बुधवार, 17 जून 2020

पंचतंत्र कहानी : जैसे को तैसा । Short Stories For Kids

पंचतंत्र कहानी : जैसे को तैसा । Short Stories For Kids


पंचतंत्र कहानी : जैसे को तैसा । Short Stories For Kids -: एक जंगल में एक लोमड़ी और सारस रहते थे. दोनों एक साथ रहते थे. इसलिए दोनों में बहुत गहरी मित्रता थी. दोनों ख़ुशी-ख़ुशी उस जंगल में रहते थे. सारस बहुत ही अच्छे स्वभाव की थी वहीँ लोमड़ी बहुत ही धूर्त और चालाक थी. वह हमेशा अपना ही फायदा देखती थी और हमेशा सारस को मुसीबत में डालने के बारे में सोचती थी.


पंचतंत्र कहानी : जैसे को तैसा । Short Stories For Kids
पंचतंत्र कहानी : जैसे को तैसा । Short Stories For Kids

एक बार की बात है लोमड़ी अपने घर पर सारस को भोज का निमंत्रण दिया. सारस ख़ुशी-ख़ुशी उस
निमंत्रण स्वीकार कर लिया. सारस मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रहा था कि आज उसे बहुत ही स्वादिष्ट भोजन खाने को मिलेगा. यह सोच कर सारस बहुत खुश हो रहा था. सारस अपने मन में यह अनुमान लगा चुका था कि आज उसे खाने में मछलियाँ और केकड़े ही मिलेंगे.


सारस को आता देख लोमड़ी ने मुस्कुराते हुए कहा कि आओ मित्र मैं कब से तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही थी. यहाँ आने के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद.

इसके बाद लोमड़ी एक बड़े से बर्तन में सूप भरकर ले आई. सूप में से बहुत ही खुशबूदार महक आ रही थी और वह बहुत ही स्वादिष्ट थी जिसे देखकर सारस के मुहं में पानी आ गया.

फिर दोनों ने सूप का आनंद लेना प्रारंभ कर दिया. अभी सारस ने मात्र थोड़ा सा ही सूप अपनी चोंच में लिया था कि इधर लोमड़ी जल्दी-जल्दी सूप पीने लगी और देखते ही देखते उसने सारा सूप समाप्त कर डाला. बेचारे सारस को मात्र थोड़ा सा ही सूप नसीब हुआ था.

सूप पीने के बाद लोमड़ी ने सारस को रुमाल दिया और कहा कि चोंच साफ़ कर लो. फिर इसके बाद लोमड़ी ने सारस से कहा कि बताओ मित्र तुम्हें कैसा लगा ये स्वादिश सूप. मुझे आशा है कि तुमने इस स्वादिष्ट सूप का भरपूर आनंद लिया होगा.
लोमड़ी की बातें सुनकर सारस को बहुत गुस्सा आ रहा था. सारस स्वयं को बहुत अपमानित महसूस कर रहा था. अपमानित होकर सारस लोमड़ी की ओर देख ही रहा था कि तभी धूर्त लोमड़ी सारस का मजाक उड़ाते हुए जोर-जोर से हंसने लगी.

यह देख सारस चुप-चाप वहां से चला आया और मन ही मन निश्चय किया कि वह लोमड़ी से अपने अपमान का बदला जरुर लेगा.

लोमड़ी के प्रति अपने मन में क्रोध को छिपाते हुए सारस भी एक लोमड़ी के घर गई और कहा बहन लोमड़ी तुम्हारे स्वादिष्ट भोज के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं भी तुम्हें अपने घर पर आमंत्रित कर रही हूँ. मैंने भी तुम्हारे लिए अपने घर पर भोज का आयोजन किया है.

लोमड़ी ने सारस का निमंत्रण ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार किया और भोज के दिन निश्चित समय पर सारस के घर चला गया. लोमड़ी को आता देख सारस ने कहा कि आओ बहन जल्दी आओ मैं कब से तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही थी.

जल्दी चलो भोजन का आनद लेते हैं. लोमड़ी बोली मुझे तो स्वादिष्ट मछलियाँ और केकड़े की खुशबु आ रही है. मैं अब और प्रतीक्षा नहीं कर सकती.

तभी सारस ने एक सुराही (एक मिटटी का बर्तन ) जिसमें मछलियाँ और केकड़े भरी हुई थीं लोमड़ी के सामने लायी. सारस ने अपने चोंच से उस सुराही में से मछलियाँ और केकड़े को एक-एक करके निकालर खा रही थी. इसके बाद सारस ने लोमड़ी से भी भोजन करने को कहा.

लोमड़ी ने सुराही में अपना सर घुसाने की बहुत कोशिश की परन्तु उस सुराही का मुहं इतना पतला था कि लोमड़ी का मुहं उसमें घुस ही नहीं पा रहा था. इधर सारस ने पेट भरकर भोजन कर ली.

उधर बेचारी लोमड़ी भूखी ही रह गई और सारस पर गुस्साने लगी. तब सारस ने भी लोमड़ी का उप हास उड़ाते हुए कहा कि लोमड़ी बहन जैसे को तैसा और यह बोलकर जोर-जोर से हंसने लगी. यह सुन लोमड़ी गुस्से में अपना पैर पटकती हुई अपने घर को चली गई.


इस कहानी से सीख-: इस पंचतंत्र कहानी : जैसे को तैसा । Short Stories For Kids कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी के साथ बुरा बर्ताब नहीं करना चाहिए. यदि इसके बाद भी कोई हमारे साथ बुरा व्यवहार करता है तब हमें भी उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए अन्यथा उसका मनोबल बढ़ता ही जायेगा और हो सकता है कि वह और भी लोगों के साथ ऐसा करे।

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