पंचतंत्र कहानी : मूर्ख मगरमच्छ और बंदर । Hindi Stories
पंचतंत्र कहानी : मूर्ख मगरमच्छ और बंदर । Hindi Stories-: किसी नदी किनारे एक बहुत बड़ा जामुन का पेड़ था और उस पर एक बंदर रहता था. बंदर हमेशा उस पेड़ पर ही रहता था और उस पर लगे मीठे बेर रसीले फल को खाता था. वह उस पेड़ पर अकेला ही रहता था. इसलिए उसका दिन मजे में बीत रहा था.
एक दिन की बात है बंदर अपने पेड़ पर बैठकर रसीले फल खा रहा था. तभी वहां उस नदी से एक मगरमच्छ आया और उस पेड़ पर बैठे बंदर से पूछा भाई कुछ खाने की व्यवस्था है. बहुत जोर की भूख लगी है. अब बंदर ने उससे पूछा कि तुम कौन हो भाई और यहां किसलिए आए हो.
तब उस मगरमच्छ ने बंदर से कहा कि मैं मगरमच्छ हूं, जो बहुत दूर से खाने की तलाश में घूम रहा हूं. मैं हमेशा पानी में ही रहता हूं. परंतु कई दिनों से बहुत भूखा हूं. इसलिए भटकते भटकते मैं यहां पहुंच गया. बंदर ने कहा ठीक है यहां पर खाने की कोई कमी नहीं है. तुम अभी रुको, मैं तुम्हें कुछ मीठे-रसीले फल देता हूं.
और बंदर बहुत सारे फल तोड़कर मगरमच्छ को देता है जिसे खाकर मगरमच्छ बहुत वाह-वाह करता है और कहता है कि तुम्हारे तो यह फल बहुत ही रसीले हैं. इसलिए मैं कल भी आऊंगा क्या तुम मुझे फल खिलाओगे. बंदर ने कहा बिल्कुल हाँ, तुम मेरे मेहमान हो मैं तुम्हें जरूर खिलाऊंगा.
अगले दिन भी मगरमच्छ उस पेड़ के नीचे आ गया और बंदर ने उसे बहुत सारे मीठी बेर सीधी जामुन खिलाए. फिर धीरे धीरे बंदर ओर मगरमच्छ में दोस्ती बढ़ गई. एक दिन मगरमच्छ ने कहा कि भाई मेरी पत्नी भी है. इसलिए अगर तुम बुरा ना मानो तो मुझे कुछ फल अपने घर ले जाने के लिए भी दे सकते हो. बंदर ने कहा क्यों नहीं यह लो और उसने बहुत सारे फल तोड़कर दे दिए. मगरमच्छ ने उसे धन्यवाद कहा और फल लेकर अपने घर की ओर चल पड़ा.
मगरमच्छ जब अपने घर पहुंचा और उसने अपने फल को पत्नी को दिया तो पत्नी ने फल चखा और कहा कि बहुत ही बेहद मीठे व रसीले फल है. किसने दिया तुम्हें तब मगरमच्छ ने कहा कि मेरा एक मित्र है, जो नदी किनारे रहता है उसी ने मुझे यह फल तुम्हें देने के लिए दिया है.
अब मगरमच्छ की पत्नी ने अपने मन ही मन सोचा कि जब यह फल इतना मीठा और स्वादिष्ट है तो उस फल खाने वाले उस बंदर का कलेजा कितना स्वादिष्ट और मीठा होगा. ऐसा सोच कर उसने मगरमच्छ से कहा कि तुम अपने मित्र को एक बार अपने घर क्यों नहीं लाते मगरमच्छ ने कहा नहीं नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि वह पानी में डूब जाएगा. वह जमीन पर रहने वाला प्राणी है और मैं जल के अंदर.
मगरमच्छ ने अपनी पत्नी की बात को अनसुना कर दिया. लेकिन उसकी पत्नी भी बहुत चालाक थी. एक दिन उसने मगरमच्छ से बीमारी का बहाना बनाया और बहुत जोर-जोर से रोने लगी और ऐसा नाटक करने लगी, जैसा मानो कि उसे बहुत तेज दर्द हो रहा हो सीने में.
