बुधवार, 26 जनवरी 2022

बंद मुट्ठी – खुली मुट्ठी की कहानी | Short Stories in Hindi

रामपुर नामक गांव में धनीराम नामक एक किसान रहता था I उसके दो पुत्र थे I एक का नाम राम था तो दूसरे का नाम श्याम था I दोनों भाई थे तो सगे परंतु दोनों की आदत बिल्कुल भी एक दूसरे से मेल नहीं खाता था I एक तरफ जहां राम बहुत कंजूस था वहीं दूसरी तरफ श्याम को फ़िज़ूलखर्ची की आदत थी I इन दोनों के आदत से धनीराम हमेशा परेशान रहा करता था I


Short Stories in Hindi

उसे समझ नहीं आता था कि कैसे अपने दोनों बेटों को सही रास्ते पर लाया जाए I उनकी इन आदतों से उन दोनों की पत्नियां भी काफी परेशान थी I घरवाले दोनों को समझाने का बहुत प्रयास किए परंतु इसका असर उन दोनों पर रत्ती भर भी नहीं होता I ना राम अपनी कंजूसी छोड़ता और ना ही श्याम अपनी फ़िज़ूल खर्ची से ही बाज आता था I 


एक बार उस गांव में एक बहुत ही प्रसिद्ध और विद्वान महात्मा जाए I उनके पास प्रत्येक प्रश्न का उत्तर था इसलिए सभी लोग अपनी-अपनी समस्या का समाधान उस महात्मा से पूछने के लिए जाते I धनीराम ने सोचा कि क्यों ना अपने पुत्रों का समाधान भी महात्मा जी से पूछा जाए I अगले दिन धनीराम महात्मा जी के पास पहुंचा और अपनी परेशानी बताई महात्मा जी ने ध्यानपूर्वक उनकी बातें सुनी और अगले दिन दोनों पुत्रों को साथ लेकर आने को कहा I


भेड़िया और सुनैना का विवाह


धनीराम नियत समय पर पुत्रों को लेकर पहुंच गए I महात्मा जी ने राम और श्याम दोनों  के सामने अपनी मुट्ठी को बंद किया और घूमाते हुए कहा कि बताओ यदि मेरा हाथ हमेशा ऐसे ही बंद रहे तो कैसा लगेगा तो दोनों पुत्र बोले ऐसे में तो लगेगा जैसे कि आपको कोढ़ हो गया है I उस महात्मा जी ने अपनी हथेली को फैलाते हुए पूछा कि यदि मेरा हाथ हमेशा इसी प्रकार खुला रहे तो कैसे लगेगा ? अभी यहीं लगेगा कि आपको कोढ़ है पुत्र बोले !


तब महात्मा जी ने मुस्कुराते हुए बोले पुत्रों यही तो मैं तुम्हें समझाना चाह रहा हूँ I हमेशा अपनी मुट्ठी बंद रखना अर्थात कंजूसी दिखाना या हमेशा अपनी हथेली खुली रखना अर्थात फ़िज़ूलखर्ची करना एक तरह का कोढ़ ही तो है I हमेशा मुट्ठी बंद रखने वाला व्यक्ति धनवान होती विधि निर्धन ही रहता है जबकि हमेशा मुट्ठी खुला रखने वाला व्यक्ति कितना ही बड़ा धनवान क्यों ना हो जाए उसे निर्धन बनते देर नहीं लगती I 


इसलिए कभी मुट्ठी बंद रखें तो कभी खुली रखें तभी जीवन का संतुलन बना रहता है I राम श्याम दोनों को अपनी गलतियों का एहसास हो चुका था उन्होंने निश्चय किया कि आज के बाद वह ना तो अधिक कंजूसी करेंगे और ना ही अधिक फ़िज़ूल खर्ची ही करेंगे I 


इस कहानी बंद मुट्ठी – खुली मुट्ठी की कहानी | Short Stories in Hindi से हमें यह सीख मिलती है कि व्यक्ति को ना ही अधिक कंजूस होना चाहिए और ना ही अधिक फ़िज़ूलखर्ची हमेशा जरुरत के अनुसार अपने खर्चों का ध्यान रखना चाहिए I


