पंचतंत्र की कहानियां : एकता में बल है - Moral Story for Kids
पंचतंत्र की कहानियां : एकता में बल है - Moral Story for Kids-: बहुत समय पहले की बात है। वनगिरी नामक जंगल में कबूतरों का एक झुंड रहता था। सभी कबूतर बहुत ही हंसी खुशी से रहते थे। एक बार सभी कबूतर दाना की खोज में निकल पड़े।
खाने की खोज में वे काफी दूर निकल गए थे। कुछ दूर जाने के बाद यह झुंड अपने रास्ते भटक गए थे। और एक ऐसे स्थान पर पहुंच गए, जहां भयंकर अकाल पड़ा था। वहां खाने की बहुत किल्लत थी।
खाना नहीं मिलने के कारण कबूतर धीरे-धीरे कमजोर हो रहे थे। यह देख कबूतरों का सरदार बहुत चिंतित हो गए। तभी झुण्ड के कुछ युवा कबूतर ने सरदार से आकर कहा कि सरदार कुछ दूर पर एक खेत है जहाँ ढेर सारा दाना बिखरा हुआ है। वहां पहुंचकर हम सभी का पेट भर जाएगा।
तब सरदार ने सभी कबूतरों को तुरंत उस खेत में उतरकर दाना चुनने का आदेश दिया। सभी कबूतर खेत में उतारकर दाना चुनने लगे। दरअसल, वह दाना शिकारी ने बिखेर रखा था। ताकि वह पक्षियों का शिकार कर सके। नीचे दाना डालने के साथ ही शिकारी ने ऊपर पेड़ पर जाल डाला हुआ था। ज्यों ही कबूतरों का झुंड दाना चुगने लगा। त्यों ही जाल सभी कबूतरों के झुंड पर गिर पड़ा और सभी कबूतर उस शिकारी के जाल में फंस गए।
यह देख सभी कबूतरों ने माथा पीटना चालू कर दिया। सरदार ने कहा कितना बड़ा मूर्ख था, मैं ? मुझे पहले सोचना चाहिए था कि खेत में इतने सारे दाने क्यों पड़े हुए हैं ? भूख ने मेरी बुद्धि पर पर्दा डाल दिया था। मगर "अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत" एक कबूतर ने कहा अब हम सब मारे जाएंगे और वह जोर जोर से रोने लगा। बांकी सभी कबूतर भी हिम्मत हार बैठे हुए थे।
अचानक कबूतरों के सरदार के मन में एक विचार आया। उसने तुरंत अपने बांकी के कबूतरों को कहा कि यह जाल मजबूत जरूर है। परंतु यह एकता की शक्ति को हरा नहीं सकता। यदि हम सभी एक साथ जोर लगाएं तो इस मौत के मुंह से बचा जा सकता है। तभी एक युवा कबूतर ने सरदार से कहा कि सरदार साफ-साफ बताओ कि हम कैसे बच सकते हैं।
सरदार ने कहा तुम सब अपनी चोंच से जाल को पकड़ो और फिर जब में कहूँगा फुर्र तो तुम सभी एक साथ उड़ जाना। सभी कबूतर अपनी चोंच से जाल पकड़ने लगे। पक्षियों को अपने जाल में फंसता हुआ देख शिकारी बहुत खुश होता हुआ आ रहा था। शिकारी को अपनी ओर आता देख कबूतरों के सरदार ने कहा फुर्र !
सभी कबूतर एक साथ जोर लगाकर उड़ें तो पूरा जाल हवा में ऊपर उठ। सारे कबूतर जाल को लेकर उड़ने लगे। कबूतरों को हवा में उड़ता देख शिकारी हैरान रह गया। लेकिन कुछ देर बाद शिकारी फिर से कबूतरों के पीछे-पीछे दौड़ने लगा। इसे दौड़ता देख सरदार इसके इरादे को भांप गया गया था।
सरदार भी अच्छी तरह जानता था कि कबूतरों के लिए अधिक समय तक जाल सहित हवा में उड़ना संभव नहीं है। यह सोच सरदार ने पास ही के एक पहाड़ी पर उसका एक चूहा मित्र रहता था। सरदार ने कबूतरों को तेजी से उस पहाड़ी पर जाने का आदेश दिया।
पहाड़ी पर पहुंचकर सरदार ने अपने मित्र चूहे को संक्षेप में पूरी बात बताई और उन सबको मुक्त करने का अनुरोध कहा। चूहे ने भी बिना समय गवांए तुरंत अपने नुकीले दांतों से जाल को कुतर दिया। सभी ने चूहे को धन्यवाद दिया और सभी कबूतर आसमान में उड़ गए।
इस कहानी से सीख-: इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि विपरीत परिस्थिति में भी यदि एक जुट होकर प्रयत्न किया जाय तो हमें सफलता अवश्य मिलती है। इसलिए कहा भी गया है कि एकता में बल होता है।
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