जैसा करोगे वैसा भरोगे । Panchtantra Stories in Hindi
जैसा करोगे वैसा भरोगे । Panchtantra Stories in Hindi-: एक गावं में एक बुढ़िया रहती थी. उसका एकलौता बेटा था. वह अपने बेटे से बहुत प्यार करती थी. बुढ़िया को हमेशा अपने बेटे से यही उम्मीद रहती थी. जब भी उसके बेटे का विवाह होगा तब उसका बेटा और बहु उसकी बहुत सेवा करेंगे और उसे घर का कोई भी काम नहीं करना पड़ेगा. धीरे-धीरे वह दादी बन जाएगी और उसका घर स्वर्ग बन जायेगा.
एक दिन उस बुढ़िया के बेटे का विवाह हो गया. उसका एकलौता बेटा था. इसलिए उसका विवाह बड़ी धूमधाम से हुआ. दुर्भाग्य से उसका एक भी सपना पूरा नहीं हुआ. उसका बेटा सुबह-सुबह काम पर चला जाता और पोता स्कूल चला जाता. उसकी बहु उससे घर का सारा काम करबाती. बहू बुढ़िया से घर में झाड़ू लगवाती, झूठे बर्तन साफ़ करवाती और टूटे-फूटे बर्तनों में उसे भोजन देती.
पहले तो बहु अपने पति और बेटे के नहीं रहने पर ही बुढ़िया से झगड़ा करती. लेकिन धीरे-धीरे उस का मनोबल बढ़ता गया. अब वह अपने बेटे और पोते के सामने ही बुढ़िया का अपमान करने लगी.
एक दिन टूटे बर्तनों में अपने माँ को भोजन करते देखकर उसके बेटे को बहुत दुःख हुआ. उसने अपनी माँ का पक्ष लेते हुए अपनी पत्नी को बहुत डांटा। पति-पत्नी दोनों में बहुत कहा-सुनी हो गई. धीरे-धीरे बुढ़िया के बेटे ने भी पत्नी का विरोध करना छोड़ दिया.
धीरे-धीरे पोता बड़ा होने लगा तो वह अपनी माँ का विरोध करने लगा। वह अपनी दादी से बहुत प्यार करता था। अपनी दादी पर माँ द्वारा किए गए अत्याचारों को देखकर उसे बहुत दुःख होता था। उसे अपनी दादी से हमदर्दी और सहानुभूति थी। अपनी माँ के डर से वह दादी की कुछ भी मदद नहीं करता था। धीरे-धीरे पोता बड़ा हो गया और उसका विवाह भी हो गया।
पोते की नई बहू छिप-छिपकर अपनी दादी-सास पर होते अत्याचारों को चुपचाप देखती रहती थी। लेकिन पतोहू को बुढ़ापे में दादी-सास से काम करवाना जरा भी अच्छा नहीं लगता था। जब कभी पतोहू बुढ़िया की काम करने में मदद करती तो उसकी सास उसे खूब डांटती। पतोहू जब कभी दादी-सास को रोते हुए देखती तो उसे बहुत दुःख होता था।
एक बार बुढ़िया बीमार पड़ गई और परलोक सिधार गई. अब बुढ़िया की बहू पतोहू से ही घर का सारा काम कराती और उसके साथ अभद्र व्यवहार करती. जब पतोहू ने देखा कि उसकी सास दादी-सास की तरह ही उस पर भी अत्याचार कर रही है तो उसने बदला लेने की ठान ली.
वह भी अपनी सास से वैसा व्यवहार करने लगी जैसा व्यवहार उसकी सास अपनी सास से करती थी। अब तो पतोहू अपनी सास को फूटी थाली में भोजन देने लगी. यह देखकर उसके पति और ससुर ने बहुत विरोध किया.
पतोहू ने अपने ससुर और पति से कहा-' मेरी दादी-सास जितनी मेहनती और सीधी थी जब माताजी उन्हें फूटी थाली में भोजन देती थीं तब तुम कुछ क्यों नहीं बोले। उन पर होने वाले अत्याचारों को तुम दोनों चुपचाप देखते रहे। तब क्या तुम्हारे मुख पर ताला पड़ गया था। यदि किसी ने माताजी की पैरवी की तो मुझ से बुरा कोई न होगा.'
पतोहू की बातें सुनकर उसका पति और ससुर कुछ नहीं बोले। उन्होंने भी उसका विरोध करना छोड़ दिया। ससुर को अपनी पत्नी के साथ अभद्र व्यवहार देखकर बहुत गुस्सा भी आता था। जब ससुर पतोहू को डाँटने लगे तो वह उनके साथ भी अभद्र व्यवहार करने लगी. सास-ससुर अकेले में बैठकर अपने सुख-दुःख की बातें करते और यही सोचते थे कि जैसा करोगे वैसा भरोगे.
इस कहानी से सीख-: इस मार्मिक कहानी "जैसा करोगे वैसा भरोगे । Panchtantra Stories in Hindi" से हमें यही सीख मिलती है कि हमें सबके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए क्योंकि जैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ करेंगे वैसा ही व्यवहार दूसरे लोग हमारे साथ करेंगे.
कैसी लगी ये "जैसा करोगे वैसा भरोगे । Panchtantra Stories in Hindi" की कहानी नीचे Comment करके जरुर बताएं. यदि आप किसी विशेष टॉपिक पर कहानी पढ़ना चाहते हैं तो नीचे उस टॉपिक नाम हमें Comment करके जरुर बताएं. ताकि हम उस टॉपिक पर आपके लिए पोस्ट लिखे सकें.
---------✱✱✱---------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
For read Majedar Hindi Kahaniya Please Subscribe my Website.