गुरुवार, 18 जून 2020

लालची ब्राह्मण और सांप की कहानी । Panchatantra Stories

लालची ब्राह्मण और सांप की कहानी । Panchatantra Stories


लालची ब्राह्मण और सांप की कहानी । Panchatantra Stories-: किसी गांव में एक हरिनारायण नामक ब्राहमण निवास करता था. वह अपने गांव में ही खेती किया करता था और उसी से अपना जीवन यापन करता था. उसके खेत की निकट एक वृक्ष था. जिसकी छाया में वह प्रतिदिन लेटा करता था. अपने खेत के काम करने के पश्चात. एक दिन वह उसी वृक्ष के नीचे शीतल छाया में लेटा हुआ था.


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तभी सपने में उसने देखा कि वह पेड़ के नीचे सोया हुआ है. उससे वृक्ष के नीचे एक सर्प बिल बना कर रहता है. उसे देख कर उस ब्राह्मण (Brahman) के मन में एक विचार आया कि हो ना हो यह मेरे क्षेत्र का ही देवता है. मैंने कभी भी इसकी पूजा नहीं की है. इसलिए आज मैं इसकी पूजा अवश्य करूंगा. यह विचार करके वह झटपट नींद से जागा और कहीं से दूध मांग कर ले आया.


लालची ब्राह्मण और सांप की कहानी । Panchatantra Stories
लालची ब्राह्मण और सांप की कहानी । Panchatantra Stories


अब उसने दूध को मिट्टी के एक बर्तन में डालकर उसे बिल के समीप जाकर बोला हे सर्प महाराज मुझे आज तक मालूम नहीं था कि आप यहां वर्षों से रह रहे हैं. इसलिए मैंने इतने दिनों से आप की पूजा-अर्चना नहीं की थी. इस अपराध के लिए मुझे क्षमा करें. और मुझे गरीब
ब्राह्मण (Brahman) को धन्य धान्य से समृद्ध करें. इस प्रकार प्रार्थना कर कर ब्राहमण दूध को वही रखकर अपने घर की ओर लौट गया.


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अगले दिन जब ब्राह्मण (Brahman) वृक्ष के समीप पहुंचा तो देखा कि सांप के बिल के पास एक स्वर्ण मुद्रा रखी हुई है. उसने झट से उस स्वर्ण मुद्रा को उठाया. और फिर से दूध का इंतजाम करके उसे सांप के बिल के आगे रख दिया.


इस प्रकार वह प्रतिदिन उस वृक्ष के नीचे रह रहे सांप के लिए दूध लाता पूजा-अर्चना करता और घर वापस लौट जाता फिर अगले दिन उसे एक स्वर्ण मुद्रा मिल जाती.


इस प्रकार प्रतिदिन उस किसान को एक-एक स्वर्ण मुद्रा मिलने लगी. धीरे-धीरे ब्राह्मण (Brahman) धनवान होते चला गया. एक दिन उस ब्राह्मण (Brahman) के मन में विचार आया कि हो ना हो इस वृक्ष के नीचे जरूर कोई स्वर्ण मुद्रा का भंडार है. इसलिए तो रोज-रोज मुझे स्वर्ण मुद्राएं मिलती है.


उसने सोचा कि क्यों न इस बिल को खोदकर सारी स्वर्ण मुद्राएं एक साथ ही ले ली जाए. लेकिन उससे डर था कि कहीं सर्प उसे डस न ले. इसी डर से वह बिल को खोद नहीं पाता था.लेकिन अगले दिन उसने निश्चय किया कि कल कुछ भी क्यों न हो जाए सारा स्वर्ण मुद्राएं निकलेगा.


अगले दिन वह रोज की तरह दूध लेकर उस पेड़ के नीचे पहुंचा और दूध को सर्प के आगे रख दिया.

तब सर्प दूध को पीने लगा. तब तुरंत उस ब्राह्मण (Brahman) ने अपने डंडे से सांप के सर पर बहुत जोर से मारा.


परंतु दुर्भाग्यवश सांप मारा नहीं किंतु उसने उस ब्राह्मण (Brahman) को ही डस लिया और इसके कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई. इस प्रकार लालच के कारण ही इस लालची ब्राह्मण (Brahman) का अंत हो गया.


इस कहानी से सीख-: इस लालची ब्राह्मण और सांप की कहानी । Panchatantra Stories कहानी से हमें यही चीज मिलती है की आवश्यकता से अधिक का लालच करना विनाश का कारण बनता है. इसलिए मनुष्य को कभी भी अधिक लालच नहीं करना चाहिए क्योंकि लालच बुरी बला है.


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