गुरुवार, 18 जून 2020

बुद्धिमान हंस और शिकारी । Panchtantra Short Hindi Story

बुद्धिमान हंस और शिकारी । Panchtantra Short Hindi Story

बुद्धिमान हंस और शिकारी । Panchtantra Short Hindi Story-: एक बहुत बड़े जंगल में एक बहुत ही पुराना और विशाल बरगद का पेड़ था. उनमें से एक हंस (Hans) बहुत ही होशियार था. वह बहुत ही बुद्धिमान और दूर की दृष्टि रखने वाला था. उस वृक्ष पर रहने वाले अन्य पक्षियां उन्हें ताऊ कहकर पुकारती थी. उस वृक्ष पर और भी बहुत सारे हंस रहते थे.


लेकिन उसी वृक्ष के नीचे एक नन्ही सी बेल थी जो बरगद के पेड़ पर लिपट रहा था ताऊ ने उस वृक्ष पर रह रहे हैं, अन्य हंसों को बुलाया और कहा कि देखो इस नन्ही सी बेल को नष्ट कर दो. यह बेल एक ना एक दिन हम सब के विनाश का कारण बन सकता है.

बुद्धिमान हंस और शिकारी । Panchtantra Short Hindi Story
बुद्धिमान हंस और शिकारी । Panchtantra Short Hindi Story

तभी उन्हीं में से एक छोटे से हंस (Hans) ने ताऊ को चिढ़ाते हुए कहा कि ताऊ यह बेल तो बहुत छोटा सा है, भला यह हमारे विनाश का कारण कैसे बन सकता है.

तब उसे होशियार हंस (Hans) ने उस छोटे से हंस को समझाया कि देखो आज यह नन्ही सी बेल तुम्हें छोटी लग रही है. लेकिन यह धीरे-धीरे बड़ी हो जाएगी धीरे-धीरे यह पेड़ के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक पहुंच जाएगी, फिर धीरे धीरे बेल का तना मोटा होने लगेगा और इस बरगद के पेड़ से चिपक जाएगा.


तब नीचे से ऊपर तक पेड़ पर चढ़ने के लिए एक सीढ़ी की तरह बन जाएगा और कोई भी शिकारी इस सीढ़ी के सहारे हम तक पहुंच जाएगा और वो हमें अपना शिकार बना लेगा, जिससे हमारा विनाश हो जाएगा.

तभी एक दूसरे हंस (Hans) ने कहा कि छोटी सी बेल भला कैसे सीढ़ी बन सकती है. फिर तीसरे हंस ने कहा कि ताऊ तुम एक छोटी सी बेल को खींचकर बहुत ज्यादा लंबा कर रहे हो. ऐसा कुछ नहीं होने वाला है. इस तरह से सभी हंस (Hans) ने उस बुद्धिमान हंस की बात को गंभीरता से नहीं लिया क्योंकि उन लोगों के पास दूर तक देखने की अक्ल नहीं थी.

देखते ही देखते वह नन्हीं सी बेल बरगद के पेड़ से लिपट आ गया और उस की शाखाएं बरगद के पेड़ तक पहुंच गई. अब बेल का तना मोटा होना शुरु हो गया और सचमुच ही पेड़ के तने पर एक सीढ़ी सी बन गई. जिस पर कोई भी शिकारी आसानी से चढ़ सकता था.

अब सभी को उस बुद्धिमान हंस (Hans) की बात सही साबित होने लगी क्योंकि बेल अब इतना मजबूत हो गया था कि उसे नष्ट करना इन हंसों के बस की बात नहीं थी.

एक दिन जब कभी हंस (Hans) गाना चुनने के लिए बाहर गए तो एक शिकारी उधर आ गया और फिर पर बनी सीधी को देखते ही उससे ने पेड़ पर चढ़ कर जाल बिछाया और चला गया. तभी शाम के समय जब सारे हंस (Hans) लौट आए और पेड़ पर चढ़कर अपने घोसले में जाकर बैठे तो भी शिकारी के जाल में बुरी तरह फंस गए

जब वह जाल में फंस गए तब उन्हें ताऊ की बात याद आने लगी. उन्हें अपने किए पर पश्चाताप हो रहा था कि उन्होंने अपने से बुद्धिमान हंस (Hans) की बात नहीं मानी. वे अपने आप को लज्जित महसूस कर रहे थे.

तभी उनमें से एक हंस (Hans) ने अंत में हिम्मत करके ताऊ से कहा कि हमें अपनी गलती का एहसास हो गया है. आज के बाद हम आपके सलाह को गंभीरता से लेंगे. इसलिए हमारी मदद करें, सभी ने एक स्वर में उस बुद्धिमान हंस से प्राण बचाने की विनती करने लगे.

ताऊ बड़े दयालु थे. अब उस बुद्धिमान हंस (Hans) ने कहा ठीक है मेरी बात को ध्यान से सुनो कल सुबह जब शिकारी तुम लोगों को पकड़ने के लिए आएगा तो तुम मुर्दा होने का नाटक करना.

शिकारी तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकालकर जमीन पर फेंकता जाएगा तो वहां भी मरे होने का नाटक करना और जैसे ही वह अंतिम हंस (Hans) को नीचे फेंकेगा तो मैं सीटी बजाऊंगा और मेरी सिटी की आवाज सुनते ही सभी उड़ जाना. सभी ने कहा ठीक है हम ऐसा ही करेंगे.

सुबह हुआ और जैसे ही शिकारी आया तो उसने देखा कि उस के जाल में सभी हंस (Hans) मरे पर हैं और उसने एक एक करके सभी हंसो को मुर्दा समझ कर अपने जाल से निकालकर जमीन पर फेंकने लगा.

जब आखिरी हंस (Hans) को शिकारी ने जमीन पर फेंक दिया तब उस बुद्धिमान हंस ने जोर से सीटी बजाई और सभी हंस वहां से उड़ कर भाग गए. यह देख शिकारी आवाक रह गया. इससे पहले कि शिकारी कुछ सोचता सारे हंस आसमान में उड़ चुके थे.


इस कहानी से सीख-: इस बुद्धिमान हंस और शिकारी । Panchtantra Short Hindi Story कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी बुद्धिमान की सलाह को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और हमेशा बुद्धिमान की सलाह को गंभीरता से लेना चाहिए.


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