कुत्ते मोती की पूंछ को सीधी करो. एक बात का ध्यान रखना कि पूंछ बिल्कुल सीधी होनी चाहिए. उसने कहा ठीक और चला गया.
वहां जिन्न लाख कोशिशों के बाद भी मोती की पूंछ सीधी नहीं कर पाया. पूंछ छोड़ने के बाद फिर से टेढ़ी हो जाती थी. दिन भर वो यही करता रहा. लेकिन कुत्ते की पूंछ सीधी नहीं हो पाई.
उधर ब्राह्मण (Brahman) ने उस जिन्न से कहा अभी तक तुम्हारा काम पूरा क्यों नहीं हुआ जल्दी से करो मुझे तुम्हें दुसरा काम देना है. अब जिन्न डर और वह वहां से गायब हो गया और फिर कभी लौट के नहीं आया.
जिन्न के चले जाने के बाद उसकी पत्नी से उससे कहा कि देखा आपने मनुष्य को आलस करना कितना खतरनाक हो सकता है. ब्राह्मण (Brahman) बोला ठीक कहा तुमने आज के बाद मैं आलस कभी नहीं करूँगा और रोज अपना काम पूरी ईमानदारी से करूँगा.
इस कहानी से सीख-: इस आलसी ब्राह्मण और राक्षस । Panchatantra Short Stories कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें कभी भी आलस नहीं करना चाहिए क्योंकि आलस मनुष्य का सबसे बड़ा दुर्गुण होता है और यह व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन होता है. इसलिए हमें अपने सभी काम के प्रति हमेशा ईमानदार होना चाहिए ताकि इस आलसी ब्राह्मण (Brahman) की तरह हम भी किसी मुसीबत से पड़ने से बच जाएँ.
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