मगरमच्छ अपनी पत्नी के इस तरह रोने से बहुत दुखी था. उसने अपने पति से कहा कि बताओ मैं ऐसा क्या करुं जिससे तुम ठीक हो जाओगी. तब उसकी पत्नी ने कहा कि वैद जी ने मुझे बताया है कि यदि मैं उस बंदर का कलेजा खा लूंगी तो मेरी बीमारी ठीक हो जाएगी.
इसलिए तुम उस बंदर का कलेजा ले आओ. यह सुन मगरमच्छ को बहुत बुरा लगा. उसने कहा नहीं मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि वह हमारा मित्र है. मैं उसे धोखा नहीं दे सकता. लेकिन उसकी पत्नी बहुत ही जिद्दी थी और वह और जोर जोर से रोने लगी. यह देख मगरमच्छ ने कहा ठीक है मैं कल तुम्हारे लिए उसे यहां ले आऊंगा.
अगले दिन मगरमच्छ उदास होकर बंदर के पास पहुंचा. उसे देखर कर बंदर ने कहा कि क्या हुआ भाई तुम आज इतने उदास क्यों हो? तब मगरमच्छ ने कहा कि मेरी पत्नी बहुत बीमार है और वह तुमसे एक बार मिलना चाहती है. उसने कहा कि जिस बंदर ने हमारी इतनी मदद की है. हमें मीठे फल खिलाए हैं. मैं भी उसे अपने घर पर निमंत्रण देना चाहती हूं. बंदर हंसने लगा रहा बस इतनी सी बात है ठीक है मैं अभी तुम्हारे साथ चलता हूं.
बंदर झट से पेड़ पर से उतरा और उस मगरमच्छ के बीच पर बैठ गया और धीरे-धीरे मगरमच्छ चलने लगा. जब मगरमच्छ नदी के बीच में उस बंदर को लेकर पहुंचा उसने उस बंदर से कहा कि भाई मुझे माफ करना. मैं तुम्हें इसलिए ले जा रहा हूं क्योंकि मेरी पत्नी बहुत बीमार है. उसे वैद जी ने कहा है कि वह यदि तुम्हारा कलेजा खा लेगी तो वह स्वस्थ हो जाएगी.
या सुन बंदर अवाक रह गया. उसे अब बहुत डर लगने लगा. लेकिन बंदर बहुत चालाक था. इसलिए उसने धैर्य से काम लिया. उसने कहा ठीक है यदि तुम्हें मेरा कलेजा ही चाहिए तो मुझे पहले बोल देते मैं तुम्हें खुशी खुशी दे देता. लेकिन मेरा कलेजा तो उसी पेड़ पर रखा हुआ है. मैं उसे हिफाजत के लिए वही रखता हूं. यदि तुम पहले बता दिया होते तो मैं उसे साथ लेकर आता.
तब मगरमच्छ बोला कि अब क्या होगा तब बंदर ने कहा जल्दी वापस चलो मैं उस कलेजे को अपने साथ ले कर आता हूं, नहीं तो तुम्हारी पत्नी और भी बीमार पड़ जाएगी. यह सुन मगरमच्छ ने कहा ठीक है चलो और उसने बंदर को अपनी पीठ पर लेकर उस पेड़ की तरफ चलने लगा.
कुछ देर बाद जब बंदर उस पेड़ के नजदीक के पहुंचा तब झट से छलांग मार कर पेड़ पर पढ़ चढ़ गया और राहत की सांस ली. मगरमच्छ ने कहा बंदर भाई अपने कलेजा को लेकर चलो मेरी पत्नी बहुत बीमार है. तुम बहुत ही बड़े मुर्ख हो.
उस बंदर ने कहा मूर्ख मगरमच्छ भला कोई अपने कलेजे को पेड़ पर टांग कर कहीं जा सकता है. मैंने तो अपने प्राण बचाने के लिए ऐसा कहा. मैंने तुमसे सच्ची मित्रता की और तुमने मुझे धोखा दिया यहां से चले जाओ और कभी यहाँ मत आना. यह सुन मगरमच्छ को बहुत अफसोस हुआ और खाली हाथी अपने घर की ओर लौट गया.
इस कहानी से सीख-: इस पंचतंत्र कहानी : मूर्ख मगरमच्छ और बंदर । Hindi Stories से हमें यही सीख मिलती है कि कभी भी किसी से धोखेबाजी नहीं करनी चाहिए. यदि जब भी कोई संकट आ गया हो तो धैर्य के साथ उस संकट से निकलने का रास्ता ढूंढना चाहिए.
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