पंचतंत्र की कहानी : दो बिल्लियां और एक बंदर


पंचतंत्र की कहानी : लालची कुत्ता

शेर का आसन I Hindi short stories with moral for kids

सुंदरबन के जंगल में एक बहुत बड़ी गुफा थी I उसमें एक बहुत ही भयानक शेर रहता था I वह हमेशा अपने आप को बुद्धिमान समझता था और जंगल के अन्य जानवरों को वह तुच्छ समझता था I उसे लगता था कि पृथ्वी पर उससे बुद्धिमान जीव कोई है नहीं I उसके इसी स्वभाव से जंगल के अन्य जानवर काफी भयभीत रहते थे I

Hindi short stories with moral for kids

उसी जंगल के नजदीक एक गांव था जहां पर एक राजा अपनी प्रजा के साथ उस गांव पर शासन करता था I एक दिन वह राजा उसी जंगल में अपने सभी अंग रक्षकों के साथ शिकार करने निकला I राजा को अपनी ओर आता देख तभी जानवर अपने अपने घरों में छिप गए I तभी शेर ने देखा कि राजा हाथी पर आसन लगाकर बैठा हुआ जंगल में शिकार कर रहा है I यह देख शेर के मन में हाथी के आसन पर बैठने का विचार आया I


भेड़िया और सुनैना का विवाह । Panchtantra Stories in Hindi


अगले दिन शेर ने जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा किया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए I उसके यह आदेश को सुनकर सभी जानवर काफी भयभीत हो गए और डर कर जानवरों ने हाथी पर एक आसन लगा दिया I बस फिर क्या था झट से आसन लग गया और शेर उछल कर हाथी पर लगे आसन में जाकर बैठ गया I 


हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता आसन हिल जाता और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता I ऐसा कई बार हुआ हाथी जब भी आगे बढ़ता शेर तुरंत नीचे गिर जाता जिससे शेर की टांगे टूट गई I वह दर्द से कराहने लगा और और किसी तरह लड़खड़ाते हुए कहने लगा कि जंगल में पैदल चलना ही ठीक होता है I यह सुनकर बाकी के जानवर हंसने लगे I और उस दिन के बाद शेर कभी भी खुद को अधिक बुद्धिमान नहीं समझता था I


इस कहानी शेर का आसन I Hindi short stories with moral for kids से हमें यही सीख मिलती है कि हमें कभी भी खुद को अधिक बुद्धिमान नहीं समझना चाहिए और दूसरों की नकल कभी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसका परिणाम बुरा हो सकता है I


पंचतंत्र कहानी - दिखावे का फल । Moral Stories in Hindi

पंचतंत्र की कहानी : सच बोलने का परिणाम । Kids Stories


मंगलवार, 25 जनवरी 2022

कालिदास और विक्रमादित्य की कहानी | Mahakavi Kalidas Stories

एक बार की बात है I रामपुर नामक एक गांव में एक राजा रहता था उसका नाम राजा विक्रमादित्य था I राजा विक्रमादित्य बहुत ही दयालु थे और वह हमेशा अपनी प्रजा की भलाई के बारे में ही सोचते रहते थे I उनके दरबार में बहुत सारे विद्वान महाकवि थे I उन्हीं में से महाकवि कालिदास प्रमुख राज दरबारियों में से एक थे I


Mahakavi Kalidas Stories

एक बार राज दरबार का कार्य चल रहा था और बीच में राजा विक्रमादित्य ने कालिदास से एक प्रश्न पूछा की कालिदास आप इतने बड़े विद्वान महाकवि है परंतु आपका शरीर आपकी बुद्धि के अनुरूप इतनी सुंदर क्यों नहीं है ? कालिदास उस समय चुप रहे और बात को टाल गए I 


कुछ दिन बाद महाराज ने अपनी सेवक से पीने के लिए पानी मांगा I कालिदास वहीं पर थे उन्होंने सेवक को निर्देश दिया कि दो बर्तनों में पानी लाया जाए I एक बर्तन साधारण मिट्टी का था तो दूसरा बर्तन बहुमूल्य धातु से बना था I महाराज ने बड़े ही आश्चर्य के साथ कालिदास की ओर देखते हुए इसका कारण पूछा तो कालिदास ने महाराज से दोनों बर्तनों का पानी पीने का अनुरोध किया I


