पंचतंत्र कहानी : तीन मछलियां और मछुआरे। Kids Stories
पंचतंत्र कहानी : तीन मछलियां और मछुआरे। Kids Stories-: एक तालाब में तीन दिव्य मछलियाँ एक साथ रहती थीं. उस तालाब और सारी मछलियाँ उन तीनों को अपना राजा मानती थीं और अपने पसंद के अनुसार उन तीनों का अनुसरण करती थीं.
इनमें पहली मछली जिसका नाम पिंकी था, वो समय के अनुकूल परिस्थिति से निपटने में विश्वास रखती थीं और वह परंपरा या फिर शास्त्र को नहीं मानती थीं. उसे जब जैसी आवश्यकता होती थी परिस्थिति के अनुसार निर्णय लिया करती थी.
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दुसरी मछली जिसका नाम रानी था उसे उतनी ही दुर तक सोचनेँ की आदत थी, जिससे उसका वास्ता पड़ता था। वह सोचती कम थी, परंपरागत ढंग से अपना काम किया करती थी.
तथा आखरी के तीसरी मछली जिसका नाम ऋतू था, उसके पास शास्त्र ज्ञान का असीम भंडार. वह सभी तरह के शास्त्रोँ का ज्ञान रखती थीं.
एक दिन की बात सभी मछलियाँ आपस में बात कर रही थीं. तभी कुछ मछुआरे तालाब के तट पर आये और आपस में बात करने लगे कि देखो-देखो इस तालाब में बहुत सारी मछलियाँ हैं. सभी ने उनकी हाँ में हाँ मिलाया और सभी मछुआरे ने मिलकर कहा कि कल सुबह हम इस तालाब में जाल
डालेँगे और सारी मछलियाँ को पकड़ लेंगे. उन मछुआरों की सारी बातेँ मछलियोँ नेँ सुन लीं.
तब पिंकी नेँ कहा- "हमेँ तुरंत्त इस तालाब को छोड़कर पास के ही जंगली घास से ढके उस तालाब में चले जाना चाहिये, जिसका रास्ता इस तालाब के एक ओर है."
उसके बाद रानी ने कहा- "तुम्हारी बात सही है लेकिन उस जंगली तालाब में तो हमारे पूर्वज सिर्फ ठण्ड के दिनोँ मेँ ही वहाँ जाते हैँ और अभी तो वो मौसम ही नहीँ आया है. हमारे पूर्वज प्राचीन काल से इसी तालाब में रह रहे हैं इसलिए हमें इस तालाब को छोड़कर नहीं जाना चाहिए. मछुआरोँ का खतरा हो या न हो, हमेँ इस परंपरा का ध्यान रखना है."
फिर अंत में ऋतू नेँ गर्व से हँसते हुए कहा- " तुम अज्ञानी लोगों का तो शास्त्रोँ का कोई ज्ञान नहीं है जो जो बादल गरजते हैँ वे बरसते नहीँ हैँ. फिर हम लोगों को तैरने के हजारों तरीके का ज्ञान है
पानी के तल मेँ जाकर बैठनेँ की सामर्थ्यता है, हमारे पूंछ मेँ इतनी शक्ति है कि हम मछुआरे के जालोँ को फाड़ सकती हैँ. वैसे भी कहा गया है कि सँकटोँ से घिरे हुए हो तो भी अपनेँ घर को छोड़कर नहीं जाना चाहिए.
वे मछुआरे आयेँगे ही नहीँ, यदि आयेँगे तो भी हम तैरकर नीचे बैठ जायेँगी उनके जाल मेँ नहीँ फंसेगी और एक दो फँस भी गईँ तो पुँछ से जाल फाड़कर निकल जायेंगे। भाई! शास्त्रोँ और
ज्ञानियोँ के वचनोँ को अनदेखा करके मैं नहीँ जाऊँगी तुम्हें जाना है तो जाओ."
तब पिंकी नेँ फिर कहा-” मैँ शास्त्रोँ और परंपरा के बारे मेँ नहीँ जानती, मगर मेरी बुद्धि कहती है कि मनुष्य जैसे ताकतवर और चतुर शत्रु की आशंका यदि सिर पर हो तो उससे भागकर कहीँ छुप जाना ही समझदारी है.” ऐसा कहते हुए वह अपनेँ अनुयायि मछलियाँ के साथ चल पड़ी, उस जंगली तालाब की ओर.
रानी और ऋतू अपनेँ परँपरा और शास्त्र ज्ञान को लेकर वहीँ रूक गयीं. अगले दिन मछुआरोँ नेँ पुरी तैयारी के साथ आकर वहाँ जाल डाला और दोनोँ को पकड़ लिया और उन दोनों की एक न चली.
जब मछुआरे उनके विशाल शरीर को टांग रहे थे तब पिंकी नेँ गहरी साँस लेकर कहा-” इनके शास्त्र और परंपरा के ज्ञान नेँ ही धोखा दिया। काश! इनमेँ थोड़ी व्यवहारिक बुद्धि भी होती तो आज ये बच जाती.”
इस कहानी में व्यवहारिक बुद्धि से हमारा आशय है कि हमारे पास कॉमन सेंस का होना आवश्यक है. भले ही हमारे पास बहुत सारे शास्त्रों या फिर परंपरा का ज्ञान ही क्यों न हो. यदि हमारे पास व्य्वयहारिक बुद्धि नहीं है तो हम किसी भी परिस्थिति का सामना आसानी से नहीं कर सकते हैं.
इस कहानी से सीख-: इस कहानी "पंचतंत्र कहानी : तीन मछलियां और मछुआरे। Kids Stories" में हमें पिंकी की तरह संकट का संकेत मिलते ही उपाय सोचना चाहिए. हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि यह समस्या छोटी है कभी भी समस्या को छोटी समझने की गलती न करें अन्यथा ऐसा करना आपके विनाश का कारण बन सकता है.
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