रामपुर नामक गांव में धनीराम नामक एक किसान रहता था I उसके दो पुत्र थे I एक का नाम राम था तो दूसरे का नाम श्याम था I दोनों भाई थे तो सगे परंतु दोनों की आदत बिल्कुल भी एक दूसरे से मेल नहीं खाता था I एक तरफ जहां राम बहुत कंजूस था वहीं दूसरी तरफ श्याम को फ़िज़ूलखर्ची की आदत थी I इन दोनों के आदत से धनीराम हमेशा परेशान रहा करता था I
उसे समझ नहीं आता था कि कैसे अपने दोनों बेटों को सही रास्ते पर लाया जाए I उनकी इन आदतों से उन दोनों की पत्नियां भी काफी परेशान थी I घरवाले दोनों को समझाने का बहुत प्रयास किए परंतु इसका असर उन दोनों पर रत्ती भर भी नहीं होता I ना राम अपनी कंजूसी छोड़ता और ना ही श्याम अपनी फ़िज़ूल खर्ची से ही बाज आता था I
एक बार उस गांव में एक बहुत ही प्रसिद्ध और विद्वान महात्मा जाए I उनके पास प्रत्येक प्रश्न का उत्तर था इसलिए सभी लोग अपनी-अपनी समस्या का समाधान उस महात्मा से पूछने के लिए जाते I धनीराम ने सोचा कि क्यों ना अपने पुत्रों का समाधान भी महात्मा जी से पूछा जाए I अगले दिन धनीराम महात्मा जी के पास पहुंचा और अपनी परेशानी बताई महात्मा जी ने ध्यानपूर्वक उनकी बातें सुनी और अगले दिन दोनों पुत्रों को साथ लेकर आने को कहा I
धनीराम नियत समय पर पुत्रों को लेकर पहुंच गए I महात्मा जी ने राम और श्याम दोनों के सामने अपनी मुट्ठी को बंद किया और घूमाते हुए कहा कि बताओ यदि मेरा हाथ हमेशा ऐसे ही बंद रहे तो कैसा लगेगा तो दोनों पुत्र बोले ऐसे में तो लगेगा जैसे कि आपको कोढ़ हो गया है I उस महात्मा जी ने अपनी हथेली को फैलाते हुए पूछा कि यदि मेरा हाथ हमेशा इसी प्रकार खुला रहे तो कैसे लगेगा ? अभी यहीं लगेगा कि आपको कोढ़ है पुत्र बोले !
तब महात्मा जी ने मुस्कुराते हुए बोले पुत्रों यही तो मैं तुम्हें समझाना चाह रहा हूँ I हमेशा अपनी मुट्ठी बंद रखना अर्थात कंजूसी दिखाना या हमेशा अपनी हथेली खुली रखना अर्थात फ़िज़ूलखर्ची करना एक तरह का कोढ़ ही तो है I हमेशा मुट्ठी बंद रखने वाला व्यक्ति धनवान होती विधि निर्धन ही रहता है जबकि हमेशा मुट्ठी खुला रखने वाला व्यक्ति कितना ही बड़ा धनवान क्यों ना हो जाए उसे निर्धन बनते देर नहीं लगती I
इसलिए कभी मुट्ठी बंद रखें तो कभी खुली रखें तभी जीवन का संतुलन बना रहता है I राम श्याम दोनों को अपनी गलतियों का एहसास हो चुका था उन्होंने निश्चय किया कि आज के बाद वह ना तो अधिक कंजूसी करेंगे और ना ही अधिक फ़िज़ूल खर्ची ही करेंगे I
इस कहानी बंद मुट्ठी – खुली मुट्ठी की कहानी | Short Stories in Hindi से हमें यह सीख मिलती है कि व्यक्ति को ना ही अधिक कंजूस होना चाहिए और ना ही अधिक फ़िज़ूलखर्ची हमेशा जरुरत के अनुसार अपने खर्चों का ध्यान रखना चाहिए I
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