खतरनाक आइसलैंड और किसान की नौकरी


महाराज ने ऐसा ही किया ! फिर कालिदास ने कुछ समय पश्चात महाराज से पूछा महाराज इन दोनों बर्तनों में से किस बर्तन का पानी अधिक शीतल था ? अवश्य ही मिट्टी के बर्तन का ! महाराज ने बड़ी ही सरलता से उत्तर दिया I कालिदास मुस्कुराए और बोले हे राजन जिस प्रकार पानी की शीतलता बर्तन के बाहरी सुंदरता पर निर्भर नहीं करती ठीक उसी प्रकार बुद्धि की सुंदरता शरीर की सुंदरता पर निर्भर नहीं करती I


राजा विक्रमादित्य को अपनी प्रश्न का उत्तर मिल चुका था और वे समझ चुके थे कालिदास उन्हें क्या समझाना चाह रहा है ?


इस कहानी कालिदास और विक्रमादित्य की कहानी | Mahakavi Kalidas Stories से हमें यह ही सीख मिलती है कि हमें कभी भी अपनी शारीरिक सुंदरता पर घमंड नहीं करना चाहिए बल्कि अपने अंदर बुद्धि को अधिक महत्व देना चाहिए I


पंचतंत्र की कहानी : भालू और दो मित्र


दुष्ट बगुला और केकड़े की कहानी

डिग्रियों की कीमत I Degree Motivational Story in Hindi

एक बार एक बहुत ही बड़ी कंपनी ने अपने यहां जॉब के लिए एक वैकेंसी निकाली I कंपनी बहुत बड़ी थी इसलिए बहुत सारे लोगों ने वहां पर जॉब के लिए आवेदन दिया I बहुत सारे लोगों के पास बहुत बड़े-बड़े कॉलेज की डिग्रियां थी I कुछ दिनों के बाद उस कंपनी के मालिक के एक मित्र ने किसी को उनके पास जॉब के लिए भेजा जो बहुत पढ़ा लिखा था और साथ ही साथ उसके पास बहुत सारे सर्टिफिकेट और डिग्रियां भी थी I

Importance of Degree Motivational Story in Hindi

वह व्यक्ति उस कंपनी के मालिक के पास इंटरव्यू देने के लिए पहुंचा I उसे उम्मीद थी कि यह नौकरी उसे अवश्य मिल जाएगी I परंतु इसके बाद भी कंपनी के मालिक ने उस व्यक्ति को अपने यहां नौकरी पर नहीं रखा I बल्कि एक अन्य व्यक्ति जिसके पास बहुत सारी डिग्रियां नहीं थी और ना ही वह अधिक ही पढ़ा लिखा ही था उसका चयन किया I जब उसके मित्र को यह बात पता चली तो उसने पूछा कि क्या मैं इसकी वजह जान सकता हूँ कि तुमने इतने कम पढ़े लिखे व्यक्ति का चयन अपनी कंपनी में क्यों किया है ?


तब कंपनी के मालिक ने बताया कि मैंने जिस व्यक्ति का चयन किया है उसके पास अमूल्य डिग्रियां हैं I उसने मेरे कमरे में आने से पहले मेरी अनुमति मांगी, कमरे के बाहर अपनी जूते को उतारा, बैठने के लिए अनुमति माँगी, उसके कपड़े साधारण वे साफ-सुथरे थे I मैंने उससे जो भी प्रश्न पूछा उसने बिना घुमाए-  फिराए तुरंत उत्तर दिया और अंत में इंटरव्यू समाप्त होने पर मेरी अनुमति से वापस चला गया I 


उसने कोई सिफारिश भी नहीं लाया और ना ही उसने कोई खुशामद ही की थी क्योंकि अधिक पढ़ा लिखा ना होने के बाद भी उसे अपनी काबिलियत पर विश्वास था I इस तरह के प्रमाण पत्र बहुत कम लोगों के पास ही होते हैं I इसी कारण मैंने इस व्यक्ति को अपने यहां जॉब पर रखा I


प्रेरणादायक कहानी : खाने का महत्त्व |The Importance Of The Food


जबकि तुमने जिस व्यक्ति को मेरे पास भेजा था उसके पास इनमें से कोई भी डिग्रियां नहीं थी अर्थात वह सीधा ही मेरे कमरे में चला आया बिना, आज्ञा की कुर्सी पर बैठ गया और अपनी काबिलियत की जगह तुमसे जान पहचान के बारे में बताने लगा I अब तुम ही बताओ उसकी इन डिग्रियों की क्या कीमत है ? जिसे उसकी नैतिकता का ही जान नहीं हो ? मित्र कंपनी के मालिक की बात को समझ गया और वह भी डिग्रियों की कीमत जान चुका था I


इस कहानी डिग्रियों की कीमत I Degree Motivational Story in Hindi से हमें यही सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपने नैतिक शिक्षा का ख्याल रखना चाहिए ताकि अवसर मिलने पर हम इसका लाभ ले सके I


प्रेरणादायक सीख : क्रोध का परिणाम I Angry Moral Stories

महात्मा जी का उपदेश। Preaching Motivational Story In Hindi

सोमवार, 24 जनवरी 2022

शिक्षाप्रद कहानियां- हार-जीत का फैसला | Small story in Hindi

बहुत समय पहले की बात है एक गांव में विक्रमादित्य नामक राजा राज्य करते थे I वह बहुत ही दयालु प्रवृत्ति के थे I वह हमेशा अपनी प्रजा की भलाई के बारे में ही सोचा करते थे I प्रजा भी अपने राजा को बहुत आदर सत्कार किया करती थी I राजा हमेशा गरीब से गरीब लोगों की भी मदद किया करता था I एक बार विक्रमादित्य ने अपने राज्य में घोषणा करवाई की अमुक तिथि को दरबार में शास्त्रार्थ प्रतियोगिता का आयोजन करवाया I 


Small story in Hindi

इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आसपास के सभी गांवों से बड़े-बड़े विद्वान लोग आए हुए थे I शास्त्रार्थ की प्रक्रिया चल रही थी और सभी विद्वान लोग अपने अपने मत को सिद्ध करने में लगे हुए थे I शास्त्रार्थ की प्रक्रिया 10 दिनों तक लगातार चली और इसमें केवल 2 प्रतिभागी हरिनारायण और रामनारायण ही अंतिम तक टिके हुए थे I अब केवल हार जीत का निर्णय होना ही बाकी था I 


अगले दिन शास्त्रार्थ की प्रक्रिया चल रही थी I राजा विक्रमादित्य को किसी आवश्यक कार्य हेतु बाहर जाना पड़ गया I लेकिन उन्होंने जाने से पूर्व हरिनारायण और रामनारायण के गले में एक एक फूल की माला डालते हुए कहा कि यह दोनों मालाएं मेरी अनुपस्थिति में आप दोनों के हार और जीत का निर्णय करेगी I यह कहते हुए राजा विक्रमादित्य दरबार से निकल गए और शास्त्रार्थ की प्रक्रिया आगे चलती रही I


पंचतंत्र की कहानी : भालू का घमंड


परंतु यह क्या कुछ क्षणों के पश्चात ही राजा विक्रमादित्य पुनः राज दरबार में लौट आए यह देख सभी राजदरबारी अचंभित हो गए I परंतु राजा ने अपनी निर्णायक नजरों से हरिनारायण और रामनारायण को बारी-बारी से देखा और अपना निर्णय सुनाया I उनके निर्णय के अनुसार रामनारायण विजय घोषित हुए I  जबकि हरिनारायण की पराजय हुई I सभी दर्शक अचंभित हो गए कि किस आधार पर राजा ने रामनारायण को विजय घोषित कर दिया I


तभी एक मंत्री ने राजा विक्रमादित्य से अनुरोध किया कि महाराज आपने हार और जीत का फैसला कैसे किया ? जबकि आप प्रतियोगिता के मध्य आवश्यक कार्य हेतु प्रस्थान किए थे और फिर वापस लौटते ही आपने ऐसा निर्णय कैसे दे दिया I तब राजा ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि जब भी कोई विद्वान शास्त्रार्थ में पराजित होने लगता है तो उसे क्रोध उत्पन्न हो जाता है I 


जैसा कि हरिनारायण के गले की माला उनके क्रोध के कारण मुरझा चुकी है I जबकि रामनारायण के गले की माला का फूल अभी भी पहले की भांति ताजे हैं I इस से ज्ञात होता है कि रामनारायण ही विजय हुए हैं I राजा विक्रमादित्य का फैसला सुनकर सभी दंग रह गए और सब ने उनकी प्रशंसा की I


इस कहानी शिक्षाप्रद कहानियां- हार-जीत का फैसला | Small story in Hindi से सीख इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि क्रोध व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है क्योंकि क्रोध मनुष्य की वह अवस्था है जो जीत के नजदीक पहुंच कर भी हार का नया रास्ता खोल देता है I इसलिए व्यक्ति को कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए I


खतरनाक आइसलैंड और किसान की नौकरी


जादुई पत्थर और आलसी शिष्य की कहानी


गुरु का महत्त्व | Inspirational Stories on Teachers Day

नारायणपुर नामक एक गांव में एक राजा राज्य करता था I राजा के पास एक बहुत ही सुंदर पत्नी थी और वह अपने परिवार के साथ अपने राज्य को बहुत ही अच्छे ढंग से चला रहा था I उसे शिक्षा ग्रहण करने का बहुत शौक था I एक दिन राजा ने मंत्री से सलाह लिया कि उसके लिए एक गुरु की व्यवस्था की जाए I

Inspirational Stories on Teachers Day

ऐसा ही हुआ राजा के आदेशानुसार उस राज्य के सबसे प्रसिद्ध और विद्वान गुरु राजा को शिक्षा देने के लिए प्रतिदिन महल में आने लगे I राजा को शिक्षा ग्रहण करते हुए कई माह बीत गए थे I परंतु राजा को कोई लाभ दिख नहीं रहा था I गुरु तो प्रतिदिन कठिन परिश्रम करते थे I परंतु राजा को इस शिक्षा से कोई लाभ नहीं हो रहा था I राजा काफी परेशान रहने लगा I


गुरु की योग्यता पर प्रश्न उठाना भी गलत था क्योंकि वह एक बहुत ही प्रसिद्ध और विद्वान गुरु थे I आखिर में राजा ने यह बात अपनी पत्नी को बताई I तब रानी ने सलाह दी की हे राजन इस प्रश्न का उत्तर गुरु जी से ही पूछ कर देखिए I अगले दिन राजा ने बहुत हिम्मत करके गुरुजी के सामने प्रश्न रखी I हे गुरुवर क्षमा कीजिएगा मैं कई माह से आपसे शिक्षा प्राप्त कर रहा हूँ I परंतु मुझे इसका कोई लाभ नहीं दिख रहा I  ऐसा क्यों ?


नाविक और कैप्टन की प्रेरणादायक कहानी।


गुरुजी ने बड़े ही शांत स्वर्ग में उत्तर दिया राजन इसका बहुत ही सरल उत्तर है I गुरुजी ने कहा हे राजन यह बात बहुत छोटी है परंतु आप बड़े हैं और आपके अंदर विद्यमान अहंकार के कारण आप इसे समझ नहीं पा रहे हैं जिससे आप परेशान और दुखी हैं I यह बात सच है कि आप एक बहुत बड़े राजा हैं I आप प्रत्येक दृष्टि से मुझसे पद और प्रतिष्ठा ने बड़े हैं I परंतु आपका और मेरा रिश्ता एक गुरु और शिष्य का है I इसलिए गुरु होने के नाते मेरा स्थान आप से ऊपर होना चाहिए I 


परंतु आप ऊँचे सिंहासन पर बैठते हैं और मुझे अपने से नीचे के आसन पर बैठाते हैं I  इसी कारण आपको ना तो कुछ शिक्षा प्राप्त हो रही है और ना ही आप ज्ञान को ही ग्रहण कर पा रहे हैं I चूँकि आपके राजा होने के कारण मैं आपसे यह बात नहीं कह पा रहा था I यदि कल से आप मुझे ऊंचे सिंहासन पर बिठाएं और आप स्वयं नीचे बैठे तो आप आसानी से शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे I आपको इसका लाभ भी नजर आने लगेगा I 


राजा को अपनी गलती का एहसास हो गया उसने तुरंत अपनी गलती के लिए क्षमा मांगा और अगले दिन से स्वयं नीचे बैठता और गुरु को ऊंचे आसन पर बिठाकर शिक्षा प्राप्त करने लगा I 


इस कहानी गुरु का महत्त्व | Inspirational Stories on Teachers Day से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए I यहां ऊंचे स्थान का हाथ सिर्फ ऊंचा या नीचे बैठने से नहीं है I बल्कि इसका सही अर्थ है कि हम अपने मन में गुरु को क्या स्थान दे रहे हैं I इसलिए हमें हमेशा अपने गुरु का सम्मान करना चाहिए I


प्रेरणादायक कहानी : गधे की बुद्धिमानी


प्रेरणादायक कहानी : तोते की चोंच।

रविवार, 23 जनवरी 2022

चींटी और कबूतर I Short Hindi stories with moral

एक जंगल में बहुत बड़ा बरगद का एक पेड़ था और उस पेड़ पर एक कबूतर रहता था I वह प्रतिदिन दाना चुगने के लिए इधर उधर भटकता और शाम होते ही अपने घोसले में वापस लौट जाता था I उसी पेड़ के नीचे एक नन्हीं सी चींटी रहती थी I एक बार गर्मी के समय चिलचिलाती धूप थी I उस कबूतर ने देखा कि उस नन्हीं सी चींटी को बहुत जोरों की प्यास लगी है I और वह पानी की तलाश में इधर उधर भटक रही है I


Short Hindi Stories with Moral

काफी समय के बाद चीटीं एक नदी के किनारे पहुंची I नदी काफी बड़ी व् गहरी थी इसलिए वह पानी पीने के लिए एक छोटे से चट्टान पर चढ़कर पानी पीने का प्रयास करने लगी I परंतु दुर्भाग्यवश वह फिसल गई और फिसलते हुए नदी में जा गिरी I पानी का बहाव तेज था इसलिए वह नदी में पानी के साथ बहने लगी I यह देख चीटीं बहुत घबरा गई और वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगी I


पास ही पेड़ पर बैठा हुआ कबूतर यह सब देख रहा था I कबूतर को उस नन्हीं सी चीटीं पर दया आ गई I कबूतर ने जल्दी से एक पत्ता तोड़ा और नदी में डूबते हुए चींटी के पास उस पत्ते को फेंक दिया I चींटी तुरंत उस पत्ते पर चढ़ गई और धीरे-धीरे किनारे लग गई I देखते ही देखते वह पत्ते से उतर कर जमीन पर आ गई और उसने कबूतर को अपनी जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया I फिर दोनों अपने अपने घरों में चले गए I


हिंदी कहानियां Hindi Short Stories with moral


शाम को उसी दिन एक शिकारी जाल लेकर कबूतर को पकड़ने आया I कबूतर आराम से अपने घोसले में सो रहा था और उसे खतरे की कोई खबर ना थी I  चींटी ने देखा कि शिकारी धीरे-धीरे कबूतर को पकड़ने के लिए पेड़ पर चढ़ने वाला है I यह देख चींटी ने तुरंत शिकारी के पांव पर जोर से काटा I चींटी के काटने से शिकारी की चीख निकल गई जिससे कबूतर उठ गया और वहां से तुरंत उड़ गया I इस प्रकार नन्हीं सी चींटी ने उस कबूतर की जान बचाई I


इस कहानी चींटी और कबूतर I Short Hindi stories with moral से हमें यही सीख मिलती है कि कर भला तो हो भला I यदि आप किसी के साथ अच्छा करोगे तो आपके साथ भी अच्छा ही होगा I


जैसा करोगे वैसा भरोगे । Panchtantra Stories in Hindi

मूर्ख बातूनी कछुआ और हंस की कहानी। Short Hindi Stories